पहलू खान केस में सुनवाई करते हुए राजस्थान हाई कोर्ट ने पहलू खान और उनके बेटों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने का आदेश दिया है। इसके अलावा घटना के वक्त गाड़ी चला रहे ड्राइवर के खिलाफ दर्ज केस को भी रद्द करने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि इन चारों के खिलाफ दाखिल की गई चार्जशीट को भी रद्द किया जाए।
इस मामले में अगस्त 2019 में कोर्ट ने पहलू खान की हत्या के सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। बालिग आरोपियों में विपिन यादव, रविंद्र कुमार, कालूराम, दयानंद, योगेश कुमार और भीम राठी शामिल थे, जिन्हें अदालत ने बरी कर दिया था। हालांकि, उस वक्त ही पहलू खान के परिजन ने फैसले पर असंतोष जताकर आगे अपील करने की बात कही थी।
पुलिस ने चार्जशीट में पहलू खान और उनके बेटों को गैर-कानूनी तरीके से मवेशी ले जाने का आरोपी बनाया था। इस चार्जशीट के बारे में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने पिछली सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था, 'केस की जांच पिछली बीजेपी की सरकार के दौरान की गई थी और चार्जशीट तैयार की गई। अगर जांच में कोई गलती पाई जाती है तो केस की दोबारा जांच कराई जाएगी।'
गौरतलब है कि राज्य में पिछली बीजेपी की सरकार के समय में भी ऐसी ही एक चार्जशीट पहलू खान के दो सहयोगियों के खिलाफ दायर की गई थी, जिन पर भीड़ ने हमला किया था। इस केस में दो एफआईआर दर्ज हैं। पहली एफआईआर भीड़ के खिलाफ खान की पीट-पीटकर हत्या को लेकर है और दूसरी, पहलू खान और उनके परिवार के खिलाफ गोतस्करी का है।
नई चार्जशीट, जिसमें पहलू खान पर मरणोपरांत आरोप लगाया गया था। यह पिछले वर्ष 30 दिसंबर को तैयार की गई थी। इस दौरान राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बन चुकी थी और इसे बहरोर में अडिशनल चीफ जुडिशल मैजिस्ट्रेट के सामने इस वर्ष (2019) मई महीने की 29 तारीख को पेश किया गया था।
आरोपी खान और उसके बेटों पर राजस्थान बोवाइन ऐनिमल ऐक्ट 1995 और नियम 1995 की धारा 5, 8 और 9 के अंतर्गत चार्जशीट दायर की गई।
बता दें अप्रैल 2017 में अलवर में कथित गोरक्षकों की भीड़ ने पहलू खान पर हमला किया था। जिस वक्त उनपर हमला हुआ, उस वक्त वह राजस्थान में गाय खरीदने के बाद हरियाणा जा रहे थे। डेयरी बिजनस करने वाले पहलू खान की हमले के दो दिन बाद मौत हो गई थी।
भीड़ ने उन्हें पशु तस्कर समझकर हमला किया था। इस घटना के बाद पुलिस ने कुछ लोगों के खिलाफ नामजद तो दर्जनों अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी एएनआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.