कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने बुधवार, 30 अक्टूबर को स्पष्ट किया कि 18 वीं शताब्दी के शासक टीपू सुल्तान का इतिहास स्कूल के पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों से पूरी तरह से हटा दिया जाएगा।
बेंगलुरु प्रेस क्लब में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, येदियुरप्पा ने कहा कि टीपू सुल्तान का इतिहास पाठ्य पुस्तकों से पूरी तरह से हटा दिया जाएगा और ऐसे विषयों को पुस्तकों में शामिल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि वे स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे। राज्य में कांग्रेस शासन के दौरान टीपू जयंती समारोह धूमधाम से मनाया जाता रहा था और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और संघ परिवार ने इसका विरोध किया है।
सीएम येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार ने राज्य में पिछले 5 वर्षों से हर साल 10 नवंबर को मनाये जाने वाले टीपू जयंती समारोह पर प्रतिबंध लगा दिया था। हाल ही में मदिकेरी के भाजपा विधायक अपाचू रंजन ने प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री सुरेश कुमार को पत्र लिखकर इतिहास की किताबों से टीपू सुल्तान से संबंधित सभी संदर्भ हटाने को कहा था।
इसके बाद राज्य के शिक्षा मंत्री सुरेश कुमार ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि टीपू सुल्तान से जुड़े चैप्टर को हटाने को लेकर रिपोर्ट तैयार की जाए। कर्नाटक टेक्स्ट बुक सोसाइटी के मैनेजिंग डायरेक्टर को पत्र लिख कर मंत्री ने विधायक रंजन के साथ बैठक कर उनका पक्ष सुनने और उस पर विचार करने को कहा था। उन्होंने हिस्ट्री टेक्स्ट बुक ड्राफ्टिंग कमिटी की बैठक बुला कर इस चैप्टर की समीक्षा के निर्देश दिए थे।
भाजपा विधायक रंजन ने कहा कि टीपू सुल्तान ने हजारों ईसाईयों व कोडवा समुदाय के लोगों को जबरन इस्लाम कबूल करवाया था। साथ ही उन्होंने बताया कि टीपू ने अपने शासनकाल के दौरान फ़ारसी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया था। साथ ही उन्होंने टीपू सुल्तान के स्वतंत्रता सेनानी होने के दावों का भी खंडन किया। उ
न्होंने कहा कि बिना इतिहास के तथ्यों को जाने हुए उसके नाम को पाठ्यक्रम में घुसेड़ दिया गया और उसे जबरदस्ती महिमामंडित किया गया। विधायक ने बताया कि इस चैप्टर में लिखी गई बातें झूठ हैं।
टीपू सुल्तान का जन्म 10 नवंबर 1750 को कर्नाटक के देवनाहल्ली (यूसुफ़ाबाद) में हुआ था। उनका पूरा नाम सुल्तान फतेह अली खान शाहाब था। उनके पिता हैदर अली मैसूर साम्राज्य के सेनापति थे जो कि 1761 में मैसूर साम्राज्य के शासक बने।
अपने पिता के बाद टीपू सुल्तान 1782 में मैसूर की गद्दी पर बैठे। 4 मई 1799 को 48 साल की आयु में कर्नाटक के श्रीरंगपट्टन्नम में अंग्रेजों का सामना करते हुए टीपू की मौत हो गई।