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दिल्ली की सार्वजनिक बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा योजना भाई दूज के दिन मंगलवार, 29 अक्टूबर से शुरू हो गई। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस अवसर पर कहा कि महिला सुरक्षा, सशक्तिकरण और अर्थव्यवस्था में महिलाओं की हिस्सेदारी को बढ़ाने की ओर यह एक ऐतिहासिक कदम है।

महिलाओं को मुफ्त यात्रा योजना का लाभ उठाने के लिए दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) और क्लस्टर बसों में गुलाबी टिकट दिए जाएंगे। दिल्ली सरकार जारी किए गए गुलाबी टिकटों की संख्या के आधार पर परिवाहकों को भुगतान करेगी।

केजरीवाल ने ट्वीट किया, ''आज सुबह से दिल्ली में महिलाओं की बस यात्रा मुफ्त हो गई है। महिला सुरक्षा, सशक्तिकरण और अर्थव्यवस्था में महिलाओं की हिस्सेदारी को बढ़ाने की ओर ये एक ऐतिहासिक कदम है।''

उन्होंने कहा, ''पिंक टिकट...दिल्ली परिवार की सभी बहनों को इस भाई की ओर से भाई दूज की ढेरों शुभ कामनायें। आप सुरक्षित रहें, ख़ूब तरक़्क़ी करें। महिलायें आगे बढ़ेंगी, तभी देश आगे बढ़ेगा।''

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि इससे महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और राष्ट्रीय राजधानी की अर्थव्यवस्था में उनकी भूमिका बढ़ेगी। सिसोदिया ने ट्वीट किया, ''दिल्ली की बसों में आज से महिलाओं के लिए मुफ़्त यात्रा शुरू हो गई है.... बधाई हो दिल्ली! महिला सुरक्षा के साथ साथ ये क़दम दिल्ली की अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ाएगा...आप सभी को भाई-दूज की शुभकामनाएँ. भाई बहनों के बीच प्यार और बढ़े...।''

सोमवार रात को, सरकार ने मंगलवार से मुफ्त यात्रा योजना को लागू करने के लिए एक अधिसूचना जारी की। यह सुविधा नोएडा-एनसीआर में भी उपलब्ध होगी। इसके अलावा यह हवाई अड्डे के लिए चलने वाली सेवाओं और डीटीसी और क्लस्टर ऑपरेटरों द्वारा संचालित अन्य विशेष सेवाओं में भी उपलब्ध होगी।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण के दौरान इसकी घोषणा की थी। दिल्ली सरकार के मंत्रिमंडल ने 29 अगस्त को इस योजना को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी।

इस योजना के अनुसार, दिल्ली सरकार, स्थानीय निकाय और सरकार के उपक्रमों की महिला कर्मचारी डीटीसी और क्लस्टर बसों में मुफ्त सवारी की सुविधा लेने पर परिवहन भत्ते की हकदार नहीं होंगी।

नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में सार्वजनिक बसों से प्रत्येक दिन 45 लाख से अधिक लोग सफर करते हैं।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.