केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि पाकिस्तान ने भारत से डाक मेल सेवा बंद कर दी है. प्रसाद ने साथ ही कहा कि पाकिस्तान का डाक मेल सेवा बंद करने का एकतरफा निर्णय अंतरराष्ट्रीय नियमों का सीधा उल्लंघन है.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने यह फैसला भारत को बिना नोटिस दिए किया है. केंद्रीय मंत्री ने यह जानकारी दिल्ली में एक समारोह के दौरान दी.
#WATCH "For the last two months, Pakistan has stopped postal service from India. It's directly in contravention of the World Postal Union's norms," says, Union Minister Ravi Shankar Prasad pic.twitter.com/gm04ITuq3z
— ANI (@ANI) 21 October 2019
पाकिस्तान ने 27 अगस्त से भारत से किसी तरह की डाक की खेप को स्वीकार नहीं किया है. माना जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने के विरोध में पाकिस्तान की ओर से यह कदम उठाया गया है.
प्रसाद के पास डाक विभाग का प्रभार भी है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने यह कदम भारत को इस बारे में कोई पूर्व सूचना दिए बिना उठाया है.
प्रसाद ने एक कार्यक्रम के मौके पर अलग से बातचीत में कहा, ''पाकिस्तान का यह निर्णय अंतरराष्ट्रीय डाक यूनियन नियमों का उल्लंघन है, लेकिन पाकिस्तान तो पाकिस्तान है.''
मंत्री ने इस बात की पुष्टि की है कि पिछले दो माह से पाकिस्तान के साथ डाक सेवा लेनदेन बंद है. पाकिस्तान द्वारा भारत को डाक के जरिये पत्र आदि भेजने या भारत से आए पत्रों को स्वीकार करने से मना करने के बाद भारतीय डाक अधिकारियों ने पाकिस्तान के पते वाली डाक को रोकने पर मजबूर होना पड़ा है.
रिपोर्टों में कहा गया है कि पाकिस्तान से भेजे गए पत्र आदि सऊदी अरब की एयरलाइंस द्वारा उपलब्ध कराई गई सेवाओं के जरिये भारत पहुंच रहे हैं. प्रसाद ने इस बात की पुष्टि की कि पिछले दो माह से डाक सेवाएं बंद हैं.
मंत्री ने कहा कि एक वैश्विक डाक यूनियन प्रणाली है जिसके तहत सभी परिचालन करते हैं। पाकिस्तान ने पिछले दो माह से इसे बंद कर दिया है. ऐसे में पाकिस्तान ने जब इसे रोका है तो हमारे डाक विभाग को भी इस तरह की कार्रवाई के बारे में सोचना पड़ा है. अब पाकिस्तान ने भारत के पत्र रोक दिए हैं, तब यह कार्रवाई की गई है.
पाकिस्तान के इस कदम को अनावश्यक माना जा रहा है क्योंकि पूर्व में विभाजन, युद्ध या सीमापार तनाव होने पर भी कभी डाक मेल सेवा बंद नहीं की गई है.
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।