कर्नाटक से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद केसी राममूर्ति ने बुधवार को उपराष्ट्रपति सचिवालय में अपना इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे को स्वीकार कर लिया गया। राममूर्ति के सत्तारूढ़ बीजेपी में शामिल होने की अटकलें जताई जा रही हैं।
उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा अध्यक्ष एम वेंकैया नायडू ने उनके इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद से भारत की पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस भी कठिन परिस्थितियों से गुजर रही है। कुछ समय पहले कांग्रेस के भुवनेश्वर कालिता और संजय सिंह ने राज्य सभा से इस्तीफा दिया था।
गोवा, महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे राज्यों के अनेक नेताओं ने पिछले कुछ महीनों में पार्टी का साथ छोड़ दिया। कर्नाटक मे कांग्रेस-जदएस सरकार के गिरने के बाद पार्टी के अनेक विधायकों ने पाला बदल लिया।
इसी साल अगस्त में राज्यसभाा में व्हिप पूर्व कांग्रेस चीफ भुवनेश्वर कालिता ने कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा का हाथ थाम लिया था। बता दें कि भुवनेश्वर कालिता को कांग्रेस ने कश्मीर मुद्दे पर व्हिप जारी करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। उसी दिन उन्होंने राज्यसभा में इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के साथ देश का मिजाज पूरी तरह से बदल चुका है और यह व्हिप देश की जन भावना के खिलाफ है। जवाहर लाल नेहरु भी अनुच्छेद 370 के खिलाफ थे।
अपने इस्तीफे के बारे में बोलते हुए, राममूर्ति ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और अन्य नेताओं को कांग्रेस में जारी समस्याओं के बारे में सूचित किया था। डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, "मैंने पार्टी में कुछ बदलावों की उम्मीद करते हुए एक साल तक इंतजार किया। लेकिन कुछ नहीं हुआ। इससे परेशान होकर मैंने कांग्रेस और राज्यसभा छोड़ने का फैसला किया।"
हालांकि, उन्होंने कहा कि उन्होंने अभी तक भाजपा में शामिल होने की योजना नहीं बनाई है, लेकिन अगर भगवा पार्टी को राष्ट्र के विकास के लिए उनकी सेवा की आवश्यकता है तो वे इसका उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा, "मैं अगले दो दिनों में अपने भविष्य के कदम का खुलासा करूंगा।"
राजनीति में आने से पहले राममूर्ति पुलिस महानिरीक्षक थे और उन्होंने दिसंबर 2007 में राजनीति पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सेवानिवृत्ति ले थी। कर्नाटक विधानसभा द्वारा राज्यसभा में कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में दो साल के कार्यकाल के लिए उन्हें 2016 में सांसद के रूप में चुना गया था। वे स्कूलों से लेकर कॉलेजों तक कई शिक्षण संस्थानों का संचालन करने वाले सीएमआर ज्ञानधारा ट्रस्ट के अध्यक्ष भी हैं।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी एएनआइ द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।