राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार, 8 अक्टूबर को आरएसएस के स्थापना दिवस के अवसर पर केंद्र को अनुच्छेद 370 के माध्यम से जम्मू-कश्मीर को दिए गए विशेष दर्जे को समाप्त करने के लिए बधाई दी।
विजयदशमी के अवसर पर महाराष्ट्र के नागपुर के रेशिमबाग मैदान में 'शस्त्र पूजा के बाद स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, "जनता की उम्मीदों को साकार करने में, जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए, देश के हित में अपनी इच्छाओं को पूरा करने का साहस फिर से चुने गए शासन में है। यह अनुच्छेद 370 को अप्रभावी बनाने के सरकार के काम से साबित हुआ है,"
जामु-कश्मीर की विशेष स्थिति का निरसन लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रमुख मांग रही है।
आरएसएस प्रमुख ने अपने योगदान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की प्रशंसा करते हुए कहा कि कई बाधाएं हैं जिनसे उन्हें निपटने की आवश्यकता है।
मौजूदा दौर में जब देश में असहिष्णुता को लेकर बहस का दौर जारी है और भीड़ हिंसा यानि मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं से कड़ाई से निबटने की मांग की जा रही है, उन्होंने कहा कि संघ का नाम लिंचिंग की घटनाओं से जोड़ा गया, जबकि संघ के स्वयंसेवकों का ऐसी घटनाओं से कोई संबंध नहीं होता। भागवत ने कहा का लिंचिंग जैसा शब्द भारत का है ही नहीं क्योंकि भारत में ऐसा कुछ होता ही नहीं था।
मोहन भागवत ने कहा, 'एक समुदाय के लोगों द्वारा दूसरे समुदाय के व्यक्ति को चोट पहुंचाने वाली खबरें आती हैं। ऐसा दूसरे समुदाय की तरफ से भी होता है। कभी-कभी कुछ नहीं होता तो भी बात बढ़ाई जाती है। दोनों तरफ से एक घटना के लिए पूरे समुदाय में जिम्मेदार समझा जाता है। समाज को एक करने वाली ताकतों को उसमें घसीटा जाता है। '
उन्होंने कहा, 'लिंचिंग जैसा शब्द हमारे यहां कभी था नहीं। जहां ऐसी घटनाएं होती रही हैं, वहां से ऐसा शब्द आया। हमारे यहां ऐसी घटनाएं नहीं हुईं। यहां कुछ ऐसी घटनाएं हुईं, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हुई। बाहर से आए शब्दों का इस्तेमाल कर हमारे देश को बदनाम करने की कोशिश होती है। इतनी विविधता वाले लोग शांति से दुनिया में कहीं भी नहीं रहते।'
संघ प्रमुख ने कहा, 'जहां भी जाएंगे, वहां की कानून व्यवस्था का पालन करके ही हम रहेंगे, यही संस्कार संघ के स्वयंसेवकों को मिलता है। अब अपना समाज है, अपना देश है, अपने लोग हैं। सारा भारत, सारे भारतीयों का है। सबको कानून का पालन करके ही रहना चाहिए। ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए कानून को सख्त करना चाहिए। इसमें अपना-पराया नहीं देखना चाहिए। स्वयंसेवक सत्ता में है तो उसकी यही सीख है। कहीं मतभेद है, तो संवाद से निर्णय होना चाहिए। तब भी बात न बने तो कानून है। निर्णय मन से स्वीकार नहीं है, तो अपील करने का प्रावधान है।'
उन्होंने कहा, 'भारत के चुनावों पर पूरी दुनिया की नजर थी। 2014 में जो परिवर्तन आया था, वह पूर्व की सरकार से नाराजगी थी, या सकारात्मक बदलाव की मांग थी, इस पर भी दुनिया की नजरें थी। विश्व को अब ध्यान में आया होगा, कि लोकतंत्र पश्चिम ने हमें दिया है, ऐसा नहीं है। 2014 में जिस सरकार को चुनकर दिया था, 2019 में भी उसी सरकार को चुना। इससे साफ हो गया कि यह सकारात्मक बदलाव की मांग थी।
मोहन भागवत ने अपने भाषण में 370 हटाने का जिक्र करते हुए सरकार की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा, 'साहसी और कठोर निर्णय लेने की क्षमता इस सरकार में है, यह भी साफ हो गया। जनसंघ का पहला आंदोलन 370 हटाने को लेकर ही था। राज्यसभा और लोकसभा में अन्य दलों का सहयोग लेकर इस काम को किया गया। पीएम और गृहमंत्री इसके लिए बधाई के पात्र हैं।'
भागवत ने कहा, 'सिर्फ इतने से काम नहीं चलेगा। अभी बहुत दूर जाना है। भारत को दुनिया का अग्रणी देश बनाने के लिए बहुत आगे जाना है। यह काम बहुत कठिन है। ऐसा न होने देना चाहने वाले लोग भी हैं। वे रोड़ा अटकाने की कोशिश करते हैं। इन सब बाधाओं को हटाकर गंतव्य को प्राप्त करना होता है। सकंट आते हैं, उन्हें दूर करना होगा। कुछ प्रश्न होते हैं, उनके उत्तर देने होंगे। चुनौतियों का सामना करना होता है। हमारा देश पहले से अधिक सुरक्षित है, सेना का मनोबल और सीमा बंदोबस्त और बेहतर हुआ है, पिछले दिनों हम सबको इसका आभास हुआ है। पूर्व की सीमा पर और चौकसी की जरूरत है। देश के अंदर होने वाली उग्रवादी घटनाओं में कमी आई है।'
मोहन भागवत ने महिलाओं की सुरक्षा पर चिंता जताते हुए कहा, 'हमारी मातृशक्ति न घर में सुरक्षित और न ही बाहर, यह हमारे लिए शर्म जैसी स्थिति है। उन्हें स्वतंत्रता दीजिए, सहायता दीजिए, बाधा उत्पन्न मत कीजिए। उन्नति के मार्ग पर वे चल सकें, इतना बल उनके पैरों में है। घर में संस्कार का वातावरण होना चाहिए। भ्रष्टाचार कहां से आता है। व्यसन कहां दिखता है? व्यसन मुक्ति के प्रश्न का उत्तर घर के वातावरण से देना होगा।'
मोहन भागवत ने कहा कि आजकल कहा जा रहा है कि मंदी आई। मंदी है या नहीं, मुझे नहीं पता। यदि ऐसा है तो चिंता करनी चाहिए, लेकिन चर्चा करने का कोई औचित्य नहीं है। सरकार ने उपाय करते हुए संवेदनशीलता का परिचय दिया है। सरकार अकेले नहीं कर पाएगी, हमें भी कुछ करना होगा। हमारे आर्थिक क्षेत्र में कई दिग्गज लोग हैं। और वे केवल अपने मुनाफे की चिंता करने वाले लोग नहीं हैं। ऐसी किसी भी समस्या से हम आसानी से बाहर आ सकते हैं, ऐसी क्षमता हमारी है। इसका सबसे पहला उपाय यह है कि हमें खुद को सशक्त बनाना है। हम सशक्त नहीं होंगे तो बाहर के लोग भी हमारी मदद नहीं कर पाएंगे।
उन्होंने कहा, 'हम स्वदेशी वाले लोग हैं, लेकिन स्वदेशी का मतलब दुनिया से आर्थिक संबंध खत्म करना नहीं है। अपनी शर्तों पर अन्य देशों से व्यापारिक संबंध बनाने का नाम है स्वदेशी। भारत पर दुनिया का विश्वास है।'
इस मौके पर एचसीएल के संस्थापक शिव नाडर मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद थे।