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रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे पर भारत ने बांग्लादेश से कहा है कि हमें उन्हें यह समझाना होगा कि वह लंबे समय तक किसी दूसरे देश में नहीं रह सकते। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ बातचीत में पीएम नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए यह बात कही। सरकारी सूत्रों के मुताबिक उन्होंने रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए बांग्लादेश की ओर से किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।

पीएम मोदी ने कहा कि हमने भी रोहिंग्या शरणार्थियों की सामाजिक-आर्थिक मदद की है और भारत अब तक उन पर 120 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है।

पीएम मोदी ने कहा कि हमें मिलकर रोहिंग्या शरणार्थियों को समझाना होगा कि उनके हित में यही है कि वे म्यांमार वापस लौट जाएं। पीएम मोदी ने कहा कि लंबे समय तक वे दूसरे देश में ऐसी स्थितियों में नहीं रह सकते।

इस दौरान शेख हसीना ने पीएम मोदी को बांग्लादेश की ओर से रोहिंग्या शरणार्थियों को वापसी के लिए राजी करने के प्रयासों के बारे में भी जानकारी दी।

सूत्रों के मुताबिक इस दौरान बांग्लादेश ने एनआरसी के मुद्दे को भी उठाया। इस पर भारत सरकार ने कहा है कि अब भी यह प्रक्रिया चल रही है और देखना होगा कि आगे क्या परिस्थितियां पैदा होती हैं।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने मीडिया से बातचीत में बताया, 'एनआरसी को लेकर हमने यह बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ऐसा चल रहा है। इस पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। पहले प्रक्रिया को पूरा होने दीजिए।'

दोनों नेताओं की मुलाकात के दौरान कई समझौते भी हुए। इनमें से एक समझौता भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में बांग्लादेश से एलपीजी के आयात का भी है। इसके अलावा ढाका स्थित रामकृष्ण मिशन में विवेकानंद भवन का भी उद्घाटन किया गया।

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गौरतलब है कि म्यांमार के रखाइन प्रांत में 2015 में सेना और रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय के बीच हिंसक झड़पें हुई थीं। इसके बाद से लाखों की संख्या में रोहिंग्या शरणार्थियों ने म्यांमार से पलायन किया है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के मुताबिक बांग्लादेश में 7 लाख से ज्यादा रोहिंग्या अवैध रूप से बसे हैं, जबकि भारत में 40,000 रोहिंग्या शरणार्थी मौजूद हैं।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी एएनआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।