कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने देश की 'गंभीर' आर्थिक स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए मोदी सरकार पर जनादेश का 'बेहद खतरनाक' ढंग से दुरुपयोग का आरोप लगाया है। पार्टी ने इस मुद्दे को लेकर सरकार के खिलाफ 15 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक देशभर में आंदोलन का ऐलान किया है।
उन्होंने पार्टी नेताओं से कहा कि लोकतंत्र खतरे में है और सरकार उसे मिले जनादेश का गलत फायदा उठा रही है, ऐसे में सिर्फ सोशल मीडिया पर आक्रमक होना ही पयार्प्त नहीं है। पार्टी ने यह भी आरोप लगाया है कि मोदी सरकार खराब अर्थव्यवस्था से लोगों का ध्यान हटाने के लिए बदले की राजनीति कर रही है।
पार्टी मुख्यालय में कांग्रेस महासचिवों, प्रदेश अध्यक्षों, पार्टीशासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष ने कहा कि आंदोलन के जरिए मोदी सरकार को जनता के बीच बेनकाब करने की जरूरत है। सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी ने कहा, 'हमारे संकल्प और संयम की परीक्षा ली जा रही है। बीजेपी के जनता के बीच बेनकाब करने के लिए कांग्रेस को आंदोलनकारी अजेंडे पर चलने की जरूरत है।'
सूत्रों ने बताया कि बैठक में सोनिया गांधी ने कहा कि मोदी सरकार के तहत देश का लोकतंत्र खतरे में है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार खुद को मिले जनादेश का बेहत खतरनाक ढंग से दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने सरकार पर बदले की राजनीति के तहत विपक्षी नेताओं को परेशान करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आर्थिक मोर्चे पर बढ़ रहे नुकसान से ध्यान हटाने के लिए सरकार 'अभूतपूर्व बदले की राजनीति' में शामिल है।
बैठक के बाद केसी वेणुगोपाल के साथ मीडिया को संबोधित करते हुए आरपीएन सिंह ने कहा कि सरकार की गलत आर्थिक नीतियों की वजह से अर्थव्यवस्था में सुस्ती आई है। उन्होंने कहा कि पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई बैठक में सरकार के खिलाफ आंदोलन का फैसला हुआ है। कांग्रेस 15 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक देशभर में सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ आंदोलन करेगी, जिस वजह से 'अर्थव्यवस्था में सुस्ती' आई है। इसके अलावा 'आर्थिक सुस्ती' को हाईलाइट करने के लिए देशभर में 20 सितंबर से 30 सितंबर तक प्रदेश कांग्रेस कमिटी के डेलिगेट्स का कन्वेंशन होगा।
पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष चुने जाने के एक महीना बाद सोनिया की पार्टी नेताओं के साथ यह पहली बैठक थी। उनके बेटे और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं।
बैठक में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी शामिल नहीं हुए। बैठक के बाद इस पर सफाई देते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह ने कहा, 'यह बैठक महासचिवों, प्रभारी महासचिवों और प्रदेश अध्यक्षों/कांग्रेस विधायक दल के नेताओं की थी। इसमें उन्हीं को बुलाया गया।'
बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर चिंता जताई। बैठक में सोनिया के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, पार्टी के वरिष्ठ नेता एके एंटनी, अहमद पटेल, गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व पार्टी के कई महासचिव-प्रदेश प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता शामिल हुए।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।