भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार, 29 अगस्त को अपनी वार्षिक रिपोर्ट 2019 को पेश किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में चलन में मौजूद मुद्रा में 17 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। ये बढ़कर 21.10 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। साथ ही, यह भी कहा गया है कि वित्त वर्ष 2018-19 में बैंकों में 71,542.93 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 6,801 मामले सामने आए हैं।
आरबीआई की इस रिपोर्ट में आईएल एंड एफएस संकट के बारे में कहा गया है कि इसके बाद एनबीएफसी से वाणिज्यिक क्षेत्र को ऋण प्रवाह (लोन फ्लो) 20 फीसदी तक घट गया है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी माना है कि घरेलू मांग घटने से आर्थिक गतिविधियां सुस्त हुई है। इसके अलावा अर्थव्यवस्था में निजी निवेश बढ़ाने की बात पर जोर दिया गया है।
यह रिपोर्ट हर साल जारी की जाती है, जिसमें केंद्रीय बैंक के कामकाज तथा संचालन के विश्लेषण के साथ ही अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन में सुधार के लिए सुझाव दिए जाते हैं।
केंद्रीय बैंक ने कहा है कि केंद्र सरकार को अधिशेष कोष से 52,637 करोड़ रुपये देने के बाद रिजर्व बैंक के आकस्मिक कोष में 1,96,344 करोड़ रुपये की राशि बची है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि ऋण माफी, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन, आय समर्थन योजनाओं की वजह से राज्यों की वित्तीय प्रोत्साहनों को लेकर क्षमता घटी है।
बता दें कि आरबीआई ने बीते दिनों अपने डिविडेंड और सरप्लस फंड से सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर करने की घोषणा की है। इस फंड का इस्तेमाल सरकार इकॉनमी में जान फूंकने में कर सकती है। आरबीआई इस रकम का बड़ा हिस्सा यानी 1.23 लाख करोड़ रुपये सरप्लस फंड से और बाकी 52,637 करोड़ रुपये सरप्लस रिजर्व से ट्रांसफर करेगा।
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने इसी महीने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अपने अनुमान को घटाकर 6.9 प्रतिशत किया है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि अर्थव्यवस्था के समक्ष इस समय जो बड़ा सवाल हैं: वह यह कि क्या हम अस्थाई नरमी में है या यह चक्रीय गिरावट है अथवा इस सुस्ती के पीछे संरचनात्मक मुद्दे बड़ी वजह हैं?
केंद्रीय बैंक ने कहा कि नरमी का यह दौर एक गहरी संरचनात्मक सुस्ती के बजाय चक्रीय गिरावट का हो सकता है। रिजर्व बैंक ने वर्ष 2019 में महत्वपूर्ण नीतिगत दर रेपो में 1.10 प्रतिशत की कटौती की है। लगातार चार बार की गई कटौती के बाद रेपो दर 5.4 प्रतिशत पर नौ साल के निचले स्तर पर आ गई है।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि अब सभी के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता उपभोग में सुधार और निजी निवेश में बढ़ोतरी की है। रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंकिंग और गैर- बैंकिंग क्षेत्रों को मजबूत कर, बुनियादी ढांचा खर्च में बड़ी वृद्धि और श्रम कानून, कराधान और अन्य कानूनी सुधारों के क्रियान्वयन के जरिये इसे हासिल किया जा सकता है।
रिजर्व बैंक ने कहा कि कुल मांग उम्मीद से अधिक कमजोर पड़ी है। घरेलू मांग में सुस्ती से अर्थव्यवस्था में 'जोश' का अभाव है।