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PTI

दिल्ली की राउज ऐवेन्यू कोर्ट ने गुरुवार 22 अगस्त को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और देश के पूर्व वित्त और गृह मंत्री पी. चिदंबरम को 5 दिन की रिमांड पर सीबीआई को सौंपने का फैसला देते हुए उन्हें 26 अगस्त तक सीबीआई रिमांड पर भेजने का आदेश दिया। इससे पहले सीबीआई ने अदालत से पांच दिन की ही रिमांड मांगी थी। अपने फैसले में अदालत ने कहा कि इस दौरान चिदंबरम के वकील और परिजन उनसे रोजाना आधे घंटे तक मुलाकात कर सकते हैं। हर 48 घंटे में उनका मेडिकल चेकअप भी होगा। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि रिमांड के दौरान आरोपी की निजी गरिमा का हनन न हो।

न्यायाधीश ने कहा, ''साक्ष्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करते हुए मेरा मानना है कि पुलिस हिरासत उचित है।'' उन्होंने चिदंबरम को 26 अगस्त तक के लिए सीबीआई की रिमांड में दे दिया।

सीबीआई ने चिदंबरम से पूछताछ कर 'बड़ी साजिश' का खुलासा करने के लिए उनकी पांच दिनों की हिरासत मांगी थी। विशेष न्यायाधीश ने सीबीआई और चिदंबरम के वकील की जिरह को डेढ़ घंटे से अधिक समय तक सुना।

जांच एजेंसी ने उन्हें बुधवार रात घंटों चले नाटकीय घटनाक्रम के बाद उनके जोर बाग स्थित आवास से अरेस्ट किया था। जज अजय कुमार कुहाड़ की अदालत में सुनवाई के दौरान चिदंबरम के वकीलों ने उन्हें जमानत देने की मांग करते हुए तमाम दलीलें दीं, लेकिन कोर्ट ने सभी को खारिज करते हुए उन्हें रिमांड पर भेजने का फैसला सुनाया। चिदंबरम के मामले पर शाम को करीब 5 बजे तक सुनवाई और फिर अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कोर्ट में केस डायरी भी पेश की। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चिदंबरम के लिए 5 दिन की रिमांड मांगते हुए कहा था कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। इसलिए उनसे अभी और पूछताछ किए जाने की जरूरत है।

मेहता ने कहा कि चिदंबरम खासे चतुर हैं और वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे। कटघरे में खड़े चिदंबरम से जज अजय कुमार ने बैठ जाने को कहा तो इस पर उन्होंने कहा कि वह ऐसे ही ठीक हैं।

सीबीआई की दलील का वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कपिल सिब्बल के साथ मिलकर विरोध किया। सिब्बल ने अदालत से कहा : जमानत देना नियम है और अदालत के समक्ष मुद्दा व्यक्तिगत स्वतंत्रता का है। सिंघवी ने अदालत से कहा- समूचा मामला इंद्राणी मुखर्जी के बयान पर आधारित है जो अब सरकारी गवाह बन चुकी है। सिंघवी ने कहा कि चिदंबरम से हिरासत में पूछताछ की जरूरत नहीं है क्योंकि सीबीआई ने सबूत से छेड़छाड़ का कोई आरोप नहीं लगाया है।

सॉलिसिटर जनरल ने चिदंबरम की दलीलों का विरोध किया और कहा कि अदालत के सामने सब समान हैं। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि मामले में कुछ तथ्यों के बारे में खुली अदालत में नहीं बताया जा सकता है।

पी. चिदंबरम के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने उन्हें बोलने देने की मांग की। एसजी तुषार मेहता के विरोध के बाद भी उन्हें बोलने का मौका मिला। चिदंबरम ने कहा कि कृपया आप सवालों और जवाबों को देखिए। ऐसा कोई सवाल नहीं है, जिसका मैंने जवाब न दिया हो। आप ट्रांस्क्रिप्ट पढ़िए। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मेरा बाहर कहीं कोई खाता है, मैंने कहा नहीं। उन्होंने पूछा कि क्या मेरे बेटे का विदेश में कोई खाता है, मैंने कहा, हां।

इससे पहले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आईएनएक्स मीडिया घोटाले से जुड़े दस्तावेजों को सामने रखकर चिदंबरम से पूछताछ की जाएगी। उन्होंने चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने वाला दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला अदालत के समक्ष पेश किया।

मेहता ने कहा कि मामले में आरोप पत्र दायर किया जाना बाकी है और हमें उस सामग्री की आवश्यकता है जो चिदंबरम के पास है। मेहता ने अदालत से कहा कि गंभीर अपराध किए गए, कुछ सवालों के जवाब हासिल करने के लिए हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है ताकि प्रभावी जांच की जा सके।

तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि लेन-देन का पता लगाने और बड़े षड्यंत्र का पर्दाफाश करने के लिए चिदंबरम को हिरासत में लेकर पूछताछ करना जरूरी है। सीबीआई ने अदालत से कहा कि घोटाले में वित्तीय लेन-देन किया गया और इसकी जांच किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आईएनएक्स मीडिया घोटाला धनशोधन का गंभीर और बड़ा मामला है।

चिदंबरम की पत्नी नलिनी, उनके बेटे कार्ति सहित परिवार के अन्य सदस्य भी उनके वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ अदालत कक्ष में मौजूद थे । चिदंबरम के वित्त मंत्री रहने के दौरान आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी दिलाने में बरती गई कथित अनियमितताओं को लेकर सीबीआई ने 15 मई 2017 को एक प्राथमिकी दर्ज की थी। यह मंजूरी 2007 में 305 करोड़ रूपये का विदेशी धन प्राप्त करने के लिए दी गई थी। इसके बाद, ईडी ने भी 2018 में इस सिलसिले में धनशोधन का एक मामला दर्ज किया था।