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एकदिवसीय क्रिकेट में जब से दो नई गेंदों का नियम आया है तब से इस खेल के कई जानकार और पूर्व खिलाड़ी इसका विरोध कर चुके हैं, क्योंकि अक्सर ऐसा देखा गया है कि इससे बल्लेबाजों को फायदा मिलता है जबकि गेंदबाजों को गेंद को रिवर्स स्विंग कराने में मुश्किल होती है। हालांकि इंग्लैंड में विश्व कप 2019 जीतने का सपना लेकर उत्तरी भारतीय टीम ने इस समस्या का सही रास्ता ढ़ूंढ लिया है।

समाचार एजेंसी आईएएनएस की खबर के मुताबिक, भारतीय टीम की रणनीति है कि जब भी सीमारेखा के पास से गेंद थ्रो की जाएगी वह एक टप्पे यानी वन बाउंस में की जाएगी, जिससे गेंद वक्त के साथ अपनी चमक खो बैठेगी और गेंदबाजों को पकड़ बनाने में मदद मिलेगी साथ ही रिवर्स स्विंग में भी मदद मिलेगी।

वन बाउंस की रणनीतिपर भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाज लोकेश राहुल ने कहा, 'जितने ओवर फेंके जाएंगे उतनी ही गेंद पुरानी होती जाएगी। हां, जब आप फील्डिंग करते हो और गेंद को एक टप्पे में भेजते हो तो इससे गेंद पुरानी होती है। इसके अलावा हम गेंद को पुरानी करने के लिए कुछ और नहीं कर सकते।' बांग्लादेश के खिलाफ खेले गए मैच में चार विकेट लेने वाले गेंजबाज जसप्रीत बुमराह ने भी राहुल की बात का समर्थन किया है।

इस तेज गेंदबाज ने कहा, 'हमारा ध्यान स्पिनरों के आने तक गेंद को जल्द से जल्द पुरानी करने पर होता है। यही हमारी रणनीति थी। नई गेंद ज्यादा कुछ कर नहीं रही थी। गेंद जितनी पुरानी होगी विकेट भी धीमी हो जाएगी। हम जानते थे कि एक बार गेंद पुरानी हो गई तो उसे मारने में आसान नहीं होगा।'

वनडे में दो नई गेंदों को लेकर पहले महान बल्लेबाज सचिन तेंडुलकर भी आलोचक रवैया अपना चुके हैं। सचिन ने एक बार कहा था, 'वनडे क्रिकेट में दो नई गेंदें होना खात्मे की तैयारी के लिए सबसे सही है, क्योंकि एक भी गेंद को पुरानी होने का समय नहीं मिलेगा, जिससे वो रिवर्स स्विंग हो सके। हमने काफी लंबे समय से रिवर्स स्विंग नहीं देखी जो अंत के ओवरों का अहम हिस्सा हुआ करती थी।'

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी आईएएनएस द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।