देश में कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में रविवार तक 3,374 लोगों के आने के साथ ही इसके संक्रमण का दायरा देश के 272 जिलों तक पहुंच गया है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक कोरोना से मरने वालों की संख्या 79 तक पहुंच गई।
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि पिछले 24 घंटे में कोरोना के 472 नये मामले सामने आये हैं, जबकि इस अवधि में 11 मरीजों की मौत भी हुयी है। उन्होंने बताया कि कोरोना के अब तक 266 मरीज स्वस्थ हो गए हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है, वहीं एक अन्य मरीज दूसरे देश चला गया है।
अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली में हाल ही में तबलीगी जमात की घटना के कारण संक्रमण फैलने की दर में इजाफा हुआ। इस कारण संक्रमित मरीजों की संख्या कम समय में ही दोगुना हो गयी। उन्होंने कहा कि अगर यह घटना नहीं हुयी होती तो संक्रमण के मामले दोगुना होने में 7.4 दिन का औसत समय लगता, जबकि इस घटना के कारण मरीजों की संख्या दोगुना होने में 4.1 दिन का ही औसत समय लगा।
अग्रवाल ने कहा कि कोरोना का संक्रमण रोकने के लिये देशव्यापी लॉकडाउन को प्रभावी बनाने के प्रयासों की, सरकार निरंतर समीक्षा कर रही है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में रविवार को कैबिनेट सचिव ने जिला स्तर पर लॉकडाउन को प्रभावी बनाने की समीक्षा करने के लिये सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों सहित राज्य सरकारों के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिये बैठक की।
अग्रवाल ने कहा कि अब तक देश के 272 जिलों में कोरोना के मरीज सामने आने के मद्देनजर जिलाधिकारियों को तत्काल जिला स्तर पर आपदा प्रबंधन कार्ययोजना बनाकर अमल में लाने को कहा गया है।
उन्होंने बताया कि संक्रमण को रोकने के लिये भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईसीएमआर) ने परामर्श जारी कर लोगों से सार्वजनिक स्थलों पर नहीं थूकने, धूम्रपान करने से बचने और गुटखा आदि तंबाकू पदार्थों का सेवन करने से बचने को कहा है। आईसीएमआर ने कहा है कि सार्वजनिक स्थलों पर थूकने से कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
अग्रवाल ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों के पालन को कोरोना से बचाव की सर्वश्रेष्ठ उपलब्ध वैक्सीन बताते हुये इनका पालन करने की अपील की है।
इस दौरान गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने राज्य सरकारों के स्तर पर लॉकडाउन का पालन सुनिश्चित कराने के प्रयासों की सराहना करते हुये बताया कि मंत्रालय प्रवासी मजदूरों की समस्याओं के त्वरित समाधान कर रहा है।
श्रीवास्तव ने बताया कि प्रवासी मजदूरों को भोजन और आश्रय सुविधा मुहैया कराने के लिये देश भर में लगभग 28 हजार राहत केन्द्र संचालित हो रहे हैं। इनमें लगभग 24 हजार सरकारी और शेष सामाजिक संगठनों द्वारा संचालित हैं। उन्होंने कहा कि इन केन्द्रों में 12.5 लाख लोगों को भोजन और आश्रय की सुविधा दी गयी है। इसके अलावा गरीबों को भोजन उपलब्ध कराने के लिये देश में 19460 विशेष 'फूड कैंप' भी चल रहे हैं, जिनके माध्यम से प्रतिदिन लगभग 75 लाख लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। वहीं विभिन्न कारखानों एवं अन्य स्थानों पर कार्यरत लगभग 13.5 मजदूरों को उनके नियोक्ताओं द्वारा भोजन सुविधा दी जा रही है।
संवाददाता सम्मेलन में मौजूद आईसीएमआर के रमन आर गंगाखेड़कर ने बताया कि कोरोना के त्वरित परीक्षण के लिये 'रेपिड टेस्ट किट' की आपूर्ति बुधवार से शुरु होने की उम्मीद है। इस किट की उपलब्धता के बाद संक्रमण के अधिक प्रभाव वाले इलाकों से 'त्वरित परीक्षण' प्रणाली से जांच शुरू कर दी जाएगी।
चिकित्साकर्मियों की निजी सुरक्षा के लिये इस्तेमाल होने वाली पीपीई किट की राज्यों में कमी के सवाल पर अग्रवाल ने कहा कि पीपीई का पहले सिर्फ आयात होता था। लेकिन इस साल जनवरी से पीपीई का घरेलू उत्पादन भी शुरू किया गया है। साथ ही इसकी उपलब्धता को मांग के अनुरूप बनाये रखने के लिये विदेशों से आयात भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पीपीई की कमी को जल्द दूर कर मांग के अनुरूप आपूर्ति बहाल हो जायेगी।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.