भारतीय वायु सेना (IAF) अपने घटते हुए स्क्वाड्रनों को मजबूती देने के क्रम में रूस से उन्नत मिग-29 लड़ाकू विमानों के एक नए स्क्वाड्रन को खरीदने की योजना बना रही है। भारतीय वायुसेना अभी भी मिग -29, मिराज 2000 और जगुआर का उपयोग कर रही है जो इसकी वायु श्रेष्ठता को बुरी तरह से प्रभावित कर रहे हैं।
इस वक्त भारतीय वायुसेना के पास 3 स्क्वाड्रनों में कुल 69 मिग-29 लड़ाकू विमान हैं.
बिजनेस स्टैंडर्ड के अनुसार, इन 21 मिग -29 विमानों को 1970 के दशक में रूस की कंपनी आरएसी मिग द्वारा निर्मित किया गया था। हालांकि तब रूसी वायु सेना पैसों की कमी के कारण इन विमानों को नहीं खरीद पाई थी।
इन मिग-29 को पिछले तीन दशकों से अप्रयुक्त रखा गया है। यहाँ तक कि उनके पंखों को भी उनके शरीर से अलग रखा गया है। हाल ही में, रूसी निर्माता ने भारतीय वायुसेना को उन्हें प्रारंभिक मूल्य पर खरीदने के लिए आमंत्रित किया था, जो $25 मिलियन (175 करोड़ रुपये) से कम है। यहाँ पर ध्यान देने लायक विशेष बात यह है कि भारत का बना तेजस मार्क 1 लड़ाकू विमान भी इस राशि से अधिक महंगा है।
आईएएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "भारतीय वायुसेना की एक उच्च-स्तरीय टीम रूस से वापस आ गई है, जहां हमने मिग -29 को उत्कृष्ट स्थिति में पाया। वे हमारे बेड़े में एक उत्कृष्ट स्थान बना सकते हैं और हम एक सकारात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत कर रहे हैं।"
सूत्रों के मुताबिक, इन सभी मिग -29 विमानों को नई तकनीक के तहत अपग्रेड किया जाएगा। इन विमानों में आसमान से ज़मीन पर हमला करने की क्षमता बढ़ाई जाएगी. उनकी रेंज बढ़ाने के साथ उन्हें अधिक घातक हथियारों से भी लैस किया जाएगा।
21 मिग-29 की डील रूस के साथ फाइनल हो जाती है तो मिग अपग्रेडेड वर्जन के साथ तैयार किया जाएगा। भारतीय वायु सेना 2008 में 3842 करोड़ रुपये की लागत से करीब 62 मिग अपग्रेड कराने की डील साइन कर चुकी है, जो तय समय से करीब 5 साल पीछे चल रही है।
हालांकि, यह संख्या तेजी से कम होगी, क्योंकि 6 पुराने मिग-21 और मिग-27 स्क्वॉड्रन 2024 तक समय-समय पर रिटायर हो जाएंगे। एयर मार्शल खोसला ने कहा, '36 राफेल के आने से जरूरत पूरी नहीं होगी। इसीलिए इंडियन एयरफोर्स स्वदेशी तेजस फाइटर को भी तैयार कर रही है।'
इंडियन एयरफोर्स ने शुरुआत में 40 तेजस फाइटर्स का ऑर्डर दिया है। इसके अलावा 43 सुधारों के साथ 83 तेजस मार्क-1ए जेट्स भी मंगाए जा रहे हैं। इन 123 तेजस के डिवेलपमेंट और निर्माण में कुल 75,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इनमें से अभी केवल 12 की डिलीवरी हुई है।
इससे पहले टाइम्स ऑफ इंडिया ने रिपोर्ट में बताया था कि इंडियन एयरफोर्स 201 तेजस मार्क-II को मंगाने की भी सोच रही है अगर इन्हें ज्यादा बेहतर उड़ान और राडार, ज्यादा ईधन और हथियार ले जाने की क्षमता के साथ-साथ दमदार इंजन वाले पूरी तरह नए फाइटर्स के साथ आएं।