केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार 23 सितंबर को कहा कि वर्ष 2021 में होने वाली भारत की अगली जनगणना में एक मोबाइल ऐप का इस्तेमाल किया जाएगा। शाह ने कहा, "सन 1865 में सबसे पहले जनगणना की गई तब से लेकर आज 16वीं जनगणना होने जा रही है। कई बदलाव और नई पद्धति के बाद आज जनगणना डिजिटल होने जा रही है। 2021 में जो जनगणना होगी इसमें हम मोबाइल एप का भी प्रयोग करेंगे।"
Union Home Minister Amit Shah: A digital application, an app will be used for population census in the year 2021. It will be transformation from paper to digital census. pic.twitter.com/Xn992vekGz
— ANI (@ANI) 23 September 2019
इसके अलावा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने को सभी नागरिकों के लिए एक बहुउद्देश्यीय पहचान पत्र का विचार रखा जिसमें आधार, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस और बैंक खाते जैसी सभी सुविधाएं जुड़ी हों। उन्होंने कहा, ''आधार, पासपोर्ट, बैंक खाते, ड्राइविंग लाइसेंस, और वोटर कार्ड जैसी सभी सुविधाओं के लिए एक ही कार्ड हो सकता है। इसकी संभावनाएं हैं।"
सोमवार को दिल्ली में रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के नए दफ्तर का शिलान्यास करते हुए उन्होंने कहा, 'आखिर हमारे पास आधार, पासपोर्ट, बैंक अकाउंट, ड्राइविंग लाइसेंस और वोटर कार्ड के लिए एक ही कार्ड क्यों नहीं हो सकता है। ऐसा सिस्टम होना चाहिए कि सभी डेटा को एक ही कार्ड में रखा जा सके। ऐसा संभव है। इसलिए डिजिटल जनगणना की जरूरत है।'
बता दें कि पहाड़ी राज्य जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में 1 अक्टूबर, 2020 से जनगणना की प्रक्रिया शुरू होगी, जबकि शेष भारत में 1 मार्च, 2021 से जनगणना होगी।
देशभर में 16 भाषाओं में जनगणना का काम होगा और इस पर कुल 12,000 करोड़ रुपये की लागत आएगी। अमित शाह ने कहा कि 2021 की जनगणना का डेटा भविष्य के भारत की योजना का आधार होगा। बता दें कि मार्च में सरकार ने बताया था कि देश की जनगणना इसबार दो चरणों में होगी। सेंसस 2021 का प्री-टेस्ट 12 अगस्त 2019 को शुरू हुआ था जो इस महीने के आखिर में खत्म होगा।
शाह ने अपने भाषण में बताया कि जनगणना के काम में कुल 33 लाख लोगों की मदद ली जाएगी, जो घर-घर जाकर आंकड़े जुटाएंगे। शाह ने कहा, 'जनगणना एक बोरिंग काम नहीं है। इसकी मदद से सरकार लोगों तक अपनी योजनाएं पहुंचा पाती है। नैशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर (NPR) की मदद से सरकार को देश की समस्याएं हल करने में मदद मिलती है।'
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सन् 1865 में सबसे पहले जनगणना की गई तब से लेकर आज 16वीं जनगणना होने जा रही है। कई बदलाव और नई पद्धति के बाद आज जनगणना डिजिटल होने जा रही है। उन्होंने कहा कि "पेपर जनगणना से डिजिटल जनगणना का transformation होने का काम 2021 की जनगणना के बाद समाप्त होगा। जनगणना का डिजिटल डाटा उपलब्ध होने से अनेक प्रकार के विश्लेषण के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं।"
अमित शाह ने कहा, "साल 2014 में नरेन्द्र मोदी जी के देश के प्रधानमंत्री बनने के बाद हमारे सोचने की क्षमता में बदलाव होने लगा। देश को समस्याओं से मुक्त किया जाए, ऐसी प्लानिंग की शुरुआत 2014 के बाद हुई। इससे जनगणना रजिस्टर के सही उपयोग की शुरुआत हुई। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसी योजना भी जनगणना से ही जन्म लेती है। कम लिंगानुपात वाले राज्यों में जन जागृति फैलाना, गर्भपात के कानून को कठोर बनाना, जैसे कई प्रयास किये जाते हैं।"
गृह मंत्री ने कहा कि इस तरह की प्रणाली भी होनी चाहिए जिसमें किसी व्यक्ति की मृत्यु होते ही यह जानकारी जनसंख्या आंकड़े में अपडेट हो जाए। उन्होंने कहा, 'आधार, पासपोर्ट, बैंक खाते, ड्राइविंग लाइसेंस, और वोटर कार्ड जैसी सभी सुविधाओं के लिए एक ही कार्ड हो सकता है। इसकी संभावनाएं हैं।'