एक ऑनलाइन सर्वेक्षण के मुताबिक 2019 के आगामी लोकसभा चुनाव के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार दोबारा सत्ता में वापस आएगी। टाइम्स ग्रुप के ऑनलाइन पोल में भाग लेने वाले लगभग 83 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन सरकार को एक और कार्यकाल मिलेगा। 11 फरवरी से 20 फरवरी के बीच हुए इस पोल में पूरे भारत में लगभग 2 लाख लोगों ने भाग लिया।
सर्वेक्षण के नतीजों से जाहिर होता है कि 83 प्रतिशत लोगों ने 2019 के चुनाव में भी बीजेपी के शानदार प्रदर्शन और पीएम मोदी के नेतृत्व में एक बार फिर एनडीए की सरकार बनने की उम्मीद जताई है।
देश में आगामी कुछ सप्ताहों में लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने की संभावना है। इस बीच टाइम्स ग्रुप के सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले तीन-चौथाई से अधिक लोगों (83.89 प्रतिशत) ने पीएम मोदी को भी अब भी इस पद के लिए पहली पसंद बताया और कहा कि अगर आज चुनाव होता है तो पीएम पद के लिए वह उनकी पहली पसंद होंगे। करीब इतने ही लोगों (83.03 प्रतिशत) का मानना है कि चुनाव के बाद पीएम मोदी की अगुवाई में ही एनडीए सरकार बनेगी।
आगामी चुनाव में बीजेपी के संख्या बल में कमी आने और विपक्षी महागठबंधन की जोर-आजमाइश के बीच किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में पीएम पद के लिए ममता बनर्जी सहित कई अन्य नामों को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही हैं, पर सर्वेक्षण के नतीजे चौंकाते हैं, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित कई अन्य विपक्षी नेता इस दौड़ में पीएम मोदी के काफी पीछे नजर आ रहे हैं।
सर्वेक्षण में जहां पीएम मोदी को करीब 84 प्रतिशत लोगों ने एक बार फिर प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी पसंद बताया, वहीं राहुल गांधी को पसंद करने वालों की तादाद 8.33 प्रतिशत और ममता बनर्जी को इस पद के लिए पसंद करने वालों की संख्या 1.44 प्रतिशत रही। बसपा अध्यक्ष मायावती इस दौड़ में बहुत पीछे नजर आती हैं, उन्हें केवल 0.43 प्रतिशत लोगों ने पीएम पद के लिए अपनी पसंद बताया है, जबकि 5.9 प्रतिशत लोगों का कहना है कि कोई अन्य नेता भी 2019 चुनाव के बाद पीएम हो सकते हैं।
'TOI' के अनुसार, सर्वे के दौरान राहुल गांधी को लेकर जब लोगों से यह सवाल किया गया कि क्या उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष 2014 के मुकाबले आज अधिक लोकप्रिय नजर आते हैं, तो इसके जवाब में 63.03 प्रतिशत ने कहा 'नहीं', जबकि 31.15 प्रतिशत लोगों ने इस सवाल का जवाब 'हां' में दिया।
सर्वे में लोग मोदी सरकार के कामकाज से संतुष्ट नजर आते हैं। करीब 59.51 प्रतिशत लोगों ने उनके काम को 'बहुत अच्छा', 22.29 प्रतिशत लोगों ने 'अच्छा' बताया तो केवल 9.94 प्रतिशत लोगों ने मोदी सरकार के कामकाज से नाखुशी जताई और 8.25 प्रतिशत लोगों ने इसे 'औसत' बताया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल को कन्नड़भाषियों ने सबसे ज्यादा पंसद किया है। 75.44% कन्नड़भाषी लोग मोदी सरकार के कार्यकाल को 'बहुत बढ़िया' मानते हैं। यह आंकड़ा अन्य भाषाओं के मुकाबले सबसे ज्यादा है। अगर बात उनके कार्यकाल में 'खराब' की जाए तो महज 5.95% कन्नड़भाषी मोदी सरकार को पंसद नहीं करते हैं। यह दूसरी भाषाओं के मुकाबले कहीं बहुत कम है। अगर बात मोदी सरकार के कार्यकाल को 'खराब' मानने वालो की जाए तो सबसे ज्यादा तेलुगु और मलयालमभाषी हैं। 33.22% तेलुगुभाषी और 43.18% मलयालमभाषी मोदी सरकार के कार्यकाल को 'खराब' मानते हैं।
लोगों ने गरीबों के लिए मोदी सरकार के काम (34.39 प्रतिशत), जीएसटी (29.09 प्रतिशत), स्वच्छ भारत योजना (18.68 प्रतिशत) और सर्जिकल स्ट्राइक्स (17.84 प्रतिशत) को मोदी सरकार की सफलता माना तो अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर कोई प्रगति नहीं होने (35.72 प्रतिशत), बेरोजगारी (29.52 प्रतिशत), नोटबंदी (13.5 प्रतिशत), असहिष्णुता में बढ़ोतरी (12.57 प्रतिशत) को उनकी सरकार की नाकामी के तौर पर लिया।
सर्वे में राफेल मुद्दे को भी शामिल किया गया, जिसे लेकर कांग्रेस लगातार पीएम मोदी के खिलाफ हमलावर तेवर अपनाए हुए है। लेकिन सर्वे में शामिल केवल 17.51 प्रतिशत लोगों ने कहा कि यह मुद्दा बीजेपी को प्रभावित करेगा, जबकि 74.59 फीसदी लोगों ने कहा कि इसका चुनाव में बीजेपी पर कोई असर नहीं होगा। वहीं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के सवाल पर 72.66 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इसका फायदा चुनाव में बीजेपी को मिल सकता है।
यहां उल्लेखनीय है कि इस सर्वे में हालांकि करीब पांच लाख लोगों ने हिस्सा लिया, पर इसमें निष्पक्षता बरकरार रखने के लिए ई-मेल आईडी से लॉग-इन कर वोट करने की शर्त निर्धारित की गई थी। सर्वेक्षण के सटीक नतीजे के लिए विभिन्न शर्तों को ध्यान में रखते हुए ई-मेल आईडी से लॉग-इन करने वाले केवल दो लाख लोगों के वोट को ही इसमें शामिल किया गया। यह सर्वेक्षण 11 से 20 फरवरी के बीच टाइम्स ग्रुप की 13 मीडिया प्रोपर्टीज के जरिये 9 भाषाओं में किया गया। इस दौरान यह भी सुनिश्चित किया गया कि एक बार में केवल एक व्यक्ति ही वोट डाल सके।
इस सिलसिले में यह जिक्र करना भी वांछनीय होगा कि यह पोल केवल ऑनलाइन ऑडियंस के लिए था। यह भी तय है कि इसके नतीजे देश के सभी वर्ग के भारतीय मतदाताओं का प्रतिनिधित्व नहीं करते, पर इससे मतदाताओं के एक बड़े वर्ग के मूड को समझा जा सकता है। सर्वेक्षण के दौरान इसके सैंपल को विविधताओं से भरा बनाए रखने की कोशिश की गई