-
ANI

भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में ही नहीं बल्कि कांग्रेस की अगुवाई वाले महागठबंधन में भी सीटों को लेकर सहयोगी दलों ने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं. उत्तर प्रदेश और बिहार से लेकर कर्नाटक तक में पांच ऐसे राज्य हैं, जिनमें से कई राज्यों में कांग्रेस अभी तक अपने सहयोगी तय नहीं कर सकी और कई राज्य ऐसे हैं जहां सहयोगी दलों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर दंगल मचा हुआ है.

बिहार में एनडीए के सहयोगी बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी के बीच सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय हो गया है. वहीं, महागठबंधन में कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी, जीतन राम मांझी की हम और शरद यादव शामिल हैं. इन दलों के अलावा कांग्रेस मधेपुरा से सांसद पप्पू यादव को अपने साथ जोड़ने की कोशिश में है.

सूत्रों की मानें तो मांझी पूर्णिया लोकसभा सीट पर दावा कर रहे हैं. इस सीट पर अभी जेडीयू से संतोष कुमार सांसद हैं. मांझी का दावा है कि इस सीट पर 6 लाख दलित मतदाता हैं, ऐसे में ये सीट उन्हें मिलनी चाहिए. कांग्रेस चाहती है कि पप्पू यादव को मधेपुर की जगह इस बार पूर्णिया से चुनाव लड़े ताकि मधेपुरा सीट शरद यादव को दी जा सके.

हालांकि पप्पू यादव मौजूदा समय में मधेपुरा से सांसद हैं, लेकिन इससे पहले पूर्णिया सीट से 1996 और 1999 में चुनाव जीत चुके हैं. इसी के चलते पूर्णिया सीट पप्पू यादव को देना चाहती है, लेकिन मांझी के दावे के बाद कांग्रेस पसोपेश में पड़ गई है. इसके अलावा आरजेडी, कांग्रेस और आरएलएस के बीच भी अभी तक कोई सीट शेयरिंग तय नहीं हो सकी है.

महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी मिलकर लोकसभा चुनावी मैदान में उतरना चाहती हैं, लेकिन अभी तक सीट शेयरिंग को लेकर दोनों दलों के बीच सहमति नहीं बन सकी है. एनसीपी नेता अजीत पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में 48 लोकसभा सीटों में से 8 को लेकर कांग्रेस के साथ बातचीत पूरी नहीं हो सकी है. इन सीटों में पुणे और अहमदनगर सीट भी शामिल है.

जबकि कांग्रेस नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल के बेटे सुजय विखे पाटिल कह चुके हैं कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अगर उन्हें अहमदनगर सीट से नहीं उतारती है तो वह किसी अन्य पार्टी के टिकट पर भी चुनाव लड़ सकते हैं. वहीं, इस सीट को लेकर एनसीपी भी दबाव बनाने में जुटी है.

कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस मिलकर सरकार चला रही हैं, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में दोनों साथ लड़ेंगे या नहीं इसे लेकर तस्वीर साफ नहीं है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने गुरुवार को कहा कि जनता दल (सेक्यूलर) ने 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस से सीट साझा करने के मुद्दे पर अभी तक कोई चर्चा नहीं की है.

उत्तर प्रदेश में अभी तक तय ही नहीं है कि कांग्रेस किसके साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरेगी. जबकि सपा-बसपा बिना कांग्रेस को साथ लिए चुनाव गठबंधन करने की रणनीति पर काम कर रही है. ऐसे में होता है तो फिर कांग्रेस के पास अकेले या छोटे दलों के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरने का विकल्प बचता है. ऐसे में कांग्रेस के विपक्षी एकता को बड़ा झटका लग सकता है.

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस वामपंथी दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी या फिर ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के साथ गठबंधन करेगी? इसे लेकर तस्वीर साफ नहीं है. हालांकि, कांग्रेस दोनों पार्टियों के साथ बेहतर तालमेल बनाकर चल रही है, लेकिन यह भी सच है कि मौजूदा समय में बंगाल की राजनीति में वामपंथी दलों से ज्यादा टीएमसी मजबूत है.