सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीरREUTERS/Chris Wattie

कनाडा में रह रहे भारतीयों ने इस साल बड़ी संख्या में पर्मानेंट सिटिजनशिप लेने की तरफ कदम बढ़ाए हैं. सिटिजनशिप आवेदकों में पिछले साल के मुकाबले बड़े नाटकीय तरीके से करीब 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार अक्टूबर 2018 तक पिछले 10 महीनों के आंकड़ों के मुताबिक, करीब 15 हजार भारतीयों ने कनाडाई सिटिजनशिप हासिल की. साल 2017 के मुकाबले यह करीब 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी है. जन्म के देश के तौर पर भारत की ओर से कनाडाई नागरिकता हासिल करने के लिए दूसरे सबसे ज्यादा आवेदन मिले.

फिलीपींस इस लिस्ट में पहले नंबर पर है लेकिन अंतर कुछ खास नहीं है. इस दौरान (अक्टूबर तक 10 महीने) 15600 फिलीपींस नागरिकों ने कनाडा की सिटिजनशिप हासिल की. इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर ईरान (7,921) है। जबकि चौथे नंबर पर चीन (7,609) है.

आंकड़ों के अनुसार, 30 अक्टूबर तक पिछले 10 महीनों में 1.39 लाख पर्मानेंट रेजिडेंट ने कनाडाई नागरिकता हासिल की. इसमें भारतीयों की संख्या 11 प्रतिशत रही.

यह प्राथमिक तौर पर मिले आंकड़े हैं और फाइनल नंबर इससे कहीं ज्यादा हो सकते हैं. हालांकि 2015 के मुकाबले यह काफी कम है जब रेकॉर्ड 28 हजार भारतीयों ने कनाडाई नागरिकता हासिल की थी.

माइग्रेशन ब्यूरो कॉर्प के एमडी और इमिग्रेशन लॉ स्पेशलिस्ट तल्हा मोहानी ने बताया कि अक्टूबर 2017 के बाद से कनाडाई नागरिकता के लिए आवेदन देना आसान हो गया है. उन्होंने बताया कि एक पर्मानेंट रेजिडेंट को अब 5 में से केवल 3 साल तक कनाडा में मौजूद रहना होता है.

एनपीजेड लॉ ग्रुप में मैनेजिंग अटॉर्नी डेविड ने बताया कि एक कनाडाई पासपोर्ट (सिटिजनशिप) किसी व्यक्ति को ट्रेड नैशनल (टीएन) वीजा के लिए आवेदन देने के योग्य बनाता है जिससे अमेरिका में काम करने की अनुमति भी मिल जाती है. हालांकि यह एच-1बी वर्क वीजा की तरह होता है. इस बीच बड़ी संख्या में ऐसे कई लोग हैं जो काम के लिए रोज कनाडा से यूएस जाते हैं.