पूर्ववर्ती भारतीय शहर बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर का परिसर.
पूर्ववर्ती भारतीय शहर बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर का परिसर.रायटर्स

बिहार के पटना की एक एनआईए अदालत ने 2003 के बोधगया सीरियल बम विस्फोट मामले में शुक्रवार, 1 जून को अपना फैसला सुनाया और सभी पांचों आरोेपियों को ताउम्र जेल में रहने की सजा सुनाई.

न्यायाधीश मनोज कुमार सिन्हा ने 25 मई को इम्तियाज अंसारी, हैदर अली, मुजीबुल्लाह, ओमर सिद्दिकी और अजहरुद्दीन कुरैशी को भारतीय दंड संहिता, गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम और विस्फोटक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत दोषी ठहराया था.

सिद्दीकी और कुरैशी मूल रूप से छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं जबकि बाकी सभी झारखंड के रहने वाले बताए जा रहे हैं.

घटना के समय नाबालिग रहे छठे आरोपी तौफीक अहमद को इससे पूर्व रिमांड होम में तीन वर्ष की कैद की सजा सुनाई गई थी.

टाईम्स आॅफ इंडिया ने बीते सप्ताह सजा सुनाये जाते समय स्पेशल पब्लिक प्रोसीक्यूटर के हवाले से लिखा, ''सभी दोषी स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट आॅफ इंडिया (सिमी) के सदस्य थे. इसके अलावा इनके संबंध इंडियन मुजाहिदीन के साथ भी थे.''

इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान कुल 90 गवाहों से पूछताछ की गई और यह बात भी सामने आई कि उस समय के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की पटना के गांधी मैदान में आयोजित हुई हुंकार रैली में हुए सीरियल बम धमाकों में भी इन पांचों का ही हाथ था.

इसके अलावा इन दोषियों ने मंदिर परिसर में 13 आईईडी लगाए थे जिनमें से 10 में हुए विस्फोटों में पांच लोग और दो बौद्ध भिक्षु घायल हुए थे.

इन पांच दोषियों और नाबालिग आरोपी के अलावा इस मुकदमें में तारिक अंसारी नामक एक और व्यक्ति भी शामिल था जिसकी हुंकार रैली के दौरान हुए विस्फोट में मौत हो गई थी.

सिन्हा ने आगे बताया, ''हैदर और मुजीबुल्लाह बोधगया विस्फोट के मास्टरमाईंड थे. इनका मकसद म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों पर हो रही कथित ज्यादतियों का बदला लेना था. रांची में इन दोनों के रुकने वाले ईरम होटल से विस्फोटक पदार्थ और मंदिर का नक्शा भी बरामद किया गया था. इस नक्शे में चिन्हित किये गए स्थानों पर आईईडी फिट की गई थी.''