सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीरIANS File Photo

योग गुरु रामदेव के स्वमित्व वाली कंपनी पतंजलि आयुर्वेद की बिक्री में जबरदस्त तरीके से गिरावट देखने को मिल रही है. इसके कारण पतंजलि के प्रॉफिट पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. कंपनी के सूत्रों की माने तो मार्च 2018 में खत्म वित्त वर्ष में अच्छी-खासी कमी आई. इसकी एक वजह यह बताई जा रही है कि पतंजलि को जवाब देने के लिए खासतौर पर मल्टीनैशनल कंपनियों ने बड़े पैमाने पर नेचुरल और हर्बल प्रॉडक्ट्स लॉन्च किए.

इन सबके बीच पतंजलि गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स लागू होने के बाद डिस्ट्रीब्यूशन के मोर्चे पर दिक्कतों में फंसी रही. रिसर्च प्लैटफॉर्म टॉफलर से मिले फाइनैंशल डेटा के मुताबिक, फिस्कल इयर 2017-18 में पतंजलि की आमदनी 10 प्रतिशत गिरकर 8,135 करोड़ रुपये रह गई, जो सालभर पहले 9,030 करोड़ रुपये थी. 2013 के बाद यह कंपनी का सबसे कमजोर परफॉर्मेंस रहा. उस साल कंपनी की ऐनुअल सेल डबल हो गई थी.

केयर रेटिंग्स के प्रविजनल डेटा के मुताबिक, फिस्कल इयर 2017-18 में कंपनी का नेट प्रॉफिट भी लगभग 50 प्रतिशत की गिरावट के साथ 529 करोड़ रह गया. केयर रेटिंग्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पतंजलि के टर्नओवर में गिरावट की सबसे बड़ी वजह जीएसटी सिस्टम के हिसाब से समय पर खुद को ढाल पाने में नाकामी है. कंपनी ठोस इन्फ्रास्ट्रक्चर और सप्लाई चेन डिवेलप करने में भी नाकामयाब रही.

कंपनी की प्रॉफिटेबिलिटी में तेज गिरावट की सबसे बड़ी वजह प्रॉफिट बिफोर इंट्रेस्ट, लीज, डेप्रिसिएशन ऐंड टैक्स मार्जिन में आई कमी थी. एक्सपैंशन के चलते बढ़े अन्य खर्च और खासतौर पर सेलिंग और डिस्ट्रीब्यूशन एक्सपेंस में बढ़ोतरी के चलते कंपनी का पीबीआईएलडीटी मार्जिन एफवाई17 के 18.73 प्रतिशत से घटकर 11.98 प्रतिशत रह गया.

ऐनालिस्टों का कहना है कि कंपनी ने स्टेपल, पर्सनल केयर और बिस्किट जैसे बिजनस वर्टिकल के लिए अलग-अलग डिस्ट्रीब्यूटर्स अपॉइंट किए हैं जिसके चलते इसे सविज़्सिंग लेवल पर दिक्कत आ रही है. आईआईएफएल इस्टीट्यूशनल इक्विटीज की तरफ से जारी इन्वेस्टर नोट के मुताबिक, पतंजलि की ग्रोथ में सुस्ती की वजह ट्रेड चैनल्स का कमजोर मैनेजमेंट होना और ठोस ऐडवर्टाइजिंग स्ट्रैटिजी का अभाव होना है.

प्रॉडक्ट कैटिगरी के हिसाब से डिस्ट्रीब्यूटर्स को अलग करने से भी उसकी रिटेलर सर्विसिंग पर दबाव बना. पतंजलि को मिली शुरुआती कामयाबी ने हर्बल, आयुर्वेदिक और नैचरल प्रॉडक्ट्स के लिए उत्प्रेरक का काम किया. इस स्पेस में मल्टीनैशनल कंपनियों के उतरने से कन्ज्यूमर गुड्स मार्केट में इन प्रॉडक्ट्स का हिस्सा बढ़कर लगभग 10 प्रतिशत हो गया है.

हिन्दुस्तान यूनी लिवर (एचयूएल) ने आयुर्वेदिक पर्सनल केयर प्रॉडक्ट्स वाले लीवर आयुष ब्रैंड को रीलॉन्च किया है, इंदुलेखा ने हेयरकेयर ब्रैंड को खरीदा है और सिट्रा स्किनकेयर ब्रैंड लॉन्च किया है. बताया जा रहा है कि इसके कारण भी पतंजलि की बिक्री प्रभाव पड़ा है.