भारतीय वायु सेना के पायलट कांबापति नचिकेता से हाथ मिलते हुए पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी।
भारतीय वायु सेना के पायलट कांबापति नचिकेता से हाथ मिलते हुए पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी।Getty

पाकिस्‍तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्‍मद के ठिकाने पर भारतीय वायुसेना के धमाकेदार ऐक्‍शन के बाद बुधवार को पड़ोसी मुल्‍क ने भारतीय सैन्‍य प्रतिष्‍ठानों पर हमले की नाकाम कोशिश की। भारत ने जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के एक लड़ाकू विमान को तो मार गिराया लेकिन ऑपरेशन के दौरान देश का एक मिग-21 जेट भी नष्ट हो गया।

इस मिग-21 जेट को उड़ा रहे भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन इस समय पाकिस्तान के कब्जे में है। भारत की ओर से उन्हें वापस लाने की पूरी कोशिश की जा रही है। पूरा देश उनकी सलामती और सकुशल वापस लौटने की दुआ कर रहा है। कुछ इसी तरह 1999 में करगिल युद्ध के दौरान वायुसेना के ग्रुप कैप्टन नचिकेता को भी पाकिस्तान ने अपने कब्जे में ले लिया था। उन्हें अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते 8 दिन बाद रिहा कर दिया गया था।

नचिकेता जब पाकिस्तान की कैद में थे तो उन्होंने कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया गया था। बौखलाई पाकिस्तानी सेना ने उनका उत्पीड़न किया था, जिससे उनकी रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया था। नचिकेता के पिता केआरके शास्त्री और मां के लक्ष्मी शास्त्री आंध्र प्रदेश के मूल निवासी हैं और फिलहाल दिल्ली में रहते हैं।

1973 में जन्मे नचिकेता ने दिल्ली में आरके पुरम स्थित केंद्रीय विद्यालय से पढ़ाई थी और उसके बाद नैशनल डिफेंस अकादमी जॉइन कर ली थी। 27 मई 1999 करगिल युद्ध के दौरान फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता मिग 27 लड़ाकू विमान से पाकिस्तान की सेना के घुसपैठियों पर बमबारी कर रहे थे।

उनके हमलों से बटालिक सेक्टर में दर्जनों पाकिस्तानी फौजी मारे जा चुके थे। दुर्भाग्यवश उसका इंजन फेल हो गया और पाकिस्तान सीमा के 12 किलोमीटर अंदर पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र (पीओके) के पास स्कार्दू में मिग विमान क्रैश हो गया। नचिकेता ने खुद को सुरक्षित बाहर निकाल लिया लेकिन पाकिस्तानी सेना ने उन्हें अपने कब्जे में ले लिया।

नचिकेता ने लैंड करने के बाद भी पाकिस्तानी सेना के जवानों से बहादुरी के साथ लड़ाई की, लेकिन हथियार खत्म हो जाने की वजह से पाकिस्तानी सेना ने उन्हें आखिरकार बंदी बना लिया। इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने उनकी सार्वजनिक परेड भी कराई जो टेलिविजन में ऑन एयर भी हुई थी। बाद में उन्हें रावलपिंडी की जेल में कैद कर लिया गया था। बाद में भारत ने नचिकेता की रिहाई के लिए पाकिस्‍तान पर अंतरराष्‍ट्रीय दबाव बढ़ाया और जिनेवा कन्वेंशन की याद दिलाई। बाद में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने उन्हें पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता तारीक अल्ताफ के हाथों रेड क्रॉस के हवाले कर दिया।

नचिकेता 5 जून, 1999 को अपने वतन वापस लौट आए और बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मुलाकात की। बाद में उन्हें वायुसेना पदक से सम्मानित किया गया था। रक्षा और विमानन इतिहासकार केएस नायर ने कहा, 'हम उम्मीद कर रह हैं कि पाकिस्तानी सेना हमारे पायलट को सही सलामत वतन वापस लौटा देगी। ठीक उसी तरह जैसे हमारी सेना ने 1971 के युद्ध के दौरान बंदी बनाए गए 95 हजार पाकिस्तानी कैदियों को रिहा किया था।'

जानकारों के मुताबिक विंग कमांडर अभिनंदन के प्रत्‍यर्पण का मामला भी जिनेवा कन्वेंशन के दायरे में आएगा। गौरतलब है कि युद्ध के दौरान असैन्य नागरिकों के जानमाल की रक्षा और घायल सैनिकों के मानवाधिकारों की हिफाजत की निश्चित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बनाने की कोशिशें तो उन्नीसवीं सदी की शुरुआत से ही की जा रही थीं, लेकिन विश्व युद्धों के बाद इसने एक निश्चित रूप ले लिया। जिनेवा में इसे लेकर कई संधियां हुईं, लेकिन आज जो व्यवस्था दुनिया भर में मान्य है उसकी नींव 1929 और 1949 के जिनेवा कन्वेंशन के तहत रखी गई, जिनमें पहले की संधियों की मुख्‍य बातों को शामिल कर लिया गया।

जिनेवा कन्वेंशन के तहत कई अन्य बातों के साथ यह भी तय किया गया है कि कोई देश अपने युद्धबंदी के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करेगा। किसी दूसरे देश के सैनिक या असैन्य नागरिक के शव के साथ किसी तरह का दुर्व्यवहार या परीक्षण की सख्त मनाही है।