इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने अपने कम्युनिकेशन सैटलाइट जीएसएलवी-एफ11/जीसैट-7-ए को श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया है. लॉन्चिंग कुछ देर बाद वह सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रवेश कर गया.
#WATCH: Communication satellite GSAT-7A on-board GSLV-F11 launched at Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota. pic.twitter.com/suR92wNBAL
— ANI (@ANI) December 19, 2018
यह सैटलाइट भारतीय वायुसेना के लिए बहुत खास है. इस सैटलाइट की लागत 500-800 करोड़ रुपये बताई जा रही है. इसमें 4 सोलर पैनल लगाए गए हैं, जिनके जरिए करीब 3.3 किलोवॉट बिजली पैदा की जा सकती है. इसके साथ ही इसमें कक्षा में आगे-पीछे जाने या ऊपर जाने के लिए बाई-प्रोपेलैंट का केमिकल प्रोपल्शन सिस्टम भी दिया गया है.
जीसैट-7-ए से पहले इसरो जीसैट-7 सैटलाइट जिसे 'रुक्मिणि' के नाम से जाना जाता है, भी लॉन्च कर चुका है. इसका लॉन्च 29 सितंबर 2013 में किया गया था और यह भारतीय नौसेना के लिए तैयार किया गया था. यह सैटलाइट नेवी के युद्धक जहाजों, पनडुब्बियों और वायुयानों को संचार की सुविधाएं प्रदान करता है.
माना जा रहा है कि आने वाले कुछ सालों में भारतीय वायुसेना को एक और सैटलाइट जीसैट-7-सी मिल सकता है, जिससे इसके ऑपरेशनल आधारित नेटवर्क में और ज्याद बढ़ोतरी होगी.
जीसैट-7-ए से केवल वायुसेना के एयरबेस ही इंटरलिंक नहीं होंगे बल्कि इसके जरिए ड्रोन ऑपरेशंस में भी मदद मिलेगी. इसके जरिए ड्रोन आधारित ऑपरेशंस में एयरफोर्स की ग्राउंड रेंज में खासा इजाफा होगा. बता दें कि इस समय भारत, अमेरिका में बने हुए प्रीडेटर-बी या सी गार्डियन ड्रोन्स को हासिल करने की कोशिश कर रहा है. ये ड्रोन्स अधिक ऊंचाई पर सैटलाइट कंट्रोल के जरिए काफी दूरी से दुश्मन पर हमला करने की क्षमता रखते हैं.
जीएसएलवी-एफ11 की यह 13वीं उड़ान है और सातवीं बार यह इंडीजेनस क्रायोनिक इंजन के साथ लॉन्च हुआ है. बता दें, जीसैट-7ए का वजन 2,250 किलोग्राम है. यह कू-बैंड में संचार की सुविधा उपलब्ध करवाएगा. इसरो का यह 39वां संचार सैटलाइट है और इसे खासकर भारतीय वायुसेना को बेहतर संचार सेवा देने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया है.