एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सोमवार को आंग सान सू ची से अपना सर्वोच्च सम्मान रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ म्यामांर की सेना के अत्याचारों पर उनकी ''उदासीनता'' को लेकर वापस ले लिया. लंदन स्थित वैश्विक मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि वह सू ची को दिया गया ''ऐम्बैसडर आफ कॉन्शन्स अवार्ड'' वापस ले रहा है जो उसने उन्हें 2009 में उस समय दिया था जब वह घर में नजरबंद थीं.
समूह द्वारा जारी एमनेस्टी इंटरनेशनल प्रमुख कूमी नायडू द्वारा लिखे खत में कहा गया है, ''आज हम अत्यंत निराश हैं कि आप अब आशा, साहस और मानवाधिकारों की रक्षा की प्रतीक नहीं हैं.'' समूह ने कहा कि उसने अपने फैसले के बारे में सू ची को रविवार को ही सूचित कर दिया था. उन्होंने इस बारे में अब तक कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है.
Amnesty International has announced that it has withdrawn its highest honour, the Ambassador of Conscience Award, from State Counsellor of Myanmar Aung San Suu Kyi. (file pic) pic.twitter.com/cx8KeEwOwI
— ANI (@ANI) November 12, 2018
बता दें कि म्यामांर में रोहिंग्या संकट पर अपनी पहली टिप्पणी में आंग सान सू ची ने कहा था कि कि रखाइन प्रांत में फैले संघर्ष में जिन ''तमाम लोगों'' को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, उनके लिये मैं ''दिल से दुख'' महसूस कर रही हूं. 25 अगस्त 2017 को रखाइन के उत्तरी इलाके में रोहिंग्या चरमपंथियों ने पुलिस चौकियों को निशाना बनाया. इस हमले में 12 सुरक्षा कर्मी मारे गए थे. इस घटना के बाद से ही वहां हिंसा भड़क गई और रोहिंग्या मुसलमानों को बांग्लादेश की ओर मजबूरन पलायन करना पड़ा