कर्नाटक में कांग्रेस के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार बनाने वाले जनता दल (सेक्युलर) नेता एचडी कुमारस्वामी के शपथग्रहण समारोह में शिरकत करने बेंगलुरु पहुंचे नेताओं ने इस समारोह का जमकर आनंद उठाया और एक दिन के इस कार्यक्रम के लिए 'जनता के सेवकों' ने जनता की गाढ़ी कमाई के लाखों रुपये खर्च कर डाले.
बेंगलुरु मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, सात मिनट के शपथ ग्रहण समारोह पर कर्नाटक सरकार ने 42 लाख रुपए फूंक दिए. शपथ ग्रहण में सबसे ज्यादा खर्च आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू पर किया गया. इसके अलावा इस फेहरिस्त में खुद को आम आदमी कहने वाले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का भी नाम है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल, एच डी कुमारस्वामी के शपथग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए 23 मई 2018 को दिल्ली से बेंगलुरु पहुंचे और वहां के पांच सितारा होटल ताज वेस्ट एंड में रुके. सीएम केजरीवाल ने सुबह 9:49 पर चेक इन किया और अगले दिन 24 मई को सुबह 5:34 बजे होटल छोड़ दिया. इस एक दिन में सीएम केजरीवाल के खाने-पीने का बिल करीब 76 हजार रूपये बना जबकि उनका टोटल बिल 1,85,287 रुपये बना.
इसी तरह आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्र बाबू नायडू ने भी ताज वेस्ट एंड में 23 मई सुबह 9:49 बजे चेक इन किया और अगले दिन सुबह 5:34 बजे चेक आउट किया और इस दौरान उनका बिल 8,72,485 रुपये बना. इसके अलावा कमल हासन भी ताज वेस्ट एंड में ही रुके और उन पर करीब 1,02,040 का खर्च आया.
इसके अलावा समाजवादी अखिलेश यादव की आवभगत पर 1,02,400, दलितों की मसीहा मायावती पर 1,41,443, केरल के सीएम पिनाराई विजयन पर 1,02,400, शरद पवार पर 64000, बाबूलाल मरांडी पर 45,952 का खर्चा किया गया.
गौरतलब है कि कुमारस्वामी के शपथग्रहण में 42 बड़े नेताओं को आमंत्रित किया गया था. कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह को मंच पर एकजुट विपक्ष के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा गया. मंच पर यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री और एचडी कुमारस्वामी के पिता एचडी देवगौड़ा, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बसपा प्रमुख मायवती और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी नजर आए. इनके अलावा बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, राष्ट्रीय लोक दल के प्रमुख अजित सिंह, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी मंच पर दिखे.
बेंगलुरु मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले 13 मई 2013 को सिद्धारमैया और 17 मई, 2018 को बीएस येदियुरप्पा के शपथग्रहण के दौरान सरकार ने मेहमानों के रुकने का खर्च नहीं उठाया था, जबकि कुमारस्वामी के शपथग्रहण में 42 बड़े नेताओं को आमंत्रित किया गया था और इन सबके ठहरने और खाने-पीने पर सरकारी धन खर्च किया गया.
मेहमानों के ऊपर इस तरह खर्च किए जाने को लेकर राज्य सरकार की पूर्व लोकायुक्त जस्टिस संतोष हेगड़े ने तीखी आलोचना करते हुए कहा कि सरकार को ऐसी बर्बादी की इजाजत नहीं देनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि सरकार कहती है कि विकास कार्यों के लिए उसके पास पैसे नहीं हैं. यह राजनीतिक दल की जिम्मेदारी है कि वह खर्च उठाये.