Lockdown
कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने 25 मार्च से पूरे देश में 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित कर दिया था।PTI

कई विशेषज्ञ और राज्य सरकारें कोरोना वायरस के खतरे के मद्देनजर केंद्र सरकार से लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने का आग्रह कर रहे हैं। केंद्र सरकार भी इस दिशा में विचार कर रही है। सरकार के सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। हालांकि सूत्रों ने यह नहीं बताया कि इस बारे में अंतिम फैसला हुआ है या नहीं।

सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि लोगों को लंबी लड़ाई के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने वीडियो लिंक के जरिये आयोजित की गई कैबिनेट बैठक में, मंत्रियों से एक "वर्गीकृत योजना" के साथ आने का आग्रह किया था।

कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने 25 मार्च से पूरे देश में 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित कर दिया था। इस देशव्यापी लॉकडाउन की मियाद 14 अप्रैल को खत्म हो रही है।

भले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सही समय पर 21 दिनों के लॉकडाउन को लागू करने के भारत के सक्रिय निर्णय की सराहना की है, दुनिया भर के कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह अवधि पर्याप्त नहीं है।

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के भारतीय मूल के दो शोधकर्ताओं - राजेश सिंह और आर अधिकारी ने सुझाव दिया है कि नोवेल कोरोनोवायरस के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए भारत को लंबी अवधि के लॉकडाउन की आवश्यकता हो सकती है।

राजेश सिंह और आर अधिकारी की ओर से तैयार मॉडल ने भारत के सामाजिक संपर्क के अनोखे आयाम को इंगित किया है। इसी का हवाला देकर उनकी दलील है कि भारत के सामाजिक ढांचे की वजह से वायरस यहां चीन और इटली की तुलना में अलग बर्ताव कर सकता है। मॉडल में केस की संख्या, आयुवर्ग के हिसाब से बंटवारा, सामाजिक संपर्क ढांचे के हिसाब से भारत, चीन और इटली की तुलना की गई है। इसमें Prem et.al. नाम के एक दूसरे चर्चित संकलन का भी इस्तेमाल किया गया है जो कॉन्टेक्ट सर्वे और जनसांख्यिकीय आंकड़ों (डेमोग्रेफिक डेटा) के जरिए 152 देशों के सामाजिक संपर्क सांचे को प्रोजेक्ट करता है।

मॉडल ने संक्रमण के तीन पीढ़ियों में फैलने की वजह के लिए ठेठ भारतीय घरों के स्वरूप की पहचान की है। भारत की तुलना में चीन में इस तरह के संपर्क की संख्या कम है, वहीं इटली में ये नगण्य है।

कोराना वायरस के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए जर्मनी ने मुख्य तौर पर सामाजिक संपर्क ढांचे का इस्तेमाल किया है। यूरोप में कोरोना वायरस से सबसे कम मृत्यु दर जर्मनी की है। दरअसल जर्मनी ने उन लोगों को सबसे पहले अलग किया जिन पर इस वायरस का खतरा सबसे ज्यादा है। मतलब ये कि जर्मनी ने ये सुनिश्चित किया कि वहां दादा-दादी या नाना-नानी, जिनमें संक्रमण की संभावना सबसे अधिक है, वो युवा पीढ़ी से दूर रहें। क्योंकि युवा पीढ़ी के जरिए दूसरों में संक्रमण तेजी से फैल सकता है।

आजतक की खबर के मुताबिक राजेश सिंह और आर अधिकारी ने भारत की घर, दफ्तर और समाज में अन्यत्र विभिन्न नियंत्रण उपायों की गणना से ये निष्कर्ष निकले हैं। उनके मुताबकि इस स्टेज पर 21 दिन का लॉकडाउन ही सिर्फ वायरस के फैलाव को काबू में रखने के लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसे में लॉकडाउन हटते ही इस वायरस के दोबारा तेजी से फैलने का खतरा है। इस मॉडल के मुताबिक लॉकडाउन के बाद भी भारत में 73 दिन के अंदर 2,727 लोगों की मौत हो सकती है। मॉडल ने घरों में तीन पीढ़ियों में संभावित संक्रमण के फैलाव का अनुमान व्यक्त किया है। इसमें ये भी कहा गया है कि भारत में 15-19 आयुवर्ग सबसे बड़ा संवाहक या कैरियर हो सकता है और सबसे ज्यादा मृत्यु 60-64 आयुवर्ग के लोगों की हो सकती है।

मैथमेटिकल मॉडल ने लॉकडाउन की दो किस्मों की अवधि और अंतराल की गणना की है जो असल में संक्रमण के स्तर को 50 से कम लोगों तक ला सकता है। मॉडल ने दो परिदृश्यों का पूर्वानुमान व्यक्त किया है। गणित के मुताबिक तीन लगातार लॉकडाउन, (पहला 21 दिन का, दूसरा 28 दिन का और तीसरा 18 दिन का) कारगर हो सकते हैं। हर लॉकडाउन के बीच पांच दिन के अंतराल का सुझाव दिया गया है। ऐसा करने से संक्रमण की संख्या जून के मध्य तक 50 के नीचे आ सकती है। मॉडल एक और गणित विकल्प 49 दिन के लगातार लॉकडाउन का सुझाव देता है। 49 दिन का लगातार लॉकडाउन मध्य मई तक संक्रमण को 50 के नीचे लाना सुनिश्चित कर सकता है।

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दुनिया भर के कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह अवधि पर्याप्त नहीं हैPTI

इस बीच सरकार ने मंगलवार को कोरोना वायरस के मद्देनजर देशव्यापी लॉकडाउन (बंद) के कारण उत्पन्न स्थिति, इससे निपटने को लेकर उठाये जा रहे कदमों की विस्तृत समीक्षा की । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह (जीएओएम) ने स्थिति की समीक्षा की।

इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री राम विलास पासवान, रेल मंत्री पीयूष गोयल, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, हरदीप सिंह पूरी, कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर आदि ने भी शिरकत की।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने ट्वीट में कहा, ''आज मंत्रियों के समूह ने लॉकडाउन के बाद की स्थिति पर विस्तृत चर्चा की। हमने केंद्रीय मंत्रिमंडल के उस निर्णय का स्वागत किया जिसमें सभी सांसदों के वेतन में एक वर्ष तक कटौती करने और सांसद निधि को दो वर्ष के लिये स्थगित रखने का फैसला किया गया है।"

उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से बचायी गई राशि का उपयोग कोरोना वायरस के खिलाफ भारत की लड़ाई को मजबूत करने के लिये किया जायेगा। सिंह ने कहा कि मंत्रियों ने इस बात पर अपने विचार रखे कि हम इस स्थिति से कैसे बाहर निकल सकते हैं और लोगों को कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में लोगों को सजग, सतर्क और प्रतिबद्ध रखने में मदद कर सकते हैं।

समझा जाता है कि मंत्रियों ने कोरोना वायरस के मामले बढ़ने से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिये उठाये गए कदमों एवं व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी दी। गौरतलब है कि नयी दिल्ली, मुंबई और देश के अन्य हिस्से में और ज्यादा लोगों के कोरोना से संक्रमित होने के बाद देश भर में 114 लोगों की मौत हुई है और संक्रमित लोगों का आंकड़ा 4,421 तक पहुंच चुका है।

(समाचार एजेंसी पीटीआई और विभिन्न वायर्स के इनपुट के साथ)