उत्तर पश्चिमी दिल्ली के रूवरूप नगर इलाके में हुई एक दिल दहलाने वाली घटना में एक 20 वर्षीय व्यक्ति ने खिलौना देने के बहाने बुलाकर एक मानसिक रूप से विकलांग नाबालिग बच्ची के साथ बलात्कार किया.
सात वर्षीय इस मासूम के साथ यौन उत्पीड़न की घटना मंगलवार 15 मई है जिसके बाद आरोपी सोनू को पीड़िता के परिजनों ने पकड़कर मारपीट कर पुलिस के हवाले कर दिया.
गंभीर रूप से चोटिल पीड़िता ने काउंसलरों को बताया कि उसके ही मोहल्ले में रहने वाला आरोपी अक्सर काम से लौटते समय रुककर उसके साथ खेला करता था.
आरोपी ने दी थी पीड़िता को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी
टाईम्स आॅफ इंडिया के अनुसार, घटना वाले दिन सोनू ने पीड़िता को खिलौना दिलवाने का बहाना बनाकर बुलाया. उसने बच्ची से यह भी कहा कि वह उसे वापस उसके घर छोड़ेगा. इसक बजाय वह उसे नजदीक के एक खाली पड़े कारखाने के ऊपरी तल पर बने एक कमरे में ले गया.
कमरे का ताला लगा मिलने पर वह पीड़िता को शौचालय में ले गया और उसका उत्पीड़न किया. उसका यौन उत्पीड़न करने के बाद सोनू ने घटना के बारे में किसी को भी बताने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी.
लड़की को छोड़ने के बाद वह धूम्रपान करने के लिये कारखाने में ही रुक गया. इस बीच लड़की, जिसके निजी अंगों से खून बह रहा था, किसी तरह अपने घर पहुंची और अपनी मां को पूरी बात बताई.
अंग्रेजी दैनिक ने बच्ची के पिता के हवाले से लिखा, ''हमनें उसे कारखाने से बाहर निकलते देखा उसका पीछा किया. वह दौड़कर एक बस पकड़ने के प्रयास में गिर गया और हमारे रिश्तेदारों ने उसे दबोच लिया''
सोनू के खिलाफ यौन अपराध के बच्चे के संरक्षण अधिनियम (पाॅक्सो एक्ट) 2012 के तहत मामला दर्ज किया गया है. इसके अलावा उसके यौन उत्पीड़न के अन्य मामलों में संलिप्त होेने की भी जांच की जा रही है. नाबालिग का अभी ईलाज चल रहा है.
डीएनए ने बाबू जगजीवन राम अस्पताल के एक डाॅक्टर के हवाले से लिखा, ''बच्ची को रात के करीब 9.30 बजे अस्पताल लाया गया. उसकी एक सर्जरी की गई और बाबा अंबेडकर अस्पताल भेज दिया गया. उसकी स्थिति अब स्थिर बताई जा रही है.''
यह घटना केंद्रीय मंत्रीमंडल द्वारा पाॅक्सो अधिनियम में संशोधन के उस अध्यादेश को मंजूरी देने के हफ्तो बाद हुई है जिसमें 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ बलात्कार करने वाले आरोपियों को फांसी की सजा देने का प्रावधान है. अबतक ऐसे अपराधों के लिये कम से कम सात वर्ष की जेल से लेकर अधिकतम उम्र कैद तक का प्रावधान था.