जम्मू-कश्मीर में जारी सियासी हलचल के बीच घाटी में सुरक्षा बलों की 280 से अधिक कंपनियां (28 हजार जवान) तैनात की जा रही हैं। आधिकारिक सूत्रों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने कहा कि सुरक्षा बलों को श्रीनगर शहर के अतिसंवेदनशील इलाकों तथा घाटी की अन्य जगहों पर तैनात किया जा रहा है। इनमें अधिकतर सीआरपीएफ के जवान हैं।
सूत्रों ने कहा कि इस तरह अचानक 280 से अधिक कंपनियों (28,000 सुरक्षाकर्मियों) को देर शाम तैनात किए जाने का कोई कारण नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि शहर में प्रवेश और बाहर निकलने के सभी रास्तों को केन्द्रीय अर्धसैनिक बलों को सौंप दिया गया है। स्थानीय पुलिस की महज प्रतीकात्मक उपस्थिति है। स्थानीय निवासी घबराए हुए हैं और उन्होंने जरूरी सामान खरीदना शुरू कर दिया है।
अधिकारियों ने बताया कि कुछ धर्मस्थलों से सुरक्षा को हटाया गया है क्योंकि गुप्त सूचना मिली है कि विदेशी आतंकवादी वहां तैनात पुलिसकर्मियों को निशाना बनाने की योजना बना रहे थे। शैक्षिक संस्थानों की गर्मी की छुट्टियां गुरुवार को शुरू हो गई हैं और अगले 10 दिनों तक यह जारी रहेंगी। अमरनाथ यात्रा के लिए चलाए जा रहे कुछ लंगरों को भी बंद कर दिया गया है।
इससे पहले केंद्र ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के कश्मीर दौरे से लौटते ही 10 हजार सुरक्षाकर्मियों को कश्मीर भेजने का आदेश दिया था ताकि वहां की बिगड़ती कानून व्यवस्था को ठीक किया जा सके और आतंकवाद निरोधक अभियानों को तेज किया जा सके। केंद्र सरकार के इस फैसले का राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती केंद्र के इस फैसले का विरोध कर रही हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि केंद्र के फैसले ने घाटी में भय का वातावरण पैदा कर दिया है।
सूत्रों के मुताबिक, देश के विभिन्न हिस्सों में तैनात केंद्रीय सुरक्षा बलों को एयरलिफ्ट कर सीधे कश्मीर पहुंचाया जा रहा है। इस काम में वायुसेना के मालवाहक विमान लगाए गए हैं। जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने पिछले दिनों कहा था कि कश्मीर में सुरक्षा बलों की 100 और कंपनियां तैनात की जा रही हैं। हर कंपनी में 100 जवान होंगे। गृह मंत्रालय ने 25 जुलाई को केंद्रीय सशस्त्र बलों की अतिरिक्त 100 कंपनियों की तैनाती का आदेश जारी किया था।
इन केंद्रीय बलों में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) शामिल हैं। सूत्र बताते हैं कि एनएसए डोभाल चुपके से घाटी के दौरे पर श्रीनगर पहुंचे थे। वहां उन्होंने सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के टॉप ऑफिसरों के साथ अलग-अलग बैठकें की थीं। इनमें राज्यपाल के सलाहकार के. विजय कुमार, मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यन, डीजीपी दिलबाग सिंह, आईजी एसपी पाणि जैसे लोग शामिल थे। कश्मीर दौरे पर दिल्ली से आईबी के आला अधिकारियों की टीम भी एनएसए के साथ थी।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में अभी राज्यपाल शासन है। इससे पहले 24 फरवरी को देशभर से केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की 100 कंपनियों को कश्मीर भेजा गया था। तब कहा गया था कि लोकसभा चुनाव के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सुरक्षा बलों का अतिरिक्त इंतजाम जरूरी है। बहरहाल, अभी अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के करीब 40 हजार अतिरिक्त जवान तैनात किए गए हैं।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।