Array ( [a_id] => 2974 [slug] => 1-50-लाख-करोड़-रुपये-हुई-विलफुल- [cg_applied] => 1 [country] => US [state] => CT [city] => Connecticut [ip] => 3.16.70.101 [search_engine] => 1 [preview] => ) Array ( [a_type] => 1 ) 2312 Array ( [article] => Array ( [a_id] => 2974 [c_id] => 25 [r_id] => 18 [r_name] => [m_id] => 2184 [s_id] => 6001 [a_type] => 1 [a_headline] => 1.50 लाख करोड़ रुपये हुई विलफुल डिफॉल्टर्स पर बकाया रकम [a_metatitle] => 1.50 लाख करोड़ रुपये हुई विलफुल डिफॉल्टर्स पर बकाया रकम [a_sheadline] => [a_slug] => 1-50-लाख-करोड़-रुपये-हुई-विलफुल [a_subheadline] => [a_summary] => केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में एक सवाल के जवाब में बताया कि भारतीय स्टेट बैंक के विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या सबसे अधिक है, जिनके पास कुल 461.58 अरब रुपये बकाया हैं, वहीं इस मामले में दूसरे स्थान पर पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) है, जिसके विलफुल डिफॉल्टर्स के पास 250.9 अरब रुपये बकाया हैं, जबकि बैंक ऑफ इंडिया के विलफुल डिफॉल्टर्स के पास 98.9 करोड़ रुपये बकाया हैं। [a_article] =>
देश के सरकारी बैंकों के विलफुल डिफॉल्टर्स के पास वित्त वर्ष 2018-19 में बकाया रकम का आंकड़ा 1.50 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि इसका करीब एक तिहाई हिस्सा देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक के विलफुल डिफॉल्टर्स के पास है। केंद्रीय वित्त मंत्री ने संसद में यह जानकारी दी है।
भारतीय कानून के तहत विलफुल डिफॉल्टर्स उन व्यक्तियों या कंपनियों को कहा जाता है, जिनका लंबा-चौड़ा कारोबार होता है और वे जानबूझकर बैंक का बकाया नहीं चुकाते हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में एक सवाल के जवाब में बताया कि भारतीय स्टेट बैंक के विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या सबसे अधिक है, जिनके पास कुल 461.58 अरब रुपये बकाया हैं, वहीं इस मामले में दूसरे स्थान पर पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) है, जिसके विलफुल डिफॉल्टर्स के पास 250.9 अरब रुपये बकाया हैं, जबकि बैंक ऑफ इंडिया के विलफुल डिफॉल्टर्स के पास 98.9 करोड़ रुपये बकाया हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डेटा के मुताबिक, 31 मार्च, 2019 तक सरकारी बैंकों का सकल लोन तथा अडवांस 638.2 अरब रुपये पर पहुंच गया। बैंकों का कर्ज लेकर देश से फरार होने वाले शराब कारोबारी विजय माल्या, हीरा कारोबारी नीरव मोदी तथा उसके मामा मेहुल चोकसी के मामले सामने आने के बाद केंद्र में सत्तासीन नरेंद्र मोदी की सरकार विलफुल डिफॉल्टर्स के खिलाफ नियमों को बेहद सख्त करने में लगी है।
केंद्र सरकार ने विलफुल डिफॉल्टर्स और कंपनियों के पूंजी बाजार से धन जुटाने पर पाबंदी लगाई है और उन्हें दिवाला निस्तारण प्रक्रियाओं में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
डिफॉल्टर्स के देश छोड़कर फरार होने से रोकने के लिए बैंकों के प्रमुख उनके खिलाफ लुक-आउट नोटिस जारी करवा सकते हैं। सरकारी बैंकों ने बीते तीन वित्त वर्षों में विलफुल डिफॉल्टर्स के खिलाफ पुलिस में 1,475 शिकायतें दर्ज कराई हैं।
2014-15 में विलफुल डिफॉल्टर की संख्या 5,349 थी, जो मार्च 2019 में बढ़कर 8,582 हो गई। इसके साथ ही 2017-18 में 7,535 और 7,079 को विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया गया। यह आंकड़ा केवल सरकारी बैंकों का है। इसमें निजी बैंकों का आंकड़ा शामिल नहीं है।
मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंकों के आंकड़ों के मुताबिक विगत पांच वर्षों में 7,654 करोड़ रुपये की राशि इन डिफॉल्टर से वसूल की गई। लोकसभा में कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल और श्रीरंग अप्पा बारणे के प्रश्नों के लिखित उत्तर में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह भी कहा कि 31 मार्च, 2019 तक राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा 8,121 मामलों में वूसली के लिए मुकदमे दर्ज करवाए गए हैं।
तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला के मुताबिक फ्रॉड में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का तकरीबन 11 हजार करोड़ रुपया फंसा था। शुक्ला ने कहा था कि पब्लिक बैंकों की रिपोर्ट के मुताबिक 31 दिसंबर 2017 तक 2,108 एफआईआर विलफुल डिफॉल्टरों के खिलाफ दायर की थीं। वहीं 8,462 मामलों में बैंकों ने कुर्की का मामला दायर किया था।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी रायटर्स द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।
[a_keyword] => विलफुल डिफॉल्टर्स,निर्मला सीतारमण,भारतीय स्टेट बैंक,पंजाब नैशनल बैंक,बैंक ऑफ इंडिया,विजय माल्या,नीरव मोदी,मेहुल चोकसी,Wilful Defaulters,Nirmala Sitharaman,State Bank Of India,SBI,Punjab National Bank,PNB,Bank of India,Vijay Mallya,Nirav Modi,Mehul Choksi [a_canonical] => [a_hits] => 0 [a_wordcount] => 474 [a_note] => [a_suffix] => [a_published] => 1 [a_refresh] => 0 [a_writtenTime] => 2019-07-03 18:00:01 [a_submittedTime] => 2019-07-03 12:30:01 [a_modifiedTime] => 0000-00-00 00:00:00 [a_publishedTime] => 2019-07-03 18:00:01 [a_updatedTime] => 2019-07-03 18:00:01 [a_editor] => 1 [a_closeComment] => 0 [a_level] => 3 [a_browser] => win : chrome : 7 [a_nocontrol] => 100 [after] => Array ( [convertText] => text [screenW] => 660 [representative] => 2312 ) [a_content] =>देश के सरकारी बैंकों के विलफुल डिफॉल्टर्स के पास वित्त वर्ष 2018-19 में बकाया रकम का आंकड़ा 1.50 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि इसका करीब एक तिहाई हिस्सा देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक के विलफुल डिफॉल्टर्स के पास है। केंद्रीय वित्त मंत्री ने संसद में यह जानकारी दी है।
भारतीय कानून के तहत विलफुल डिफॉल्टर्स उन व्यक्तियों या कंपनियों को कहा जाता है, जिनका लंबा-चौड़ा कारोबार होता है और वे जानबूझकर बैंक का बकाया नहीं चुकाते हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में एक सवाल के जवाब में बताया कि भारतीय स्टेट बैंक के विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या सबसे अधिक है, जिनके पास कुल 461.58 अरब रुपये बकाया हैं, वहीं इस मामले में दूसरे स्थान पर पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) है, जिसके विलफुल डिफॉल्टर्स के पास 250.9 अरब रुपये बकाया हैं, जबकि बैंक ऑफ इंडिया के विलफुल डिफॉल्टर्स के पास 98.9 करोड़ रुपये बकाया हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डेटा के मुताबिक, 31 मार्च, 2019 तक सरकारी बैंकों का सकल लोन तथा अडवांस 638.2 अरब रुपये पर पहुंच गया। बैंकों का कर्ज लेकर देश से फरार होने वाले शराब कारोबारी विजय माल्या, हीरा कारोबारी नीरव मोदी तथा उसके मामा मेहुल चोकसी के मामले सामने आने के बाद केंद्र में सत्तासीन नरेंद्र मोदी की सरकार विलफुल डिफॉल्टर्स के खिलाफ नियमों को बेहद सख्त करने में लगी है।
केंद्र सरकार ने विलफुल डिफॉल्टर्स और कंपनियों के पूंजी बाजार से धन जुटाने पर पाबंदी लगाई है और उन्हें दिवाला निस्तारण प्रक्रियाओं में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
डिफॉल्टर्स के देश छोड़कर फरार होने से रोकने के लिए बैंकों के प्रमुख उनके खिलाफ लुक-आउट नोटिस जारी करवा सकते हैं। सरकारी बैंकों ने बीते तीन वित्त वर्षों में विलफुल डिफॉल्टर्स के खिलाफ पुलिस में 1,475 शिकायतें दर्ज कराई हैं।
2014-15 में विलफुल डिफॉल्टर की संख्या 5,349 थी, जो मार्च 2019 में बढ़कर 8,582 हो गई। इसके साथ ही 2017-18 में 7,535 और 7,079 को विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया गया। यह आंकड़ा केवल सरकारी बैंकों का है। इसमें निजी बैंकों का आंकड़ा शामिल नहीं है।
मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंकों के आंकड़ों के मुताबिक विगत पांच वर्षों में 7,654 करोड़ रुपये की राशि इन डिफॉल्टर से वसूल की गई। लोकसभा में कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल और श्रीरंग अप्पा बारणे के प्रश्नों के लिखित उत्तर में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह भी कहा कि 31 मार्च, 2019 तक राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा 8,121 मामलों में वूसली के लिए मुकदमे दर्ज करवाए गए हैं।
तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला के मुताबिक फ्रॉड में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का तकरीबन 11 हजार करोड़ रुपया फंसा था। शुक्ला ने कहा था कि पब्लिक बैंकों की रिपोर्ट के मुताबिक 31 दिसंबर 2017 तक 2,108 एफआईआर विलफुल डिफॉल्टरों के खिलाफ दायर की थीं। वहीं 8,462 मामलों में बैंकों ने कुर्की का मामला दायर किया था।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी रायटर्स द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।
देश के सरकारी बैंकों के विलफुल डिफॉल्टर्स के पास वित्त वर्ष 2018-19 में बकाया रकम का आंकड़ा 1.50 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि इसका करीब एक तिहाई हिस्सा देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक के विलफुल डिफॉल्टर्स के पास है। केंद्रीय वित्त मंत्री ने संसद में यह जानकारी दी है।
भारतीय कानून के तहत विलफुल डिफॉल्टर्स उन व्यक्तियों या कंपनियों को कहा जाता है, जिनका लंबा-चौड़ा कारोबार होता है और वे जानबूझकर बैंक का बकाया नहीं चुकाते हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में एक सवाल के जवाब में बताया कि भारतीय स्टेट बैंक के विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या सबसे अधिक है, जिनके पास कुल 461.58 अरब रुपये बकाया हैं, वहीं इस मामले में दूसरे स्थान पर पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) है, जिसके विलफुल डिफॉल्टर्स के पास 250.9 अरब रुपये बकाया हैं, जबकि बैंक ऑफ इंडिया के विलफुल डिफॉल्टर्स के पास 98.9 करोड़ रुपये बकाया हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डेटा के मुताबिक, 31 मार्च, 2019 तक सरकारी बैंकों का सकल लोन तथा अडवांस 638.2 अरब रुपये पर पहुंच गया। बैंकों का कर्ज लेकर देश से फरार होने वाले शराब कारोबारी विजय माल्या, हीरा कारोबारी नीरव मोदी तथा उसके मामा मेहुल चोकसी के मामले सामने आने के बाद केंद्र में सत्तासीन नरेंद्र मोदी की सरकार विलफुल डिफॉल्टर्स के खिलाफ नियमों को बेहद सख्त करने में लगी है।
केंद्र सरकार ने विलफुल डिफॉल्टर्स और कंपनियों के पूंजी बाजार से धन जुटाने पर पाबंदी लगाई है और उन्हें दिवाला निस्तारण प्रक्रियाओं में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
डिफॉल्टर्स के देश छोड़कर फरार होने से रोकने के लिए बैंकों के प्रमुख उनके खिलाफ लुक-आउट नोटिस जारी करवा सकते हैं। सरकारी बैंकों ने बीते तीन वित्त वर्षों में विलफुल डिफॉल्टर्स के खिलाफ पुलिस में 1,475 शिकायतें दर्ज कराई हैं।
2014-15 में विलफुल डिफॉल्टर की संख्या 5,349 थी, जो मार्च 2019 में बढ़कर 8,582 हो गई। इसके साथ ही 2017-18 में 7,535 और 7,079 को विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया गया। यह आंकड़ा केवल सरकारी बैंकों का है। इसमें निजी बैंकों का आंकड़ा शामिल नहीं है।
मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंकों के आंकड़ों के मुताबिक विगत पांच वर्षों में 7,654 करोड़ रुपये की राशि इन डिफॉल्टर से वसूल की गई। लोकसभा में कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल और श्रीरंग अप्पा बारणे के प्रश्नों के लिखित उत्तर में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह भी कहा कि 31 मार्च, 2019 तक राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा 8,121 मामलों में वूसली के लिए मुकदमे दर्ज करवाए गए हैं।
तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला के मुताबिक फ्रॉड में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का तकरीबन 11 हजार करोड़ रुपया फंसा था। शुक्ला ने कहा था कि पब्लिक बैंकों की रिपोर्ट के मुताबिक 31 दिसंबर 2017 तक 2,108 एफआईआर विलफुल डिफॉल्टरों के खिलाफ दायर की थीं। वहीं 8,462 मामलों में बैंकों ने कुर्की का मामला दायर किया था।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी रायटर्स द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।
[a_keyword] => विलफुल डिफॉल्टर्स,निर्मला सीतारमण,भारतीय स्टेट बैंक,पंजाब नैशनल बैंक,बैंक ऑफ इंडिया,विजय माल्या,नीरव मोदी,मेहुल चोकसी,Wilful Defaulters,Nirmala Sitharaman,State Bank Of India,SBI,Punjab National Bank,PNB,Bank of India,Vijay Mallya,Nirav Modi,Mehul Choksi [a_canonical] => [a_hits] => 0 [a_wordcount] => 474 [a_note] => [a_suffix] => [a_published] => 1 [a_refresh] => 0 [a_writtenTime] => 2019-07-03 18:00:01 [a_submittedTime] => 2019-07-03 12:30:01 [a_modifiedTime] => 0000-00-00 00:00:00 [a_publishedTime] => 2019-07-03 18:00:01 [a_updatedTime] => 2019-07-03 18:00:01 [a_editor] => 1 [a_closeComment] => 0 [a_level] => 3 [a_browser] => win : chrome : 7 [a_nocontrol] => 100 [after] => Array ( [convertText] => text [screenW] => 660 [representative] => 2312 ) [a_content] =>देश के सरकारी बैंकों के विलफुल डिफॉल्टर्स के पास वित्त वर्ष 2018-19 में बकाया रकम का आंकड़ा 1.50 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि इसका करीब एक तिहाई हिस्सा देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक के विलफुल डिफॉल्टर्स के पास है। केंद्रीय वित्त मंत्री ने संसद में यह जानकारी दी है।
भारतीय कानून के तहत विलफुल डिफॉल्टर्स उन व्यक्तियों या कंपनियों को कहा जाता है, जिनका लंबा-चौड़ा कारोबार होता है और वे जानबूझकर बैंक का बकाया नहीं चुकाते हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में एक सवाल के जवाब में बताया कि भारतीय स्टेट बैंक के विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या सबसे अधिक है, जिनके पास कुल 461.58 अरब रुपये बकाया हैं, वहीं इस मामले में दूसरे स्थान पर पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) है, जिसके विलफुल डिफॉल्टर्स के पास 250.9 अरब रुपये बकाया हैं, जबकि बैंक ऑफ इंडिया के विलफुल डिफॉल्टर्स के पास 98.9 करोड़ रुपये बकाया हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डेटा के मुताबिक, 31 मार्च, 2019 तक सरकारी बैंकों का सकल लोन तथा अडवांस 638.2 अरब रुपये पर पहुंच गया। बैंकों का कर्ज लेकर देश से फरार होने वाले शराब कारोबारी विजय माल्या, हीरा कारोबारी नीरव मोदी तथा उसके मामा मेहुल चोकसी के मामले सामने आने के बाद केंद्र में सत्तासीन नरेंद्र मोदी की सरकार विलफुल डिफॉल्टर्स के खिलाफ नियमों को बेहद सख्त करने में लगी है।
केंद्र सरकार ने विलफुल डिफॉल्टर्स और कंपनियों के पूंजी बाजार से धन जुटाने पर पाबंदी लगाई है और उन्हें दिवाला निस्तारण प्रक्रियाओं में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
डिफॉल्टर्स के देश छोड़कर फरार होने से रोकने के लिए बैंकों के प्रमुख उनके खिलाफ लुक-आउट नोटिस जारी करवा सकते हैं। सरकारी बैंकों ने बीते तीन वित्त वर्षों में विलफुल डिफॉल्टर्स के खिलाफ पुलिस में 1,475 शिकायतें दर्ज कराई हैं।
2014-15 में विलफुल डिफॉल्टर की संख्या 5,349 थी, जो मार्च 2019 में बढ़कर 8,582 हो गई। इसके साथ ही 2017-18 में 7,535 और 7,079 को विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया गया। यह आंकड़ा केवल सरकारी बैंकों का है। इसमें निजी बैंकों का आंकड़ा शामिल नहीं है।
मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंकों के आंकड़ों के मुताबिक विगत पांच वर्षों में 7,654 करोड़ रुपये की राशि इन डिफॉल्टर से वसूल की गई। लोकसभा में कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल और श्रीरंग अप्पा बारणे के प्रश्नों के लिखित उत्तर में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह भी कहा कि 31 मार्च, 2019 तक राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा 8,121 मामलों में वूसली के लिए मुकदमे दर्ज करवाए गए हैं।
तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला के मुताबिक फ्रॉड में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का तकरीबन 11 हजार करोड़ रुपया फंसा था। शुक्ला ने कहा था कि पब्लिक बैंकों की रिपोर्ट के मुताबिक 31 दिसंबर 2017 तक 2,108 एफआईआर विलफुल डिफॉल्टरों के खिलाफ दायर की थीं। वहीं 8,462 मामलों में बैंकों ने कुर्की का मामला दायर किया था।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी रायटर्स द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।