बीजेपी पर दलितों के प्रति उदासीनता दिखाने के आरोप एक बार फिर सोमवार, 4 जून को उस समय भगवा दल को एक बार फिर डराने के लिये सामने आए जब यह बात सामने आई कि बीजेपी द्वारा शासित राज्यों में से एक, हरियाणा में करीब 120 दलितों ने अपनी मांगे न माने जाने पर करीब चार महीने के विरोध के बाद बौद्ध धर्म अपना लिया.
बीजेपी पर 2014 में केंद्र की सत्ता में आने के बाद से ही उसके द्वारा शासित राज्यों में दलितों के साथ हो रहे व्यवहार को लेकर भेदभाव के आरोप लगते रहे हैं.
और दलितों पर हो रहे हमले अब भी जारी हैं. सबसे ताजा घटना गुजरात में सामने आई है जिसमें एक व्यक्ति ने एक दलित को बांधकर तब तक पीटा जबतक उसकी मौत नहीं हो गई.
हरियाणा में धर्मपरिवर्तन
बुद्धिस्म - विशेष रूप से नब-बुद्धिस्म - समूचे भारतवर्ष के दलितों को आश्रय देता आया है. बिल्कुल यही मामला है हरियाणा के जींद में करीब चार महीनों से विरोध कर रहे 120 दलितों का.
उनकी प्रमुख मांगों में से एक थी उच्चमत न्यायालय द्वारा एससी/एसटी अत्याचार रोकथाम एक्ट में किये गए बदलाव पर कार्रवाई करना क्योंकि उनका मानना था कि ऐसा उच्च जातियों का पक्ष लेने को किया गया है. इसके अलावा दलित जनवरी के जींद के गैंग-रेप और हत्या के मामले की सीबीआई जांच की मांग भी कर रहे थे.
यह मामला - जो बिल्कुल दिसंबर 2012 के दिल्ली के निर्भया गैंगरेप मामले जैसा ही था - में एक 15 वर्षीय दलित लड़की का बुरी तरह से चोटिल शव अर्ध-नग्न अवस्था में मिला था. उन्होंने इस मामले को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के समक्ष याचिका भी डाली थी.
सीएनएन न्यू18 ने इन विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई कर रहे दिनेश खापड़ के हवाले से लिखा, ''हम 9 फरवरी से धरने पर बैठे हैं. हमारे प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और उन्होंने हमारी मांगे मानी. इसके बावजूद अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.''
उन्होंने आगे कहा, ''हमने 20 मई को ही बता दिया था कि अगर हमारी मांगे नहीं मानी गईं तो हम अपना धर्म परिवर्तन कर लेंगे. हमनें 26 और 27 मई को खट्टर की जींद यात्रा के दौरान उनसे मिलने की कोशिश की, लेकिन उनके पास हमारे लिये समय नहीं था. इसके बाद हमनें दिल्ली का रुख किया और 31 मई को बौद्ध धर्म अपना लिया.''
बीजेपी की दलित समस्या
बीजेपी के राजनीतिक प्रतिद्वंदी बड़ी आसानी से बौद्ध धर्म में दलितों के इस बड़े पैमाने पर हुए धर्म परिवर्तन को भगवा दल द्वारा उसके हिंदू वोटर आधार के साथ एक और ''विश्वासघात'' के रूप में प्रचाति किया जा सकता है.
सबसे दिलचस्प बात यह है कि दलित सिर्फ बीजेपी शासित राज्यों में ही उत्पीड़न के शिकार नही हैं बल्कि अन्य दलों द्वारा शासित प्रदेशों में भी कमोबेश यही स्थिति है. केरल में एक दलित इसाई की हत्या इन मामलों में सबसे अधिक उल्लेखनीय है.
यह मामला विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि दलित अक्सर हिंदू धर्म को छोड़कर दूसरे धर्म इसलिये अपनाते हैं क्योंकि हिंदू धर्म की जाति व्यवस्था उन्हें सबसे निचले दर्जे का मानती है. हालांकि उपरोक्त घटना में इस दलित इसाई को सिर्फ इसलिये मार दिया गया क्योंकि उसने ''उच्च जाति'' के इसाई परिवार की लड़की से शादी करने की ''जुर्रत'' की थी.