कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के कुछ दिनों बाद आखिरकार आम आदमी पार्टी (आप) की असंतुष्ट नेता अलका लांबा ने शुक्रवार, 6 सितंबर को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। आप विधायक ने ट्विटर पर लिखा, "यह अलविदा कहने का समय है"।
अलका लांबा ने ट्वीट किया, आम आदमी पार्टी को अलविदा कहने और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देना का वक्त आ गया है। पिछले 6 सालों की यात्रा मेरे लिए अच्छी सीख रही। सबको धन्यवाद। जय हिंद!
The time has come to say
— Alka Lamba - अलका लाम्बा (@LambaAlka) 6 September 2019
"Good Bye" to #AAP and to resign from the primary membership of the Party.
The past 6years journey was a great learning for me.
Thanks to all. ???. #JaiHind #ChandniChowk #MLA #AlkaLamba #Delhi
इस्तीफा देने के तुरंत बाद अलका लांबा ने पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को निशाने पर लिया और इस्तीफा स्वीकार करने की चुनौती दी।
अलका लांबा ने ट्विटर पर लिखा- अरविंद केजरीवाल जी, आपके प्रवक्ता ने आपकी इच्छा पर मुझे पूरे घमंड के साथ कहा था कि ट्विटर पर इस्तीफा देने पर भी पार्टी इसे स्वीकार कर लेगी। इसलिए अब आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से मेरा इस्तीफा मंजूर कीजिए, जो कि खास आदमी पार्टी बन गई है।
@ArvindKejriwal Ji, your spokespersons asked me as per your desire, with the full arrogance that the Party will accept My resgination even on the Twitter.
— Alka Lamba - अलका लाम्बा (@LambaAlka) 6 September 2019
So pls Kindly accept My resgination from the primary membership of the
"Aam Aadmi Party", which is now a "Khas Aadmi Party".
बता दें कि इससे पहले आम आदमी पार्टी की बागी विधायक अलका लांबा ने ने मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से 10 जनपथ स्थित उनके आवास पर जाकर मुलाकात की थी, जिसके बाद से ये अटकलें तेज हो गई थी वह जल्द ही कांग्रेस का दामन थाम सकती हैं।
चांदनी चौक से विधायक अलका ने सोनिया से उनके आवास पर मुलाकात की, हालांकि उन्होंने अभी कांग्रेस में शामिल होने को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं किया। मुलाकात के बाद अलका ने कहा था, ''सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष ही नहीं, बल्कि संप्रग की प्रमुख और धर्मनिरपेक्ष विचारधारा की एक बड़ी नेता भी हैं। देश के मौजूदा हालात पर उनसे लंबे समय से चर्चा बाकी थी। आज मौका मिला तो उनसे हर मुद्दे पर खुलकर बात हुई।
उन्होंने कहा, ''राजनीति में ये विमर्श का दौर चलते रहता है और चलते रहना चाहिए। अलका की सोनिया से इस मुलाकात के बाद ये अटकलें तेज हो गई कि वह जल्द ही कांग्रेस का हिस्सा बन सकती हैं।
अलका लांबा और आम आदमी पार्टी के बीच पिछले कुछ समय से टकराव की स्थिति जो शुरू हुई, वह किसी न किसी रूप में चलती रही है। लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद उन्होंने अपने राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से जवाबदेही मांगी थी। इसके बाद उन्हें पार्टी विधायकों के आधिकारिक व्हाट्सऐप ग्रुप से हटा दिया गया था।
उन्होंने लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार करने से इनकार कर दिया था और उन्होंने केजरीवाल के रोडशो के दौरान मुख्यमंत्री की कार के पीछे चलने के लिए कहे जाने के बाद रोडशो में भाग नहीं लिया था।
लांबा और आप के बीच सबसे पहले टकराव राजीव गांधी को दिए गए भारत रत्न सम्मान को वापस लिए जाने संबंधी प्रस्ताव पारित करने के पार्टी के फैसले को लेकर हुआ था। लांबा ने पार्टी के प्रस्ताव पर आपत्तियां उठाई थीं। उन्होंने दिसंबर 2018 में ट्वीट किया था कि आप ने उन्हें प्रस्ताव का समर्थन करने को कहा जिससे उन्होंने इनकार कर दिया।
लांबा ने कहा था कि वह इसके लिए किसी भी सजा का सामना करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने अपना राजनीतिक करियर कांग्रेस से शुरू किया था और आप में शामिल होने से पहले उन्होंने करीब 20 साल विभिन्न भूमिकाओं में पार्टी की सेवा की।
दिल्ली में अगले साल जनवरी में संभावित विधानसभा चुनाव के पहले लांबा ने आप छोड़ने की घोषणा कर कांग्रेस में एक बार फिर शामिल होने की अटकलों को हवा दे दी है। फ़िलहाल लांबा ने अपनी भविष्य की रणनीति के बारे में कोई स्पष्ट ख़ुलासा नहीं किया है।