कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में कुछ विपक्षी दलों के नेताओं ने मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और उनसे केंद्रीय विश्वविद्यालयों में हिंसा के मुद्दे पर हस्तक्षेप करने तथा मोदी सरकार को नागरिकता संशोधन कानून को वापस लेने की सलाह देने का अनुरोध किया। विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कर रहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार जनता की आवाज दबा रही है और ऐसे कानून ला रही है जो लोगों को स्वीकार्य नहीं हैं।
उन्होंने मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, ''हम सभी 12 विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रपति से मिलकर उनसे पूर्वोत्तर के हालात पर हस्तक्षेप की मांग की जो अब पूरे देश में होते जा रहे हैं जिसमें यहां जामिया भी शामिल है।'' सोनिया ने कहा, ''यह बहुत गंभीर परिस्थिति है। हमें डर है कि यह और ना बढ़ जाए। हम भारत भर में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों से निपटने के पुलिस के तरीके से क्षुब्ध हैं।'' उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मी जामिया मिल्लिया इस्लामिया में महिला छात्रावासों में घुस गये और उन्होंने विद्यार्थियों की निर्मम पिटाई की।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ''मुझे लगता है कि आप सब ने भाजपा सरकार को देख लिया। जब लोगों की आवाज दबाने और लोकतंत्र में जनता तथा हमें अस्वीकार्य कानूनों को लागू करने की बात आती है तो ऐसा लगता है कि मोदी सरकार के सामने कोई बाध्यता नहीं है।''
माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि राष्ट्रपति संविधान के संरक्षक हैं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ''हमने कहा कि वह सरकार को इस तरीके से संविधान का उल्लंघन नहीं करने दे सकते। हमने उनसे अनुरोध किया कि सरकार को इस कानून को वापस लेने की सलाह दें।''
तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने भी राष्ट्रपति से कानून वापस लेने की सलाह देने की मांग की। समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कहा, ''हमने राष्ट्रपति से आग्रह किया कि संसद में विधेयक पारित होने के दौरान हमने जो आशंकाएं जताई थीं, वे सही साबित हो रही हैं। यह कानून हमारे देश को विभाजन की ओर ले जा रहा है। सीएए ने जनता के मन में डर पैदा कर दिया है और इसके बुरे नतीजे होंगे। हमारी सरकार देश को तोड़ने का मौका दे रही है।'' उन्होंने कहा, ''हमने राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि देश को एक रखें और बंटने नहीं दें।''
कुछ निहित स्वार्थी तत्वों के अशांति पैदा करने और पाकिस्तान को मदद करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आरोपों पर कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा, ''हम प्रधानमंत्री को हमसे बहस करने की चुनौती देते हैं। मैं उन्हें आमने सामने बहस की चुनौती देता हूं जहां हम बताएंगे कि किसने नवाज शरीफ को गले लगाया और आतंकियों को रिहा किया और कौन पाकिस्तान के साथ अधिक मित्रता चाहता है। उनकी पाकिस्तान के साथ सहानुभूति है और आरोप विपक्ष पर लगाते हैं। ''
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि करीब 14 से 15 राजनीतिक दल हैं जो राष्ट्रपति से मिलने के लिए आने वाले थे। कुछ दलों के प्रतिनिधि नहीं आ सके, लेकिन वे हमारे साथ हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति को ज्ञापन दिया गया है जिसमें इस ओर संकेत है कि कैसे सरकार को कानून लाने की हड़बड़ी मची हुई थी। आजाद ने आरोप लगाया, ''यह कानून देश के हित में नहीं है क्योंकि यह लोगों को बांटता है। उन्हें देश की फिक्र नहीं है।''
प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस, माकपा, भाकपा, द्रमुक, सपा, तृणमूल कांग्रेस, राजद, नेशनल कान्फ्रेंस, आईयूएमएल और एआईयूडीएफ समेत कम से कम 12 दल शामिल थे। बसपा नेता दानिश अली ने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा के पार्टी सांसद बुधवार को अलग से राष्ट्रपति से मिलेंगे।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.