
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र के उभ्भा गांव में जमीन को लेकर हुए नरसंहार के पीड़ितों से मिलने के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने बीते 26 घंटों से जारी अपना धरना खत्म कर दिया। गौरतलब है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को पुलिस ने शुक्रवार को रोक लिया था, जिसके बाद वे चुनार किले में पेड़ के नीचे ही धरने पर बैठ गई थीं। इसी दौरान शनिवार को पीड़ित परिवार की 5 महिलाएं प्रियंका गांधी से मिलने चुनार पहुंचीं। प्रियंका गांधी ने पीड़ितों की तकलीफ सुनकर उन्हें ढांढस बंधाया। साथ ही कमरे में पीड़ितों के साथ बैठक की।
#WATCH: Priyanka Gandhi Vadra met the family members of the victims of Sonbhadra firing incident that claimed lives of 10 people, in Chunar. pic.twitter.com/RhiLijLbm6
— ANI UP (@ANINewsUP) 20 July 2019
बैठक के बाद पीड़ितों के साथ बाहर आईं प्रियंका गांधी ने कहा कि मेरा मकसद पूरा हुआ और हमारी कुछ मांगे हैं। 25 लाख मुआवजा दिया जाए, मुकदमा फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाए, पीड़ितों को जमीन का मालिकाना हक मिले और निर्दोषों पर किए गए झूठे मुकदमे वापस लिया जाए।
Priyanka Gandhi Vadra,Congress:My objective has been served as I have met them (victim of Sonbhadra firing).I am still under detention, let's see what the administration says. Congress party will give a compensation of Rs 10 lakh to the kin of the person who died in the incident. pic.twitter.com/4SUaPEVmsz
— ANI UP (@ANINewsUP) 20 July 2019
इसके अलावा उन्होंने पीड़ित परिवारों को कांग्रेस की ओर से 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की। पीड़ित परिवार की महिलाएं प्रियंका से मिलते ही उन्हें पकड़कर रोने लगीं। इस दौरान प्रियंका खुद भी काफी भावुक हो गईं और उनका हाथ पकड़कर, गले से लगाकर दर्द बांटती दिखीं। प्रियंका अपनी साड़ी के आंचल से ही महिलाओं के आंसू पोंछने लगीं।
सोनभद्र नरसंहार के पीडि़त परिवार की 15 महिलाओं व पुरुष सदस्यों से चुनार गेस्ट हाउस में मिलने के बाद प्रियंका वाड्रा ने उन्हें लेकर प्रेस कांफ्रेंस की। प्रियंका गांधी बोलीं- यूपी में कानून व्यवस्था ध्वस्त है। योगी सरकार को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। अधिकारियों को सोनभद्र का प्रकरण पहले से पता था, ऐसी घटना वहां नहीं घटनी चाहिए थी। प्रियंका ने कहा कि सोनभद्र के वनवासियों की लड़ाई कांग्रेस लड़ेगी। भविष्य में वे नरसंहार के गांव उभ्भा भी जरूर जाएंगी। प्रियंका ने मांग की कि मृतकों के परिवार को कम से कम सरकार की तरफ 25-25 लाख रुपये सहायता राशि दी जाए। जिन जमीन पर वनवासी पीढि़यों से काबिज हैं, उन्हें तत्काल कानूनी अड़चने दूर कर उनके नाम किया जाए। निर्दोषों पर लगाए मुकदमे भी वापस लिए जाएं।

प्रियंका की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उभ्भा गांव से आए पीडि़त रामराज, सुखवंती और रामधनी ने मीडिया से बताया कि उन्हें कई वर्षों से प्रताडि़त किया जा रहा है। कई मुकदमे कायम किए गए। गुंडा एक्ट तक लगाया गया। हम लोगों ने घटना से तीन दिन पहले ही घोरावल थाने को यह जानकारी दी थी कि जमीन कब्जा करने को लेकर ग्राम प्रधान का गुट हमला कर सकता है। बावजूद इसके ध्यान नहीं दिया गया और घटना हो गई। हम पर गोलियां चलाई गईं। जो गोेली खाकर गिर गए थे उनको हिलाकर देखा गया कि जिंदा तो नहीं हैं, किसी पर शक हुआ तो उसे एक गोली और मारी गई। करीब 300 लोग आए थे हमला करने। इनमें 150 लोग विवादित जमीन पर आए थे जबकि करीब 150 नदी पार खड़े थे। सभी मुख्य आरोपित ग्राम प्रधान ट्रैक्टर में भरकर लाया था। उनके साथ बंदूकें, डंडा, गड़ासा आदि हथियार भी थे।
प्रियंका से मिलने आए पीड़ितों को गेस्ट हाउस के अंदर जाने से रोका गया था जिसकर प्रियंका ने आपत्ति जताई थी। प्रियंका ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा था, 'प्रशासन न हमें मिलने दे रहा है और पीड़ित परिवारों को भी यहां आने से रोक रहा है।' पीड़ितों ने मीडिया से कहा था कि उन्हें अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है।
इसके बाद प्रियंका ने बाहर आकर पीड़ितों से मुलाकात की और गेस्ट हाउस के बाहर लगे पेड़ के नीचे बैठकर महिलाओं से बात करने लगीं। प्रियंका को देखते ही पीड़ित महिलाएं भावुक हो गईं और उन्हें पकड़कर विलाप करने लगीं। प्रियंका भी इस दौरान महिलाओं को अपने गले से लगाकर ढांढस बढ़ाती रहीं।