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सेना के राजनीतिकरण को लेकर पूर्व सैन्य अधिकारियों द्वारा राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखे जाने की खबरों पर विवाद शुरू हो गया है। राष्ट्रपति भवन के सूत्रों ने इन खबरों का खंडन करते हुए ऐसे किसी भी पत्र के मिलने से इनकार किया है। समाचार एजेंसी एएनआई के हवाले से मिली जानकारी में कहा गया है कि पूर्व सैनिकों द्वारा लिखित कोई भी खत राष्ट्रपति भवन को नहीं मिला है।

गुरुवार शाम कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि 3 पूर्व सेना प्रमुखों समेत 156 पूर्व सैन्य अधिकारियों ने राष्ट्रपति को खत लिखा है, लेकिन पूर्व आर्मी चीफ एस.एफ रॉड्रिग्स और एयर चीफ मार्शल एनसी सूरी ने ऐसी किसी चिट्ठी के लिए अपनी सहमति से इनकार किया है। साथ ही उन्होंने किसी भी तरह के हस्ताक्षर करने से भी इनकार किया है।

पूर्व आर्मी चीफ एस.एफ रॉड्रिग्स ने समाचार एजेंसी एएनआई से ऐसी किसी चिट्ठी के बारे में जानकारी से ही इनकार किया है। गौरतलब है कि पूर्व सैन्य अधिकारियों के नाम से सर्कुलेट हो रही चिट्ठी में उनका पहला नाम बताया जा रहा था।

पूर्व आर्मी चीफ एस.एफ रॉड्रिग्स
पूर्व आर्मी चीफ एस.एफ रॉड्रिग्सANI

पूर्व आर्मी चीफ रॉड्रिग्स ने कहा, 'मैं नहीं जानता कि यह सब क्या है। मैं अपनी पूरी जिंदगी राजनीति से दूर रहा हूं। 42 साल तक अधिकारी के तौर पर काम करने के बाद अब ऐसा हो भी नहीं सकता। मैं हमेशा भारत को प्रथम रखा है। मैं नहीं जानता कि यह कौन फैला रहा है। यह फेक न्यूज का क्लासिक उदाहरण है।'

यही नहीं रिटायर्ड एयर चीफ मार्शल एनसी सूरी ने भी समाचार एजेंसी एएनआई से ऐसी किसी चिट्ठी पर साइन करने की बात से इनकार किया है। एयर चीफ मार्शल एनसी सूरी ने कहा, 'यह एडमिरल रामदास की ओर से लिखा लेटर नहीं है। इसे किसी मेजर चौधरी ने लिखा है। उन्होंने इसे लिखा है और यह वॉट्सऐप और ईमेल किया जा रहा है। ऐसे किसी भी खत के लिए मेरी सहमति नहीं ली गई थी। इस चिट्ठी में जो कुछ भी लिखा है, मैं उससे सहमति नहीं हूं। हमारी राय को गलत ढंग से पेश किया गया है।'

पूर्व सेना उपाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल एमएल नायडु का नाम कथित चिट्ठी में 20वें नंबर पर है। उन्होंने कहा, 'नहीं इस तरह के किसी भी पत्र के लिए मेरी सहमति नहीं ली गई और न ही मैंने कोई पत्र लिखा है।'

दूसरी तरफ मेजर जनरल हर्ष कक्कड़ जिनका नाम 31वें नंबर पर है ने पत्र लिखने की बात स्वीकार करते हुए कहा, 'हां मैंने पत्र में हस्ताक्षरकर्ता होने के लिए अपनी सहमति दी है। मैंने इसकी सामग्री जानने के बाद ही अपनी सहमति दी थी।'। इसके अलावा पूर्व आर्मी चीफ शंकर रॉय चौधरी ने भी खत लिखे जाने की बात स्वीकारी है।

शुक्रवार दोपहर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने सेना के पूर्व अधिकारियों द्वारा राष्ट्रपति को लिखी गई इस कथित चिट्ठी पर कहा, '2 लोगों ने कहा है कि उन्होंने इस पर हस्ताक्षर नहीं किया है। यह चिंताजनक है कि फर्जी लेटर पर एक खास समूह के द्वारा हस्ताक्षर किया गया है। यह निंदनीय है, राष्ट्रपति भवन ने भी कहा है कि उन्हें ऐसी कोई चिट्ठी नहीं मिली है।'

बता दें कि गुरूवार से खबरें आ रही हैं कि सेना के आठ पूर्व प्रमुखों और 148 अन्य पूर्व सैनिकों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर सशस्त्र सेनाओं का राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किए जाने पर आक्रोश जताया। पत्र पर जिन लोगों के हस्ताक्षर की बात कही जा रही है उनमें पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) एसएफ रॉड्रिग्ज, जनरल (सेवानिवृत्त) शंकर रॉयचौधरी और जनरल (सेवानिवृत्त) दीपक कपूर, भारतीय वायु सेना के पूर्व प्रमुख एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) एनसी सूरी शामिल हैं।

खबरों में दावा किया जा रहा है कि तीन पूर्व नौसेना प्रमुखों एडमिरल (सेवानिवृत्त) एल रामदास, एडमिरल (सेवानिवृत्त) अरुण प्रकाश, एडमिरल (सेवानिवृत्त) मेहता और एडमिरल (सेवानिवृत्त) विष्णु भागवत ने भी पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। पत्र गुरूवार को राष्ट्रपति के पास भेजा गया। पूर्व सैनिकों ने लिखा, 'महोदय हम नेताओं की असामान्य और पूरी तरह से अस्वीकृत प्रक्रिया का जिक्र कर रहे हैं जिसमें वह सीमा पार हमलों जैसे सैन्य अभियानों का श्रेय ले रहे हैं और यहां तक कि सशस्त्र सेनाओं को 'मोदी जी की सेना' बताने का दावा तक कर रहे हैं।'

पूर्व सैनिकों ने कहा कि सेवारत तथा सेवानिवृत्त सैनिकों के बीच यह चिंता और असंतोष का मामला है कि सशस्त्र सेनाओं का इस्तेमाल राजनीतिक एजेंडा चलाने के लिए किया जा रहा है। पत्र में पूर्व सैनिकों ने चुनाव प्रचार अभियानों में भारतीय वायु सेना के पायलट अभिनंदन वर्धमान और अन्य सैनिकों की तस्वीरों के इस्तेमाल पर भी नाखुशी जताई है।