पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने गुरुवार को दक्षेस के विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर के उद्घाटन संबोधन का बहिष्कार करते हुए कहा कि उनका देश भारत के साथ तब तक कोई सम्पर्क नहीं करेगा जब तक कि वह कश्मीर में ''पाबंदी समाप्त नहीं करता। यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के इतर यह बैठक कुरैशी की अनुपस्थिति में शुरू हुई।
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र से इतर सार्क देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने संबोधन से काउंसिल मीटिंग का उद्घाटन किया। इस दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री नदारद रहे। जब जयशंकर अपना संबोधन खत्म कर मीटिंग से निकल गए तब कुरैशी वहां पहुंचे।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी ने ट्वीट किया कि कुरैशी ने दक्षेस मंत्रियों की परिषद की बैठक में भारतीय विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर के शुरुआती संबोधन के समय शामिल होने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ तब तक कोई बातचीत शुरू नहीं करेगा 'जब तक वह कश्मीर में पाबंदी समाप्त नहीं करता।'
उन्होंने कहा, 'उन्हें कश्मीरियों के मानवाधिकारों की रक्षा करनी चाहिए, सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका संरक्षण हो और उनका दमन-शोषण नहीं किया जाए।' बहरहाल, मीटिंग से निकलने के बाद कुरैशी ने कहा कि सार्क की अगली मीटिंग पाकिस्तान में होगी जिसकी तारीख जल्द ही तय की जाएगी।
बैठक में देर से आने के बारे में पूछे जाने पर, कुरैशी ने कहा कि वह कश्मीर पर विरोध स्वरूप भारतीय मंत्री के साथ बैठना नहीं चाहते हैं। उधर, जयशंकर से जब उनके संबोधन के दौरान पाकिस्तानी समकक्ष की अनुपस्थिति पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया तो उन्होंने 'नहीं' कहकर इन्कार कर दिया।
गौरतलब है कि भारत द्वारा गत अगस्त में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधान समाप्त करने के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। भारत द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के बाद पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीय बनाने की कोशिश कर रहा है लेकिन नयी दिल्ली ने कहा है कि अनुच्छेद 370 के प्रावधान समाप्त करना उसका आंतरिक मामला है।
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) एशिया का क्षेत्रीय समूह है। इसमें भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका शामिल हैं। पिछले साल तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज दक्षेस के मंत्रियों की परिषद की बैठक में अपने संबोधन के बाद वहां से निकल गई थीं। उस समय जम्मू-कश्मीर में तीन पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या और कश्मीर में मारे गए एक आतंकवादी का महिमामंडन करते हुए पाकिस्तान द्वारा डाक टिकट जारी करने के बाद दोनों देशों में तनाव था।
इससे पहले 2016 में जम्मू-कश्मीर में उड़ी में आतंकी हमले के विरोध में इस्लामाबाद में आयोजित हो रहे सार्क सम्मेलन का भारत के साथ बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान ने भी बहिष्कार कर दिया था। इस पर पाकिस्तान को यह सम्मेलन रद्द करना पड़ा था।
विदेश मंत्री जयशंकर ने बैठक में कहा कि आतंकवाद को बहुत बड़ी समस्या बताते हुए कहा, हमारा मानना है कि फलदायी सहयोग के लिए और हमारे क्षेत्र की बेहतरी और उन्नति के लिए आतंकवाद के हर रूप को खत्म करना एक पूर्व शर्त है।
उन्होंने कहा, दक्षिण एशियाई सैटेलाइट का उदाहरण यह बताता है कि किस तरह से भारत ने यह पहल की है कि उसके पड़ोसी समृद्ध हों। दक्षिण एशियाई सैटेलाइट को साल 2017 में इस उद्देश्य के साथ लॉन्च किया गया था कि सार्क क्षेत्र में गरीबी की स्थिति को समझने के लिए वैज्ञानिक समाधान मिल सकें।
उन्होंने कहा कि क्षेत्रवाद विश्व के हर कोने में फैल चुका है। अगर हम पीछे रह गए हैं, तो इसलिए क्योंकि दक्षिण एशिया में वैसा सामान्य व्यापार और संपर्क नहीं है जैसा अन्य क्षेत्रों में है।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।