दूरसंचार विभाग ने भारती एयरटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने की मंजूरी दे दी है। कंपनी ने मंगलवार को शेयर बाजार को एक स्टॉक फाइलिंग यह जानकारी दी। भारती एयरटेल को रिजर्व बैंक से भी कंपनी में विदेशी निवेशकों को 74 प्रतिशत तक हिस्सेदारी रखने की अनुमति है। ऐसा माना जा रहा है कि, इस फैसले के बाद भारती एयरटेल विदेशी दूरसंचार कंपनी बन सकती है।
इस अनुमति के बाद विदेशी संस्थागत निवेश (एफआईआई) और विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (एफपीआई) भी कंपनी की कुल कुल पेड अप कैपिटल का 74 फीसदी तक निवेश कर सकते हैं।
शेयर बाजार को दी गई सूचना के अनुसार, 'भारती एयरटेल लिमिटेड को दूरसंचार विभाग से 20 जनवरी 2020 को विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाकर कंपनी की चुकता पूंजी के 100 प्रतिशत तक करने की मंजूरी मिल गई है।' इसके पहले यह सीमा अधिकतम 49 फीसदी तक की ही थी। बता दें कि 3 जुलाई 2014 को भारतीय रिजर्व बैंक ने कंपनी में विदेशी निवेशकों के लिए पेड कैपिटल का 74 फीसदी तक निवेश करने की मंजूरी दिया था।
कुछ दिन पहले ही कंपनी ने वैधनिक बकाये के रूप में करीब 35,586 करोड़ रुपये का भुगतान किया। इसमें 21,682 करोड़ रुपये लाइसेंस शुल्क और 13,904.01 करोड़ रुपये स्पेक्ट्रम बकाया है। इसमें टेलीनॉर और टाटा टेली के बकाये शामिल नहीं हैं।
100 फीसदी एफडीआई मंजूरी से भारती टेलीकॉम में विदेशी हिस्सेदारी बढ़कर 50 फीसदी से अधिक हो जाएगी, जिससे यह एक विदेशी स्वामित्व वाली इकाई बन जाएगी। वर्तमान में सुनील भारती मित्तल और उनके परिवार की भारती टेलीकॉम में करीब 52 फीसदी हिस्सेदारी है। भारती टेलीकॉम की भारती एयरटेल में करीब 41 फीसदी हिस्सेदारी है। सूत्र ने कहा कि भारती टेलीकॉम ने कंपनी में 4,900 करोड़ रुपये के निवेश के लिए आवेदन किया है।
इसमें सिंगटेल और कुछ अन्य विदेशी निवेशकों की ओर से होने वाला निवेश शामिल है। इसके साथ ही भारती टेलिकॉम विदेशी इकाई बन जाएगी क्योंकि इसकी ज्यादा हिस्सेदारी विदेशी निवेशकों के पास होगी। दूरसंचार विभाग द्वारा इसी महीने इस निवेश को मंजूरी देने की उम्मीद है।
24 साल पहले 7 जुलाई 1995 को सुनील भारती मित्तल ने एयरटेल की सबसे पहले शुरुआत दिल्ली में की थी। कंपनी फिलहाल मोबाइल टेलीकॉम के अलावा फिक्सड लाइन, ब्रॉडबैंड, सैटेलाइट टीवी, डिजिटल टीवी, आईपीटीवी जैसे कारोबार कर रही है। मंगलवार को कंपनी का शेयर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में 508.35 रुपये प्रति शेयर के भाव पर बंद हुआ था।
एयरटेल देश की ग्राहकों की संख्या के अनुसार अभी दूसरी सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी है। जियो पहले स्थान पर और वोडाफोन आइडिया तीसरे स्थान पर है। एयरटेल ने भारत में टाटा टेलिसर्विसेज, एमटीएन और टेलीनॉर का अधिग्रहण किया था। इसके अलावा दुनिया में वो छह कंपनियों का अधिग्रहण कर चुकी है।
दूरसंचार विभाग ने इससे पहले इस साल की शुरुआत में भारती एयरटेल के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आवेदन को खारिज कर दिया था, क्योंकि कंपनी ने विदेशी निवेश के बारे में स्पष्ट नहीं किया था। सूत्र ने कहा कि वर्तमान में भारती एयरटेल में कुल विदेशी हिस्सेदारी 43 प्रतिशत है। प्रवर्तक इकाई भारती टेलिकॉम के विदेशी इकाई बन जाने के साथ ही कंपनी (भारती एयरटेल) में विदेशी हिस्सेदारी बढ़कर 84 प्रतिशत के पार हो जाएगी।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.