केरल के सबरीमाला में सभी उम्र वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर 13 जनवरी से सुप्रीम कोर्ट में फिर से सुनवाई शुरू होगी। इस बार 9 जजों की संवैधानिक बेंच इस मामले को सुनेगी। इसके अलावा मुस्लिम और पारसी महिलाओं से कथित भेदभाव के मुद्दे पर भी सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इसकी जानकारी दी।
इंडियन यंग लॉयर्स असोसिएशन ने याचिका दायर की थी कि कोर्ट साल 2018 में दिए अपने उस ऐतिहासिक फैसले पर पुनर्विचार करे जिसमें उसने सभी आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने का आदेश दिया था। असोसिएशन की इस याचिका पर सुनवाई को मंजूरी देते हुए कोर्ट ने इसे 13 जनवरी के लिए लिस्ट कर दिया है। कोर्ट ने जानकारी दी कि 13 जनवरी से इस मामले पर नौ जजों की संवैधानिक बेंच सुनवाई करेगी।
बता दें कि बीते साल 14 नवंबर को पांच जजों की एक बेंच ने 3:2 के बहुमत से 2018 के फैसले पर पुनर्विचार से जुड़ी याचिकाओं को सात जजों की बड़ी बेंच के पास भेज दिया था। हालांकि बेंच ने कहा था कि बहस सिर्फ सबरीमाला मंदिर में ही महिलाओं की एंट्री से जुड़ी नहीं है, बल्कि दरगाहों में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश और गैर पारसी पुरुष संग ब्याही पारसी महिलाओं के अग्यारी वाले स्थल पर प्रवेश तक भी है।
कोर्ट ने कहा कि अदालत के पास मौका है कि वह इसको लेकर किसी न्यायिक पॉलिसी पर विचार करे जो तर्कसंगत और न्यायसंगत हो।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में ऐतिहासिक फैसला देते हुए सभी आयु वर्ग की महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश की इजाजत दी थी। कोर्ट के इस फैसले का भारी विरोध हुआ।
केरल की वामपंथी सरकार ने जहां खुद को इस फैसले को लागू करने के लिए बाध्य बताया, तो वहीं बीजेपी और हिंदूवादी संगठनों ने इसका जमकर विरोध किया। 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान यह एक बड़ा मुद्दा भी बना।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.