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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को कांग्रेस के सात सदस्यों के निलंबन के आदेश को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने की घोषणा की जिन्हें पिछले सप्ताह गुरूवार को सदन का निरादर करने और 'घोर कदाचार' के मामले में मौजूदा संसद सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया था।
संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा की कार्य नियमावली के नियम 374 (2) का उल्लेख करते हुए कांग्रेस के गौरव गोगोई, टी एन प्रतापन, डीन कुरियाकोस, राजमोहन उन्नीथन, बैनी बहनान, मणिकम टेगोर और गुरजीत सिंह औजला के निलंबन को तत्काल समाप्त करने की अनुमति देने का प्रस्ताव रखा जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी।
इसके बाद अध्यक्ष ने घोषणा की कि पांच मार्च को निलंबित किये गये सदस्यों के निलंबन के आदेश तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाता है। इन सदस्यों को पांच मार्च को अध्यक्षीय पीठ से कुछ कागज उठाने और उन्हें फाड़कर उछालने के कारण सदन का निरादर करने के मामले में मौजूदा सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किया गया था।
अध्यक्ष ने कहा, ''संसद में पिछले दिनों जो घटनाएं घटी, उससे मैं व्यक्तिगत रूप से दुखी हुआ।'' उन्होंने कहा कि सदन के अंदर कागज फेंकना, मार्शल से कागज छीनना, प्लेकार्ड लाना आदि दृश्य देखे गये। अध्यक्ष ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में सदन में महिला सदस्यों के बीच अप्रिय स्थिति बनने और कुछ नेताओं को व्यक्तिगत रूप से चिह्नित करते हुए आरोप लगाने जैसे घटनाक्रम घटे जिनकी आवश्यकता नहीं थी।
बिरला ने कहा कि कुछ सदस्यों ने उदाहरण दिये कि पहले भी इससे ज्यादा अप्रिय घटनाक्रम सदन में घटे हैं। उन्होंने कहा, ''क्या हम उन्हें उचित मानते हैं? क्या हम उनकी पुनरावृत्ति चाहते हैं?'' उन्होंने कहा, ''मतभिन्नता हो सकती है। सहमति-असहमति लोकतंत्र का मर्म है। व्यंग्य और कटाक्ष भी होने चाहिए, लेकिन मर्यादा में।''
बिरला ने कहा कि वह आसन से किसी सदस्य का निलंबन या निष्कासन नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि सभी सदस्य कोशिश करें कि आसन के पास नहीं आना पड़े। उन्होंने कहा कि पिछले आठ महीने में सभी के सहयोग से सदन में कामकाज का कीर्तिमान स्थापित हुआ। उन्होंने कहा कि इस दौरान व्यवधान के बावजूद सदन स्थगित नहीं हुआ।
अध्यक्ष ने कहा, ''मैं भी विश्वास दिलाता हूं कि जो विश्वास सदस्यों ने मुझमें व्यक्त किया है, उसमें कमी नहीं आने दूंगा। सदस्य जिस विषय पर चाहेंगे, सबके सहयोग से चर्चा का प्रयास करुंगा। मैं सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच संवाद स्थापित करूंगा। मैं कभी व्यवधान नहीं चाहता। मेरी इच्छा थी कि कभी व्यवधान नहीं हो, सदन कभी स्थगित नहीं हो।''
बिरला ने कहा कि उनका अनुरोध केवल इतना है कि सभी सदन की मर्यादा बनाकर रखें। उन्होंने इससे पहले हुई सर्वदलीय बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ दलों के नेताओं ने प्रतिबद्धता जताई कि उनके सदस्य कभी आसन के समीप नहीं आएंगे। बिरला ने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोकतंत्र के इस मंदिर में मत्था टेककर संसद की प्रतिष्ठा बढ़ाई।
उन्होंने कहा, ''व्यक्ति आएंगे जाएंगे लेकिन पीठ की गरिमा बनी रहनी चाहिए। मैं आपके विश्वास और भरोसे पर कभी आंच नहीं आने दूंगा।'' बिरला ने कहा कि हमें संसद से ग्राम पंचायत स्तर तक स्वस्थ लोकतंत्र का संदेश देना है। इससे पहले लोकसभा के घटनाक्रम से आहत अध्यक्ष ने चार दिन तक सदन का संचालन नहीं करने का फैसला किया।
सूत्रों के मुताबिक सर्वदलीय बैठक में विपक्ष के नेताओं ने उनसे संचालन का अनुरोध किया। इससे पहले सभी दलों के नेताओं ने पिछले सप्ताह सदन में हंगामे के बीच घटे घटनाक्रम पर दुखी होने के कारण अध्यक्ष के कुछ दिन तक सदन में नहीं आने के बाद आज आसन पर बैठने पर हर्ष व्यक्त किया।
सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हमें लोकसभा अध्यक्ष पर पूर्ण विश्वास है। उन्होंने अध्यक्ष से सातों सदस्यों के निलंबन को रद्द करने की मांग की। भाजपा सांसद निशकांत दुबे ने अध्यक्ष से सांसदों के व्यवहार को लेकर नियमावली बनाने का अनुरोध किया।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.