कुछ चुनाव पूर्व सर्वेक्षण इस ओर इशारा कर रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलेगा। ऐसे में केंद्र में किसकी सरकार बनेगी, यह तय करने में क्षेत्रीय पार्टियों की बड़ी भूमिका हो सकती है। वाई. एस. जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस, के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली टीआरएस, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अगुआई वाला बीजू जनता दल और बीएसपी-एसपी गठबंधन, जिन्होंने बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस की अगुआई वाले यूपीए दोनों से बराबर की दूरी बना रखी है, इन सभी पर खास नजर रहेगी।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी भी केंद्र में सरकार गठन में भूमिका निभा सकती हैं। बनर्जी और नायडू बीजेपी-विरोधी गठबंधन बनाने की कोशिश करते रहे हैं और यहां तक कि इस कोशिश में उन्होंने कांग्रेस से भी मेलजोल रखा। हालांकि, बनर्जी बीजेपी पर कड़े तौर पर हमलावर होने के साथ ही कांग्रेस को भी निशाना बनाती रही हैं।
बीएसपी और एसपी जहां बीजेपी की कड़ी निंदा करती रही हैं, वहीं वे कांग्रेस को अपने चुनाव पूर्व गठबंधन से बाहर रखकर उसे महत्वहीन दर्शाती रही हैं। ये क्षेत्रीय पार्टियां 543 लोकसभा सीटों में से 180 के करीब जीत सकती हैं और वे इस चुनाव में कितनी सीटें जीतेंगी, इससे ही उनकी भूमिका तय होगी। त्रिशंकु संसद कई संभावनाएं पैदा करेगी और गैर-कांग्रेसी और गैर-बीजेपी खेमे ऐसी ही स्थिति चाहेंगे।
वाईएसआर कांग्रेस चीफ जगनमोहन रेड्डी ने इस महीने पहले कहा था कि वह चाहते हैं कि त्रिशंकु संसद की स्थिति हो, ताकि वे राज्य के लिए बेहतर समझौता कर पाएं। मक्कल नीधि मैयम (एमएनएम) के नेता कमल हासन ने भी कहा है कि लोकसभा चुनाव त्रिशंकु संसद की स्थिति पैदा करेंगे और तीसरे मोर्चे की सरकार बने इसकी संभावना है।
सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डिवेलपिंग सोसायटीज (CSDS) द्वारा किए गए एक चुनाव पूर्व सर्वेक्षण के अनुसार, वोट शेयर में वृद्धि के बावजूद प्रमुख राज्यों में 'अधिक एकजुट विपक्ष' के कारण BJP कई सीटें हार सकती है। सर्वेक्षण में बीजेपी को 222 से 232 के बीच सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है, जो कि 2014 में उसके द्वारा जीती गई 283 सीटों से काफी कम है। चुनाव पूर्व सर्वेक्षण दर्शाता है कि कांग्रेस पार्टी 74-84 सीटें जीत सकती है, जिसने 2014 में केवल 44 सीटें जीती थीं।
सर्वेक्षण के अनुसार, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए बहुमत के आंकड़े तक पहुंच भी सकता है और नहीं भी। उसे 263 से 283 के बीच सीटें मिलने की संभावना है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) को 115 से 135 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है। मध्य मार्च में जारी किए गए सीवोटर-आईएएनएस सर्वेक्षण में कहा गया था कि एनडीए को 264 सीटें मिलने की संभावना है, जो कि सरकार बनाने के लिए जरूरी 272 के आंकड़े से 8 सीटें कम है। इस सर्वेक्षण में कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए को केवल 141 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था।
कुछ सर्वेक्षणों में एनडीए को बहुमत मिलने की भविष्यवाणी भी की गई है। चुनाव से पहले एक संघीय मोर्चे के गठन की भी चर्चा है और राव ने चुनाव से पहले गैर-बीजेपी और गैर-एनडीए दलों के साथ बैठकें भी कीं। ऐसे प्रयास चुनाव के बाद और तेज हो सकते हैं। अगर तीसरे मोर्चे के गठन की संभावना बनती है तो बीजेपी और कांग्रेस के कुछ साझेदार भी उसमें शामिल हो सकते हैं।