इस्लामिक स्टेट के सरगना अबू बकर-अल बगदादी को ढेर करने के बाद अमेरिकी सेना ने उसके शव के साथ क्या किया? यह वह अहम सवाल है, जो उसके मारे जाने के बाद से ही उठ रहा था। अमेरिकी सेना ने इसका जवाब देते हुए बताया है कि तय नियमों और लॉ ऑफ आर्म्ड कॉन्फ्लिक्ट के तहत उसके शव का निपटारा किया गया।
अमेरिकी रक्षा सूत्रों ने स्पष्ट करते हुए बताया कि उसकी मौत के बाद डीएनए टेस्ट किया गया और फिर शव को समुद्र में दफना दिया गया। इससे पहले खूंखार आतंकी ओसामा बिन लादेन के साथ भी ऐसा ही किया गया था।
अमेरिकी सेना के जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ के चेयरमैन मार्क मिली ने बताया, 'बगदादी के शव को डीएनए टेस्टिंग के लिए सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया। इसके बाद उसके शव का निपटारा किया गया। इस काम को पूरी तरह नियमों के तहत अंजाम दिया गया।'
अमेरिकी सेना ने शनिवार की शाम सीरिया के उत्तर पश्चिमी प्रांत इदलिब के बारिशा गांव में कार्रवाई कर बगदादी को कई आतंकियों समेत ढेर कर दिया था। दरअसल, अमेरिकी कमांडोज से पूरी तरह घिरने के बाद बगदादी ने खुद को बम से उड़ा लिया था।
अमेरिकी सेना के टॉप जनरल ने बताया, 'उसके शव का हमने अपने स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रॉसिजर के तहत निपटारा कर दिया। इसमें लॉ ऑफ ऑर्म्ड कॉन्फ्लिक्ट का भी पालन किया गया।' आपको बता दें कि 2011 में पाकिस्तान के ऐबटाबाद में अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को अमेरिकी सील कमांडोज ने उसके गुप्त ठिकाने पर ढेर कर दिया था। इस ऑपरेशन के बाद लादेन के शव को समुद्र में दफना दिया गया था।
सवालों के जवाब देते हुए जनरल मिली ने कहा कि अमेरिकी सैनिकों ने बगदादी के गुप्त ठिकाने पर मिली आईएसआईएस से जुड़ी चीजों को रख लिया है। इसमें खूंखार आतंकी संगठन की भविष्य की साजिशों के बारे में जानकारी भी शामिल है।
उन्होंने कहा, 'वहां से कुछ सामान लिया गया। हालांकि अभी हम इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दे सकते हैं कि वे क्या चीजें थीं। बगदादी को जिस ठिकाने पर ढेर किया गया, वह अकसर वहीं रहता था।' उन्होंने बताया कि बगदादी के दो साथियों को सैनिकों ने जिंदा पकड़ा है।
आमतौर पर इस्लाम में जमीन में दफन किए जाने की परंपरा है लेकिन, अमेरिकी सेना ने बगदादी को समुद्र में दफनाने का फैसला इसलिए किया ताकि भविष्य में आतंकी इस्लामिक स्टेट के सरगना की कब्र को किसी स्मारक में न तब्दील कर दें। लादेन को भी इसी इरादे से समुद्र में दफनाया गया था, जिससे वह आतंकियों की नजर में मसीहा न बन सके।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.