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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विजयादशमी उत्सव के मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर निर्माण को लेकर बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि किसी भी रास्ते से राम मंदिर का निर्माण जरूर होना चाहिए, इसके लिए सरकार को कानून लाना चाहिए. बता दें कि गुरुवार को नागपुर में संघ की ओर से विजयादशमी उत्सव मनाया गया, इस कार्यक्रम में नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत अगर पंचामृत के मंत्र पर आगे बढ़ेगा तो एक बार फिर विश्वगुरू बन सकता है. एक भयानक आंधी बाबर के रूप में आई और उसने हमारे देश के हिंदू-मुसलमानों को नहीं बख्शा. उसके नीचे समाज रौंदा जाने लगा.

संघ प्रमुख ने कहा कि राम सिर्फ हिंदुओं के नहीं हैं, बल्कि पूरे देश के हैं. किसी भी मार्ग से बने लेकिन उनका मंदिर बनना चाहिए. सरकार को इसके लिए कानून लाना चाहिए. अगर राम मंदिर बनता है तो देश में सद्भावना का माहौल बनेगा. उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं कि इनकी सत्ता है फिर भी मंदिर क्यों नहीं बना, वोटर सिर्फ एक ही दिन का राजा रहता है. मतदाता को सोच विचार कर अपने वोट का इस्तेमाल करना चाहिए, वरना एक दिन के कारण 5 साल तक भुगतना पड़ता है.

सबरीमाला के मुद्दे पर मोहन भागवत ने कहा कि सबरीमाला के निर्णय का उद्देश्य स्त्री-पुरुष समानता का था, लेकिन क्या हुआ. इतने वर्षों से परंपरा चल रही है वह टूट गई, जिन्होंने याचिका डाली वो कभी मंदिर नहीं गए, जो महिलाएं आंदोलन कर रही हैं वो आस्था को मानती हैं. धर्म के मुद्दे पर धर्माचार्यों से बात होनी चाहिए, वो बदलाव की बात को समझते हैं.

संघ प्रमुख ने कहा कि ये परंपरा है, उसके पीछे कई कारण होते हैं. कोर्ट के फैसले से वहां पर असंतोष पैदा हो गया है. महिलाएं ही इस परंपरा को मानती हैं लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई.

भागवत ने कहा कि हमारे देश में राजनीति को लेकर कई प्रयोग हुए. महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा के आधार पर राजनीति की कल्पना की. इसी नैतिक बल के कारण ही देश अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट हुआ. उन्होंने कहा कि हम किसी की शत्रुता नहीं करते हैं, लेकिन दुनिया में हमारी शत्रुता करने वाले लोग हैं. इसलिए उनके लिए कुछ तो करना पड़ेगा.

मोहन भागवत ने कहा कि पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन हुआ लेकिन उसकी हरकतों में कोई अंतर नहीं आया. हमें इतना बलवान होना पड़ेगा ताकि कोई हमारे ऊपर आक्रमण करने की हिम्मत ना कर पाए. हाल के वर्षों में दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है. उन्होंने कहा कि हमने अपना देश सरकार को नहीं सौंपा है, देश हमारा ही है. सरकार सबकुछ नहीं करती है, उसे कुछ कामों की गति बढ़ानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि कई तरह के सुरक्षा उत्पादनों की खरीदी व्यापारिक दांवपेंच का हिस्सा होता है, अब ये जो लेन-देन के तरीके को बंद ना करें. बल्कि उसे इस तरह चलाएं कि अपनी सुरक्षा के लिए किसी पर निर्भर ना रहें. हमें अपने देश में ही सुरक्षा से जुड़ी चीजों को बनाना चाहिए.

मोहन भागवत बोले कि अभी देश में कई तरह की चिंताएं है इस बीच ही कुछ शक्तियां देश को अंदर से ही खोखला करना चाहती हैं. कुछ कारणों से अपने ही देश के लोग भी इन शक्तियों के साथ खड़े हो जाते हैं, इन कारणों को दूर करने की जरूरत है. देश में पुलिस की हालत जैसी होनी चाहिए वैसी नहीं है. पुलिस बल में सुधार के लिए प्रस्तावों की बातें अभी तक फाइलों में धूल खा रही हैं.

संघ प्रमुख ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में छोटी-छोटी बातों को लेकर आंदोलन हुए जिन्हें बड़ा बना दिया गया. लेकिन जो भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे लगाते हैं, जो आतंकवादियों से संबंध रखते हैं वो भी इस आंदोलन में दिखते हैं. इसका राजनीतिक लाभ भी लिया जा रहा है. इसका कंटेंट पाकिस्तान और इटली में बैठे लोगों की तरफ से आ रहा है. आजकल अर्बन माओवादी की बात सामने आई है, माओवाद हमेशा अर्बन ही रहा है. कुछ लोग बंदूक के दम पर सत्ता को हथियाना चाहते हैं.