अंग्रेजी अखबार 'द हिन्दू' ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में दावा किया है कि फ्रांस के साथ 36 राफेल जेट खरीदने की डील से कुछ दिन पहले केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने एस्क्रो अकाउंट के जरिये पेमेंट को लेकर वित्तीय सलाहकारों की सिफारिश के साथ ही भ्रष्टाचार के मामले में जुर्माना लागने जैसे सख्त प्रावधान हटा लिए थे.
रिपोर्ट में कहा गया है, 'गैरवाजिब प्रभाव, एजेंट या एजेंसी को कमीशन देना, दसॉ एविशन और एमबीडीए फ्रां कंपनी के खातों तक पहुंच आदि पर जुर्माने की जो मानक रक्षा खरीद प्रक्रिया (DPP) अपनाई जाती थी, उच्च स्तरीय राजनीतिक हस्तक्षेप की वजह से उसे भारत सरकार ने सप्लाई प्रोटोकॉल से हटा दिया.'
गौरतलब है कि 23 सितंबर, 2016 को भारत और फ्रांस के बीच जिस आईजीए पर दस्तखत हुआ था उसके मुताबिक राफेल को एयरक्राफ्ट पैकेज और एमबीडीए फ्रांस को हथियारों के पैकेज की आपूर्ति भारतीय वायु सेना को करनी है.
द हिंदू का दावा है कि उसके पास जो आधिकारिक दस्तावेज हैं, उनके मुताबिक तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की अध्यक्षता वाले रक्षा खरीद परिषद (DAC) की सितंबर, 2016 में बैठक हुई और इसके द्वारा आईजीए, सप्लाई प्रोटोकॉल, ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट और ऑफसेट शेड्यूल में आठ बदलाव किए गए.
सोमवार को यह खबर छपते ही कांग्रेस के कई नेताओं ने मोदी सरकार पर एक बार फिर निशाना साधा है. कांग्रेस ने इस खबर के छपने के बाद ट्वीट कर कहा, 'पीएमओ द्वारा सॉवरेन गारंटी को खत्म करने के दबाव के बाद अब पता चला है कि पीएमओ ने मानक एंटी-करप्शन क्लॉज हटाने के लिए भी कहा. पीएमओ आखिर किसे बचाना चाहता था?
बता दें कि इससे पहले भी द हिंदू की खबर पर बवाल मचा था, जब उसने राफेल सौदे में रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी की आपत्ति की खबर को प्रकाशित की थी. इससे पहले इसी अखबार ने रक्षा मंत्रालय के भेजे एक नोट के हवाले से बताया था कि राफेल डील को लेकर बातचीत में प्रधानमंत्री कार्यालय के दखल दे रहा था और इस पर रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने एतराज़ जताया था.
अखबार ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में कहा है कि उच्च स्तरीय राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण भारत सरकार ने सप्लाई प्रोटोकॉल से मानक रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीपीपी) की उन धाराओं को हटा लिया था, जिनके तहत 'बेजा दबाव और दलालों तथा एजेंसियों के इस्तेमाल पर दंड लगाने' का प्रावधान था. इसके साथ 'दसॉ एविएशन व एमबीडीए फ्रांस के कंपनी खातों में पहुंच के अधिकार' देने वाले प्रावधानों को भी हटा लिया गया.
बता दें कि दसॉ राफेल विमानों की सप्लायर है, जबकि एमबीडीए फ्रांस भारतीय वायुसेना को हथियारों की सप्लायर है.
अखबार के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की सुरक्षा कमेटी ने 24 अगस्त 2016 को इस डील से जुड़े दस्तावेज़ों को मंजूरी दी थी, जिसके बाद तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद् की सितंबर 2016 में हुई बैठक में इन प्रावधानों का हटाया गया.
इस रिपोर्ट में साथ ही बताया गया कि फ्रांस के साथ इस सौदे के लिए बातचीत कर रही टीम में शामिल तीन अधिकारियों एमपी सिंह, एआर सुले, राजीव वर्मा ने इस प्रावधानों को हटाए जाने पर सख्त ऐतराज जताया था, लेकिन उनकी आपत्तियों को दरकिनार कर दिया गया.