प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने बुधवार को तीन तलाक (इंस्टैंट ट्रिपल तलाक) पर अध्यादेश को मंजूरी दे दी. आज हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में तीन तलाक पर अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई. तीन तलाक विधेयक लोकसभा से पारित हो चुका है, लेकिन राज्यसभा में लंबित है. राष्ट्रपति की मुहर लगते ही तीन तलाक पर कानून पास हो जाएगा. संसद से बिल पारित होने से पहले 6 महीने तक अध्यादेश से काम चलेगा.
Cabinet has today approved an ordinance on Triple Talaq: Law Minister Ravi Shankar Prasad pic.twitter.com/x55lGeihBW
— ANI (@ANI) September 19, 2018
आपको बता दें कि संसद के मॉनसून सत्र के दौरान राज्यसभा में हंगामे और राजनीतिक सहमति न बन पाने की वजह से तीन तलाक पर संशोधन बिल पास नहीं हो सका था. मोदी कैबिनेट ने इस बिल में 9 अगस्त को तीन संशोधन किए थे, जिसमें ज़मानत देने का अधिकार मजिस्ट्रेट के पास होगा और कोर्ट की इजाज़त से समझौते का प्रावधन भी होगा.
अब इस अध्यादेश को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. वहीं पीएम मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में कहा था कि तीन तलाक प्रथा मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय है. तीन तलाक ने बहुत सी महिलाओं का जीवन बर्बाद कर दिया है और बहुत सी महिलाएं अभी भी डर में जी रही हैं.
तीन तलाक पर अध्यादेश को कानून बनाने के लिए सरकार को आगामी शीतकालीन सत्र में इसे पारित कराना होगा. संसद के मानसून सत्र में सरकार ने राज्यसभा में तीन तलाक विधेक को पारित कराने की कोशिश की लेकिन विपक्ष के हंगामे के चलते यह विधेयक पारित नहीं हो सका. विपक्ष तीन तलाक मामले में तुरंत गिरफ्तारी से जुड़े विधेयक के प्रावधान में संशोधन चाहता है. विपक्ष का कहना है कि व्यक्ति के तुरंत गिरफ्तार हो जाने के बाद वह अपने परिवार की देखभाल नहीं कर सकता.
तीन तलाक बिल का राज्यसभा में कड़ा विरोध हुआ था. विपक्षी नेताओं ने मांग की थी कि इस बिल को कड़े परीक्षण के लिए संसदीय समिति के पास भेजा जाना चाहिए. प्रस्तावित कानून पर बढ़ते विरोध को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर सभी राज्य सरकारों से राय भी मांगी थी. ज्यादातर राज्य सरकारों ने इसका समर्थन किया था.
इस बिल के तहत तुरंत तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को अपराध की श्रेणी में रखा गया. अपनी पत्नी को एक बार में तीन तलाक बोलकर तलाक देने वाले मुस्लिम पुरुष को तीन साल की जेल की सजा हो सकती है. इस बिल में मुस्लिम महिला को भत्ते और बच्चों की परवरिश के लिए खर्च को लेकर भी प्रावधान है. इसके तहत मौखिक, टेलिफोनिक या लिखित किसी भी रूप में एक बार में तीन तलाक को गैर-कानूनी करार दिया गया है.
तीन तलाक पर अध्यादेश आने के बाद मुस्लिमों महिलाओं ने खुशी का इजहार किया है, वहीं, सरकार के इस फैसले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आनी शुरू हो गई हैं. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार तीन तलाक को मुस्लिम महिलाओं के लिए न्याय का मुद्दा नहीं बना रही बल्कि वह इसे एक राजनीतिक मुद्दा बनाना चाहती है.
Modi government not making this an issue for justice for Muslim women, but making this into a political issue: Randeep Surjewala, Congress pic.twitter.com/vBoV1BSQuQ
— ANI (@ANI) September 19, 2018
पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक को गैर कानूनी और असंवैधानिक करार दिया था. तीन तलाक के संबंध में कई मुस्लिम महिलाओं ने याचिका लगाई थी कि उनके पतियों ने उन्हें स्काइप या वॉट्सऐप के जरिये तलाक दिया है और उन्हें बेसहारा छोड़ दिया है.