दशकों से आतंक का दंश झेल रहे जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद पर एक बड़ी कार्रवाई करते हुए केंद्र सरकार ने अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है। इस संबंध में गुरुवार शाम गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी करते हुए जमात-ए-इस्लामी पर पांच साल का प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है।
पुलवामा में आंतकी हमले के बाद भारत सरकार ने कश्मीर में अलगाववादियों और जमात-ए-इस्लामी पर कड़ी कार्रवाई की है. पिछले कुछ दिनों से छापेमारी में इस संगठन के करीब 150 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मंत्रालय ने अपनी अधिसूचना में यह कहा है कि जमात-ए-इस्लामी ऐसी गतिविधियों में शामिल रहा है जो कि आंतरिक सुरक्षा और लोक व्यवस्था के लिए खतरा हैं। ऐसे में केंद्र सरकार इसे एक विधि विरूद्ध संगठन घोषित करती है।
Under section 3 of Unlawful Activities (Prevention) Act, 1967, Central Government declares the Jamaat-e-Islami (JeI), Jammu and Kashmir as an "unlawful association". pic.twitter.com/74hNtFwZFP
— ANI (@ANI) February 28, 2019
केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में जमात-ए-इस्लामी के अलगाववाद और देश विरोधी गतिविधियों में भी शामिल होने की बात कही गई है। इसके अलावा इसको नफरत फैलाने के इरादे से काम करने वाला एक संगठन भी बताया गया है, जिसके बाद मंत्रालय ने सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के लिहाज से संगठन को प्रतिबंधित करने के आदेश दिए हैं। बता दें कि हाल ही में एजेंसियों ने कश्मीर घाटी से जमात-ए-इस्लामी के तमाम सदस्यों को गिरफ्तार किया था।
घाटी में 22 फरवरी को हुई एक बड़ी कार्रवाई के दौरान पुलिस ने जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट और जमात-ए-इस्लामी के 130 से अधिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया था। 22 फरवरी की रात दक्षिण, मध्य और उत्तरी कश्मीर के इलाकों में यह छापेमारी की गई थी, जिसमें जमात संगठन के प्रमुख अब्दुल हामिद फयाज सहित दर्जनों नेताओं को हिरासत में लिया गया।
इस कार्रवाई के बाद महबूबा मुफ्ती ने जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की निंदा की थी। इसके अलावा पूर्व राज्यमंत्री सज्जाद लोन ने इस कार्रवाई पर सवालिया निशान लगाए थे।
जमात-ए-इस्लामी की स्थापना एक इस्लामिक-राजनीतिक संगठन और सामाजिक आंदोलन के तौर पर 1941 में की गई थी। इसकी स्थापना अबुल अला मौदूदी ने की थी जो कि एक इस्लामिक आलिम (धर्मशात्री) और सामाजिक-राजनीतिक दार्शनिक थे।
मुस्लिम ब्रदरहुड (इख्वान-अल-मुसलमीन, जिसकी स्थापना 1928 में मिस्त्र में हुई थी) के साथ जमात-ए-इस्लामी अपनी तरह का पहला संगठन था जिसने इस्लाम की आधुनिक संकल्पना के आधार पर एक विचारधारा को तैयार किया।