सरकार ने वायु प्रदूषण से सर्वाधिक प्रभावित दिल्ली सहित 102 शहरों में अगले पांच सालों में हवा की गुणवत्ता में 20 से 30 प्रतिशत सुधार के लक्ष्य को हासिल करने के लिये पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की निगरानी में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) गुरुवार से शुरु किया गया।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डा. हर्षवर्धन ने एनसीएपी की औपचारिक शुरुआत करते हुये बताया कि इस मुहिम के शुरुआती पांच सालों में 23 राज्यों के 102 शहरों में वायु प्रदूषण के मुख्य कारक पार्टिकुलेट तत्व (पीएम 2.5 और पीएम 10) के स्तर में 20 से 30 प्रतिशत की कमी लायी जायेगी। हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिये सभी संबद्ध मंत्रालयों, राज्य सरकारों के विभागों, स्थानीय निकाय, सामाजिक संगठनों के अलावा केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) सहित विभिन्न एजेंसियों को शामिल किया गया है।
उन्होंने बताया कि एनसीएपी में स्मार्ट सिटी परियोजना के प्रदूषण नियंत्रण संबंधी योजनाओं को भी शामिल किया गया है। इसके मद्देनजर एनसीएपी के तहत चिन्हित 102 शहरों में वे 43 शहर भी शामिल हैं जो स्मार्ट सिटी परियोजना के हिस्सा हैं।
एनसीएपी के तहत महाराष्ट्र के मुंबई, नागपुर, नासिक सहित सर्वाधिक 17 और उत्तर प्रदेश के आगरा, गाजियाबाद, कानपुर और वाराणसी सहित 15 शहर शामिल हैं, जबकि पंजाब के लुधियाना और जालंधर सहित नौ शहर, हिमाचल प्रदेश के सात, मध्य प्रदेश और ओडिशा के छह छह तथा राजस्थान, आंध्र प्रदेश एवं असम के पांच पांच शहर शामिल किये गये हैं। हर्षवर्धन ने कहा कि सर्वाधिक वायु प्रदूषण वाले 102 शहरों के साथ अन्य शहरों में भी एनसीएपी के तहत हवा साफ बनाने की मुहिम जारी रहेगी।
एनसीएपी की कार्ययोजना के बारे में उन्होंने बताया कि इसके तहत सभी चिन्हित 102 शहरों की स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर सीपीसीबी के सहयोग से पृथक कार्ययोजना तैयार कर ली गयी है। केन्द्र सरकार के स्तर पर पर्यावरण मंत्रालय की एक समिति और राज्य के स्तर पर राज्य के मुख्य सचिव की अगुवाई वाली समिति शहरों की कार्ययोजना को लागू करने की निगरानी करेगी।
इसके अलावा जिला स्तर पर जिलाधिकारी से लेकर राज्य और केन्द्र के स्तर तक विभिन्न निकाय इनकी कार्ययोजना के निष्पादन में तकनीकी एवं अन्य जरूरी सहयोग देने में पूर्वनिर्धारित भूमिका निभायेंगे। साथ ही वायु प्रदूषण नियंत्रण में एनसीएपी के तहत सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय, आवास एवं शहरी विकास मामलों के मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, और नीति आयोग के अलावा उद्योग जगत की भी स्पष्ट एवं सक्रिय भूमिका तय की गयी है।
इस मौके पर नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत और पर्यावरण सचिव सी के मिश्रा सहित मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। कांत ने इसे केन्द्र सरकार द्वारा संचालित सर्वाधिक अहम कार्यक्रम बताते हुये कहा कि विकास संबंधी सभी लक्ष्य प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण के साथ सामंजस्य के बिना अधूरे हैं। उन्होंने कहा कि भारत में शहरीकरण और शहरों की तरफ पलायन की गति में अगले कुछ दशकों में तेजी से इजाफे की संभावना को देखते हुये एनसीएपी भविष्य की चुनौती से निपटने में मददगार साबित होगा।