मोदी सरकार ने बुधवार 9 अक्टूबर को पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर से आए 5,300 विस्थापित परिवारों के लिए पुनर्वास पैकेज के तौर पर 5.5-5.5 लाख रुपये के वन टाइम पेमेंट को मंजूरी दी है।
इस पुनर्वास पैकेज में पीओके से आए उन विस्थापित परिवारों को शामिल किया गया है जो शुरुआत में जम्मू-कश्मीर के बाहर बसे थे लेकिन बाद में सूबे में बस गए थे। 2016 में पीओके से विस्थापित परिवारों के पुनर्वास के लिए मोदी सरकार ने जिस योजना का ऐलान किया था, उसमें ये परिवार शामिल नहीं हो पाए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक के बाद सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पत्रकारों को बताया, 'साल 2016 में प्रधानमंत्री ने पीओके के विस्थापितों के लिए 5.5 लाख रुपये प्रति परिवार के पैकेज की घोषणा की थी। लेकिन तब इसमें 5,300 परिवार शामिल नहीं हो सके थे क्योंकि वे शुरुआत में जम्मू-कश्मीर से बाहर बसे थे और उनका नाम नहीं आया था।' उन्होंने इसे पीओके से विस्थापित परिवारों के साथ हुई ऐतिहासिक गलती को सुधारने वाला कदम बताया।
Union Minister Prakash Javadekar: It has been decided that 5300 displaced families (from PoK), who had settled in regions others than J&K but later came to the state, will also be provided Rs 5.5 Lakh each. This will provide justice to these displaced families. pic.twitter.com/m7NuNYJW13
— ANI (@ANI) 9 October 2019
2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीओके से आए इन लोगों के लिए 5.5 लाख रुपये देने का ऐलान किया था, लेकिन तब इन 5300 परिवारों को लाभ नहीं मिल पाया था। जो अब केंद्रीय कैबिनेट ने इन परिवारों को भी ये सहायता राशि देनी की मंजूरी दे दी है। सरकार की ओर से ये राशि इन परिवारों को अपने घर बसाने के लिए दी जा रही है।
ये 5300 परिवार वो हैं जो बंटवारे के बाद या कश्मीर के विलय के बाद पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को छोड़कर हिंदुस्तान आ गए थे। लेकिन तब ये कश्मीर में ना रुककर देश के अन्य हिस्सों में बस गए थे, हालांकि बाद में ये दोबारा जम्मू-कश्मीर में जा बसे. यही कारण रहा था कि इनके पास कोई अधिकार नहीं था और कोई सरकारी लाभ इन्हें नहीं मिल सका।
आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में पहले वही नागरिक वोट दे सकते थे या फिर चुनाव लड़ सकते थे, जो वहां के मूल नागरिक थे। यानी बंटवारे के बाद जो लोग जम्मू-कश्मीर में आकर बसे थे उन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं था, इसके अलावा कुछ जाति के लोगों को भी ये अधिकार नहीं थे।
हालांकि, केंद्र सरकार के द्वारा अनुच्छेद 370 हटाने के बाद ये नियम निष्प्रभावी हो गए थे। अब इन 5300 परिवारों को भी ये लाभ मिलने जा रहा है, जिसकी शुरुआत पुर्ननिवास भत्ते के साथ हुई है।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।