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उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र में सरकार गठन के मुद्दे को लेकर शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन की याचिका पर मंगलवार को आदेश सुनाया जायेगा। इस गठबंधन ने बीजेपी नेता देवेन्द्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले को चुनौती दे रखी है।

राज्य में राजनीतिक हलके में अनिश्चित्ता बढ़ गयी है क्योंकि केन्द्र ने सोमवार को भी यही दावा किया कि महाराष्ट्र में सरकार गठित करने के लिये बीजेपी को एनसीपी के 54 विधायकों का समर्थन था। केन्द्र ने न्यायालय से अनुरोध किया कि राज्यपाल के फैसले के खिलाफ याचिका पर जवाब देने के लिये उसे दो तीन दिन का वक्त दिया जाये।

न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष शिवसेना की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उनके गठबंधन के पास 154 विधायकों के हलफनामे हैं और बीजेपी को 24 घंटे के भीतर अपना बहुमत सिद्ध करने के लिये कहा जाना चाहिए, अगर उसके पास है।

केन्द्र ने पीठ से कहा कि 23 नवंबर को सबसे बड़े दल को सरकार गठित करने के लिये आमंत्रित करना राज्यपाल का विवेकाधिकार था। सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि महाराष्ट्र के राज्यपाल को सरकार गठित करने के लिये घूम घूम कर यह पता लगाने की आवश्यकता नहीं है कि किस दल के पास बहुमत है।

उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि क्या कोई दल यहां आकर 24 घंटे के भीतर बहुमत सिद्ध करने के लिये न्यायालय से हस्तक्षेप का अनुरोध कर सकता है। मेहता ने कहा कि राज्यपाल चुनाव के नतीजों के बाद के तथ्यों और स्थिति से भलीभांति अवगत थे जिनकी वजह से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा।

शीर्ष अदालत ने फड़णवीस को सरकार बनाने के लिये आमंत्रित करने संबंधी राज्यपाल कोश्यारी के पत्र का अवलोकन किया और फिर कहा कि यह निर्णय करना होगा कि क्या मुख्यमंत्री के पास सदन में बहुमत का समर्थन है या नहीं।

उच्चतम न्यायालय
उच्चतम न्यायालयREUTERS/Anindito Mukherjee

सालिसिटर जनरल ने स्पष्ट किया कि राज्यपाल ने शिवसेना, बीजेपी, एनसीपी को सरकार गठित करने के लिये आमंत्रित किया था और इनके कामयाब नहीं होने के बाद ही प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाया गया। एनसीपी के नेता और उप मुख्यमंत्री अजित पवार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिन्दर सिंह ने पीठ से कहा कि राज्यपाल ने नियमानुसार ही फडणवीस को सरकार गठित करने के लिये आमंत्रित किया है।

इससे पहले, शिवसेना की ओर से बहस शुरू करते हुये सिब्बल ने तीनों दलों की प्रेस कांफ्रेस का हवाला दिया जिसमें उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री घोषित किया गया था।

सिब्बल ने कहा, ''ऐसी कौन सी राष्ट्रीय आपदा थी कि सवेरे 5.27 मिनट पर राष्ट्रपति शासन खत्म किया जाता।'' उन्होंने राष्ट्रपति शासन हटाने की कथित जल्दबाजी और नयी सरकार के गठन का जिक्र किया और कहा कि लोकतांत्रिक इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।

सिब्बल ने कहा, ''(शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस) गठबंधन ने महाराष्ट्र के 154 विधायकों के समर्थन के हलफनामे दिए हैं। यदि बीजेपी के पास संख्या है तो उसे 24 घंटे के भीतर बहुमत सिद्ध करने के लिये कहा जाना चाहिए।''

एनसीपी और कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इसे 'निचले स्तर का छल' करार दिया और सवाल किया कि क्या एक भी एनसीपी विधायक ने अजित पवार से कहा कि उसने बीजेपी के साथ हाथ मिलाने के लिये उनका समर्थन किया।

विशेष पीठ के समक्ष सोमवार को सुनवाई शुरू होने पर मेहता ने न्यायालय के निर्देशानुसार राज्यपाल और फड़णवीस के पत्र पेश किया। पीठ ने रविवार को ये पत्र पेश करने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन की इस याचिका पर विचार नहीं कर रही है कि उन्हें महाराष्ट्र में सरकार गठित करने के लिये आमंत्रित किया जाये।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.