कर्नाटक के मुख्यमंत्री के शपथग्रहण समारोह के अवसर पर बेंगलुरू में जमा हुए विपक्षी नेता.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री के शपथग्रहण समारोह के अवसर पर बेंगलुरू में जमा हुए विपक्षी नेता.एएफपी/गेटी गेटी इमेजेस

कर्नाटक में गठबंधन की रणनीति कांग्रेस के लिये डूबते को तिनके का सहारा बनकर सामने आई है और अब इस बात की पूरी उम्मीद है कि राज्य का यह प्रमुख विपक्षी दल आगामी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में मायावती की बहुजन समाज पार्टी के साथ हाथ मिलाकर उतर सकता है.

इसके अलावा सूचना यह है कि कांग्रेस ने राजस्थान और छत्तीसगढ में भी बीएसपी के साथ समझौता करने की योजना बना ली है जहां पर नीले झंडे वाला दल अबतक औसतन क्रमशः 3 प्रतिशत और 5 प्रतिशत मत पाता आया है.

कांग्रेस की बीएसपी के साथ गठबंधन करने की रणनीति बीजेपी को झटका देने वाली साबित हो सकती है क्योंकि पूरे मध्य प्रदेश में बीएसपी करीब 7 प्रतिशत की वोट हिस्सेदारी रखती है. इस बात को सरल गणितीय शब्दों समझने का प्रयास करें तो इसका सीधा मतलब यह निकलता है कि अगर बीएसपी का 7 प्रतिशत का मत बीते विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मिले 37 प्रतिशत मत प्रतिशत में मिल जाता है तो हो सकता है कि बीजेपी राज्य में खुद को भारी दिक्कत में पाए.

क्षेत्रीय दलों के साथ चुनाव-पूर्व गठबंधन की कांग्रेस की रणनीति आगामी चुनावों में बीजेपी विरोधी मतों के विभाजन को रोकने का प्रयास हो सकती है. उन्होंने यह कदम उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा के उपचुनावों में संयुक्त विपक्ष के हाथों बीजेपी की हार के एक दिन बाद उठाया है.

हालांकि एमपी कांग्रेस के नवनियुक्त प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने द वायर को बताया कि दोनों दलों के बीच गठबंधन की बात को पहले ही अमली जामा पहनाया जा चुका था.

द वायर ने कमलनाथ के हवाले से लिखा, ''मैं मायावती जी से बात कर रहा हूं और हमें इस बात की पूरी उम्मीद है कि हम एक समझौते पर पहुंचेंगे. राज्य की शिवराज सिंह की सरकार और केंद्र कर नरेंद्र मोदी सरकार देश के लोगों के लिये एक बड़ी मुसीबत हैं और कांग्रेस इनका सामना करने के लिये एक संयुक्त विपक्ष की अवधारणा को सच साबित करेगा.''