देश में आर्थिक मंदी को संभालने के लिए भारत सरकार को जल्दी ही कुछ कदम उठाने की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने देश में जीडीपी ग्रोथ को बढ़ाने के लिए भारत सरकार को यह सलाह दी है। भारत की अर्थव्यवस्था को दुनिया के ग्रोथ इंजनों में से एक करार देते हुए अंतरराष्ट्रीय संस्था ने कहा कि मौजूदा स्थिति से उबरने के लिए जल्दी ही कुछ कदम उठाने की जरूरत है।
आईएमएफ एशिया और पैसिफिट विभाग के रानिल सालगाडो ने कहा, 'लाखों को गरीबी से बाहर लाने के बाद भारत अब आर्थिक सुस्ती के बीच है। वर्तमान मंदी को दूर करने और उच्च विकास पथ पर लौटने के लिए भारत को तत्काल नीतिगत उपायों की आवश्यकता है।' हालांकि सरकार के पास विकास हेतु खर्च को बढ़ावा देने के लिए सीमित विकल्प हैं। विशेष रूप से उच्च ऋण स्तर और ब्याज भुगतान को देखते हुए। आईएमएफ ने कहा है कि हाल के वर्षों में भारत की उच्च विकास दर से औपचारिक क्षेत्र की नौकरियों में मेल-जोल नहीं बढ़ा और श्रम बाजार की भागीदारी में गिरावट आई है।
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है, "अधिक समावेशी और टिकाऊ विकास के बिना भारत के युवा और तेजी से बढ़ते श्रम बल से अगले कुछ दशकों में भारत का संभावित जनसांख्यिकीय लाभांश बर्बाद हो सकता है।" इस रिपोर्ट में कहा गया कि खपत और निवेश की गिरावट ने भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि को धीमा कर दिया। इसने कहा कि अपेक्षाकृत कम खाद्य कीमतों ने "ग्रामीण संकट" में भूमिका निभाई है। इसमें जीएसटी जैसे कुछ अहम और उचित सुधारों को लागू करने में हुई दिक्कतों की भूमिका भी हो सकती है। साल्गेडो के मुताबिक आईएमएफ का जनवरी में जारी जीडीपी ग्रोथ अनुमान पिछले अनुमान के मुकाबले काफी कम होगा।
सालगाडो ने कहा कि विकास दर को फिर से प्राप्त करने के लिए, अर्थव्यवस्था में आत्मविश्वास बढ़ाने के तरीके और सुदृढ़ आत्मविश्वास के लिए एक महत्वपूर्ण संरचनात्मक सुधार एजेंडा बहुत मददगार होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल के चुनावों में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के बड़े संसदीय बहुमत ने समावेशी और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने के लिए सुधार के एजेंडे को मजबूत करने का अवसर प्रदान किया है। नई सरकार बहुमत में है, इसलिए मौका है कि संयुक्त और सतत विकास के लिए सुधारों की प्रक्रिया तेज की जाए।आईएमएफ ने भारत का आउटलुक घटाने का जोखिम बताते हुए कहा कि मैक्रोइकोनॉमिक मैनेजमेंट में लगातार मजबूती जरूरी है।
सालगाडो ने कहा कि दूसरे मोर्चों पर भारत का प्रदर्शन अच्छा है। विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर पर है। वित्तीय घाटा कम हुआ है। महंगाई दर में अभी कुछ इजाफा हुआ है लेकिन, पिछले कुछ सालों में यह नियंत्रण में रही। साल्गेडो का कहना है कि भारत की आर्थिक सुस्ती आईएमएफ के लिए चौंकाने वाली है, लेकिन इसे आर्थिक संकट नहीं कह सकते।
इससे एक हफ्ते पहले आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा था कि आईएमएफ जनवरी में भारत की वृद्धि के अपने अनुमान में उल्लेखनीय कमी कर सकता है। भारत में जन्मी गोपीनाथ ने इंडिया इकनॉमिक कॉन्क्लेव में कहा था कि संस्थान ने इससे पहले अक्टूबर में अनुमान जारी किया था और जनवरी में इसकी समीक्षा करेगा। भारत ही एकमात्र उभरता हुआ बाजार है, जो इस तरह आश्चर्यचकित कर सकता है। उन्होंने कहा था, 'आप हाल में आने वाले आंकड़ों पर गौर करेंगे, हम अपने आंकड़ों को संशोधित करेंगे और जनवरी में नए आंकड़े जारी करेंगे। इसमें भारत के मामले में उल्लेखनीय रूप से कमी आ सकती है।'
हालांकि, उन्होंने कोई आंकड़ा बताने से इनकार कर दिया था। गोपीनाथ ने कहा था कि अगर सरकार को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को हासिल करना है तो उसे अपने मजबूत बहुमत का इस्तेमाल भूमि और श्रम बाजार में सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए करना चाहिए। इससे पहले अन्य एजेंसियां भी भारत के विकास दर अनुमान में कटौती कर चुकी हैं।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी एएफपी द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.