भारतीय सेना द्वारा चीन और पाकिस्तान सीमा स्थित अग्रणी मोर्चों पर तैनात अपने सैनिकों के लिए मांग किए जाने के एक दशक बाद, रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को 16,479 इजरायली लाइट मशीन गन (एलएमजी) की खरीद के लिए 880 करोड़ रुपये के सौदे पर हस्ताक्षर किए। 16,479 नेगेव 7.62x51 मिमी एलएमजी का पहला बैच सेना के अलावा नौसेना और वायु सेना द्वारा रखी गई समग्र मांग का एक भर हिस्सा होगा।
टाइम्स ऑफ इंडियन ने एक अधिकारी के हवाले से बताया, "इजरायल वेपंस इंडस्ट्रीज (आइडब्ल्यूआइ) द्वारा निर्मित नेगेव एलएमजी, वर्तमान में दुनिया भर के कई देशों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले युद्ध-सिद्ध हथियार हैं। असाल्ट राइफल के मामले की तरह, इसकी कमी को भी 'मेक इन इंडिया' परियोजना के माध्यम से पूरा किया जाएगा।"
प्रति मिनट 850 फायर करने वाला यह हथियार दुनिया की सर्वश्रेष्ठ मशीनगनों में शुमार है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की स्वीकृति के बाद सौदे पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इजरायल के रामात हाशैरोन शहर स्थित कारखाने से 7.62 एमएम कैलिबर की नेगेव एलएमजी भारतीय सुरक्षा बलों को उपलब्ध कराई जाएगी।
महज साढ़े सात किलोग्राम वजन वाली इस एलएमजी का इस्तेमाल हेलीकॉप्टर, छोटे समुद्री जहाजों और जमीनी लड़ाई में आसानी से किया जा सकेगा। इस पर लगे टेलीस्कोप से निशाना लेकर महज एक गोली दागकर दुश्मन का काम तमाम किया जा सकता है और ऑटोमैटिक मोड में बर्स्ट खोलकर दुश्मनों पर कहर बरपाया जा सकता है।
रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि नेगेव एलएमजी आमने-सामने की लड़ाई में आजमाया हुआ उत्कृष्ट हथियार है। इसे दुनिया के कई देश इस्तेमाल कर रहे हैं। इस हथियार के मिल जाने पर देश के अग्रणी मोर्चे पर रहने वाले जवानों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे ज्यादा आक्रामकता से दुश्मन पर धावा बोल पाएंगे। अत्याधुनिक एलएमजी श्रेणी में शुमार इस तरह के हथियार की जरूरत भारतीय सुरक्षा बल लंबे समय से महसूस कर रहे थे। इजरायली फर्म के साथ सौदे पर भारतीय रक्षा मंत्रालय की क्रय शाखा ने दस्तखत किए हैं।
दिलचस्प बात यह है कि भारतीय सेना ने करीब डेढ़ दशक पहले नई असॉल्ट राइफलें और क्लोज-क्वार्टर बैटल कार्बाइन की मांग उठाई थी। इसी तरह, 2009 में एलएमजी के लिए एक अनुरोध भी रखा गया था। लेकिन रिश्वत के आरोपों या अवास्तविक तकनीकी मानकों के साथ-साथ एक दशक से अधिक समय से स्वदेशी विकल्पों की कमी के चलते यह बहुप्रतीक्षित मांग दरकिनार की जाती रही।
अंत में, 2018 में, सरकार ने विदेशों से अपने अग्रणी मोर्चे के सैनिकों के लिए सीमित संख्या में (72,400), क्लोज-क्वार्टर बैटल कार्बाइन (93,895) और एलएमजी (16,479) खरीदने का फैसला किया। साथ ही यह तर्क दिया गया था कि शेष हथियारों की कमी को भारत में निर्माण करके पूरा किया जाएगा।
दिसंबर 2019 में, भारतीय सेना ने अमेरिका निर्मित SiG Sauer असॉल्ट राइफल का उपयोग शुरू कर दिया है। सेना को अपने स्नाइपर राइफलों के लिए गोला-बारूद की आपूर्ति का पहला बैच भी मिला। आखिरकार, गुरुवार को, इज़राइल वेपन्स इंडस्ट्री के साथ एक लाइट मशीन गन खरीदने का सौदा हुआ।