देश के एक बड़े व्यापारी संगठन ने सरकार से मांग की है कि अमेजन और फ्लिपकार्ट के फेस्टिव सेल्स पर बैन लगाया जाए। संगठन का कहना है कि ये बड़े डिस्काउंट्स देश की फॉरन इन्वेस्टमेंट पॉलिसी का उल्लंघन कर रहे हैं। दोनों ई-कॉमर्स कंपनियां हर साल त्योहारी सीजन जैसे दशहरा, दिवाली में सेल्स का ऐलान करती हैं। यह ऐसा समय होता है जब भारतीय कार और गोल्ड जूलरी जैसे बड़े सामान खरीदते हैं।
वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली कंपनी फ्लिपकार्ट ने 6 दिनों के सेल का ऐलान किया है जो 29 सितंबर से शुरू हो रही है। हालांकि अमेजन ने अपने सेल के तारीख की घोषणा अभी तक नहीं की है।
दोनों कंपनियों ने फैशन से लेकर स्मार्टफोन तक के डील्स पर बड़े डिस्काउंट का वादा किया है और पहले ही कहा है कि डिस्काउंट और डील्स सेलर्स द्वारा ही उनके प्लैटफॉर्म पर ऑफर किए जाएंगे।
फेडरेशन ने ट्रेड मिनिस्टर को लिखे अपने पत्र में कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने कहा, 'अपने ई-कॉमर्स पोर्टल पर 10 से 80 प्रतिशत के बड़े डिस्काउंट देकर ये कंपनियां स्पष्ट रूप से कीमतों को प्रभावित कर रही हैं और असमान प्रतिस्पर्धा पैदा कर रही हैं जो नीतियों का सीधा उल्लंघन है।'
देशभर के 5 लाख मर्चेंट और ट्रेडर्स का प्रतिनिधित्व करने वाले CAIT ने सरकार से मांग की कि ऐसे सेल्स पर बैन लगाया जाए। इसके अलावा उसने सरकार से एफडीआई मानदंडों के संभावित उल्लंघन की जांच के लिए भी कहा।
हालांकि इस साल के सेल्स पर सरकार की कार्रवाई की संभावना नहीं है लेकिन इससे बड़े डिस्काउंट पर सरकारी नीति लागू करने में मदद जरूर मिल सकती है।
भारत ई-कॉमर्स के इन्वेंट्री-संचालित मॉडल में फॉरन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (एफडीआई) की अनुमति नहीं देता जैसा वॉलमार्ट और अमेजन द्वारा अमेरिका में इस्तेमाल किया जाता है। वहां ई- कॉमर्स कंपनियां गुड्स और सर्विसेज का स्वामित्व करती हैं और इसे सीधे रीटेल कस्टमर्स को बेचा जाता है।
जब फ्लिपकार्ट से इस पर टिप्पणी मांगी गई तो उसने कहा कि 1 लाख से ज्यादा सेलर्स उनके प्लैटफॉर्म पर 'बिग बिलियन डिस्काउंट' का इंतजार कर रहे हैं।
वहीं अमेजन ने कहा कि 5 लाख से ज्यादा सेलर्स जिसमें छोटे बिजनस, महिला उद्यमी, स्टार्टअप, बुनकर और कारीगर शामिल हैं, इस फेस्टिव सेल के माध्यम से कस्टमर्स तक पहुंचते हैं।
दोनों ही कंपनियों ने कहा कि उनके मार्केटप्लेस पर विक्रेता ही अपने उत्पाद का दाम तय करते हैं।
साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी रॉयटर्स द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।