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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी पत्नी मेलानिया, बेटी इवांका, दामाद जेरेड कुशनर और अपने प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों के साथ सोमवार से भारत यात्रा पर आ रहे हैं। इस यात्रा के दौरान अहम द्विपक्षीय रक्षा और रणनीतिक रिश्तों में और मजबूती की उम्मीद है लेकिन व्यापार शुल्क जैसे जटिल मुद्दों को हल होने की संभावना नहीं है।

ट्रंप की लगभग 36 घंटे की यात्रा इस क्षेत्र और इससे इतर भू राजनीतिक घटनाक्रमों को लेकर हितों की बढ़ती एकरूपता का स्पष्ट संदेश भी देती है, खासतौर पर तब जब चीन अपने सैन्य और आर्थिक दायरे को बढ़ा रहा है।

भारतीय और अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच मंगलवार को होने वाली वार्ता व्यापार और निवेश, रक्षा और सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी, ऊर्जा सुरक्षा, धार्मिक स्वतंत्रता, अफगानिस्तान में तालिबान के साथ प्रस्तावित शांति समझौता और हिंद-प्रशांत की स्थिति सहित कई द्विपक्षीय और क्षेत्रीय महत्व के मुद्दों पर केंद्रित रहने की संभावना है।

अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब देश में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन चल रहे हैं और कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्तों में तनाव है।

व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप अपनी सार्वजनिक और निजी बातचीत में लोकतंत्र और धार्मिक स्वतंत्रता की हमारी साझी परंपरा के बारे में बात करेंगे। वह इन मुद्दों को उठाएंगे, विशेष रूप से धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा, जो इस प्रशासन के लिए अत्यंत अहम है।"

रिश्तों में सिलवटों के बावजूद, दोनों पक्ष ट्रंप की पहली भारत यात्रा को दो लोकतांत्रिक देशों के बीच बढ़ती वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के प्रतिबिंब के तौर पर दिखाना चाहते हैं।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बृहस्पतिवार को कहा था कि ट्रंप की यात्रा के दौरान बौद्धिक संपदा अधिकार, व्यापार सुगमता और आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्रों में सहयोग के लिए लगभग पांच समझौतों को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.